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कर्नाटक के कलबुर्गी में  2200 महिलाओं का गर्भाशय निकाला

कर्नाटक के कलबुर्गी में 2200 महिलाओं का गर्भाशय निकाला

कर्नाटक के कलबुर्गी में एक ऐसे रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जो महिलाओं के गर्भाशय को निकालने का काम करता था। इस काम में चार अस्पतालों के शामिल होने का आरोप है। कलबुर्गी के स्थानीय लोग पिछले दो वर्ष से इस मुद्दे को उठा रहे हैं। लेकिन अभी तक अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है।
मथुरा कांड यूपी सरकार के खिलाफ साजिश है- रामगोविंद चौधरी

मथुरा कांड यूपी सरकार के खिलाफ साजिश है- रामगोविंद चौधरी

मथुरा के जवाहर बाग में सत्याग्रह के नाम पर हुए कांड को लेकर प्रदेश के सपा सरकार में समाज कल्याण मंत्री रामगोविंद चौधरी ने भाजपा पर जमकर हमला बोला है।
उत्तराखंड: बागी विधायकों की याचिका खारिज करने की मांग

उत्तराखंड: बागी विधायकों की याचिका खारिज करने की मांग

खुद को अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ कांग्रेस के नौ विधायकों की उच्च न्यायालय में दायर याचिका को उत्तराखंड विधानसभा के अध्यक्ष ने खारिज करने की मांग करते हुए आज कहा कि इन सबने दल-बदल कानून का उल्लंघन किया और इसके लिए उन्हें दंडित किया जाना चाहिए।
उत्तराखंड: समयसीमा खत्म, अब फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेंगे

उत्तराखंड: समयसीमा खत्म, अब फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेंगे

उत्तराखंड की हरीश रावत सरकार के बागी नौ कांग्रेसी विधायकों को राज्य विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल द्वारा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित करने के लिए जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल करने की समयसीमा के आज शाम समाप्त हो जाने के बाद सभी निगाहें विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर टिक गई हैं।
बागी विधायकों पर कार्रवाई का कदम विवादों के घेरे में

बागी विधायकों पर कार्रवाई का कदम विवादों के घेरे में

उत्तराखंड विधानसभा में 28 मार्च को हरीश रावत सरकार द्वारा बहुमत साबित करने की चुनौती से पहले सत्ताधारी कांग्रेस के नौ बागी विधायकों को सदन की सदस्यता से बेदखल किए जाने का कदम विवादों के घेरे में आ गया है।
कांग्रेस ने अपने बचे विधायकों को अज्ञात जगह भेजा

कांग्रेस ने अपने बचे विधायकों को अज्ञात जगह भेजा

उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार पर आए संकट को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में बयानबाजी तेज हो गई है। इस बीच अपने बचे विधायकों को किसी भी संभावित टूट से बचाने के लिए कांग्रेस ने उन्हें अज्ञात स्थान पर भेज दिया है। वैसे कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि उन्हें रामनगर भेजा गया है।
कहानी - दुर्गंध

कहानी - दुर्गंध

15 अगस्त, 1960 कानपुर में जन्म। तीन दशक से भी ज्यादा समय से कहानी लेखन में सक्रीय। देश की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित। आंचलिक कथाकार के रूप में पहचान। कुछ कहानियों का बांग्ला, तमिल और उर्दू में अनुवाद। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर में कहानियों पर, ‘गोविंद उपाध्याय की कहानियों में सामाजिक जीवन’ शीर्षक से लघु शोध-प्रबंध। ‘बारात’ और ‘पीढ़ी’ कहानियां पाठ्य-पुस्तक में संकलित। कादम्बिनी द्वारा आयोजित साहित्यिक महोत्सव में कहानी पुरस्कृत। कथाबिंब के कमलेश्वर स्मृति कथा पुरस्कार में कहानी को उत्तम पुरस्कार। कमलेश्वर-वर्तमान साहित्य कथा पुरस्कार में कहानी चयनित एवं प्रकाशित। कई कृतियां, जिसमें से पंखहीन, समय, रेत और फूकन फूफा, सोनपरी का तीसरा अध्याय, चौथे पहर का विरह गीत, आदमी, कुत्ता और ब्रेकिंग न्यूज़, बूढ़ा आदमी और पकड़ी का पेड़ तथा नाटक तो चालू है मुख्य रूप से सराही गईं।
पनसारे-दाभोलकर-कलबुर्गी की हत्या पर रिजिजू के बयान पर आज विपक्ष घिरेगा सरकार को

पनसारे-दाभोलकर-कलबुर्गी की हत्या पर रिजिजू के बयान पर आज विपक्ष घिरेगा सरकार को

तर्कवादियों के परिजनों में केंद्रीय गृहराज्य मंत्री के बयान से गहरी नाराजगी, सरकारों के हीला-हवाली रवैय पर जताया एतराज
क्या वाकई थम गई पुरस्कार वापसी मुहिम?

क्या वाकई थम गई पुरस्कार वापसी मुहिम?

बिहार चुनाव के नतीजे आने का बाद सोशल मीडिया पर इन दिनों एक कविता काफी प्रसारित हो रही है। इस कविता में कहा जा रहा है कि अब कहीं से भी गोमांस, सम्मान वापसी, अरहर दाल की बढ़ती कीमतों को लेकर कोई बयान नहीं आ रहा है। यह सवाल खड़ा होता है कि क्या ऐसा सहिष्णुता की वजह से है या ऐसा बिहार का चुनाव खत्म हो जाने की वजह से है। स्पष्ट तौर पर यह आरोप लगता रहा है कि लेखकों, कलाकारों और वैज्ञानिकों द्वारा जो पुरस्कार लौटाए जा रहे थे वह बिहार चुनावों को प्रभावित करने की एक पूर्वनियोजित साजिश थी। इस संबंध में आरएसएस का मानना है कि पुरस्कार वापसी की मुहीम राजनीतिक ताकतों के हित में बहुत सलीके से संयोजित की गई थी। केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने तो यहां तक कहने में भी गुरेज नहीं किया कि पुरस्कार वापसी के इस मुहिम में बहुत ज्यादा पैसा सम्मिलित था। जो कुछ भी हुआ, यह उसकी पूरी तरह से एक प्रायोजित और विकृत व्याख्या है।
लोकतंत्र बचाने के लिए जरूरी है पुरस्कार वापसी

लोकतंत्र बचाने के लिए जरूरी है पुरस्कार वापसी

पिछले कुछ हफ्तों में लेखकों वैज्ञानिकों और कलाकारों के सम्मान लौटाने की बाढ़ देखी गई। पुरस्कार लौटाने के जरिये ये सम्मानित और पुरस्कृत लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए खड़े हुए हैं। बढ़ती असहिष्णुता और हमारे बहुलतावादी मूल्यों पर हो रहे हमलों पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए इन शिक्षाविदों, इतिहासकारों, कलाकारों और वैज्ञानिकों के कई बयान भी आए हैं। जिन्होंने अपना पुरस्कार लौटाया है वे सभी साहित्य, कला, फिल्म निर्माण और विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले लोगों में से हैं। इस तरह सम्मान लौटाकर उन सभी लोगों ने सामाजिक स्तर पर हो रही घटनाओं पर अपने दिल का दर्द बयान किया है।
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