केंद्र सरकार देश के तीन तर्कवादी चिंतकों-कामरेड गोविंद पनसारे, डॉ. नरेंद्र दाभोलकर और प्रो. कलबुर्गी की हत्या के जिम्मेदार उग्र हिंदुत्ववादी ताकतों को बचाने की कोशिश कर रही है। इन हत्याओं के पीछे जिम्मेदार संस्था के खिलाफ बन रहे मामले को लचर करने की कोशिश की जा रही है-ऐसा मानना है महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का और दाभोलकर तथा पनसारे के परिजनों का। इस आशंका की वजह बना केंद्रीय राजगृह मंत्री कीरन रिज्जू का राज्यसभा में तीन नवंबर 2015 को दिया यह बयान, `प्राप्त जानकारी के अनुसार गोविंद पंसारे, डॉ. नरेंद्र दाभोलकर और प्रो. कलबुर्गी की हत्याओं के बीच कोई रिश्ता नहीं है।’’
उग्र हिंदुत्ववादियों के हाथों मारे गए तीनों तर्कवादी चिंतकों के परिजनों ने रिज्जू के इस बयान को मानने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि ये बयन हत्याओं को बचाने वाला है। इस बयान के खिलाफ सात दिसंबर को संसद के भीतर भी हंगामा होने की आशंका है। कई सांसदों का करना है कि वह इस मसले को उठाएंगे और सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगेगे। इन हत्याओं में सनातन संस्था और उससे जुड़े लोगों का नाम प्रमुखता से सामने लाया गया। दाभोलकर और पनसारे की हत्या में जिन 70 लोगों से पूछताछ की गई, वे भी इसी संस्था से संबद्ध हैं। इस बयान के खिलाफ उन्होंने दिल्ली में केंद्र सरकार के मंत्री जितेंद्र सिंह से भी मुलाकात की और स्पष्टीकरण मांगा।
उग्र हिंदुत्ववादियों की गोली का निशाना बने नरेंद्र दाभोलकर के बेटे हामिद दाभोलकर ने संवाददाता को बताया कि जब महाराष्ट्र उच्च न्यायालय भी पानसारे और दाभोलकर के परिजनों की रिट याचिका को जोड़ चुकी है और शुरुआती तमाम प्रमाण सनातन संस्था की ओर इशारा कर रहे हैं, ऐसे में केंद्रीय मंत्री का यह बयान बहुत परेशानी पैदा करने वाला है। हमें यह भी पता चलना चाहिए कि क्या केंद्र सरकार के पास इन तीनों हत्याओं से जुड़े कोई नई जानकारी सामने आई है, जो वह ऐसा बयान दे रही है। अगर कुछ भी सामने आया है, तो पहले उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। हामिद ने दो टूक शब्दों में कहा कि तीनों हत्याओं के बीच गहरा रिश्ता है। तीनों की हत्याएं बिल्कुल एक ढंग से की गई है। हत्यारों को इन तीनों से कोई निजी रंजिश नहीं थी, उनकी विचारधारा से थी। ऐसे में राज्य सरकारें जांच को तेज करने के बजाय बेहद धीमी गति से आगे बढ़ा रही है।
महाराष्ट्र अंधश्रध्दा निर्मूलन समिति के चेयरमैन अविनाश पाटिल ने आउटलुक को बताया कि जिस धीमी गति से इन हत्याओं की जांच चल रही है, उससे साफ है कि सरकारों की मंशा हत्याओं को पकड़ने की नहीं है। शीना बोरा हत्याकांड में तीन-तीन जांच टीमें बना दी गई हैं, वहीं इन हत्याओं की अब तक चार्टशीट तक नहीं दाखिल की गई है।
ऐसी उम्मीद है कि संसद में ये मामला अब गरमाएगा। जनत दल (यू) के शरद यादव, माकपा सांसद सीताराम येचुरी सहित कई सांसदों ने इस मसले पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है।