मेरठ में एक कश्मीरी पंडितों के परिवार में जन्में,13 साल की उम्र मे घर छोड़ देने वाले, बिजनेस में भारी घाटे के बाद मायानगरी मुम्बई का रूख करने वाले कैलाश खेर आज अपना 44वां जन्मदिन मना रहे हैं।
भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव जन्माष्टमी के अवसर पर बृहस्पतिवार को देशभर के मंदिरों में हरे कृष्णा, हरे रामा की गूंज रही और छोटे-छोटे बच्चे कृष्ण कन्हैया की पोशाक पहनकर मंदिरों में झांकी देखने आए लोगों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहे। वहीं कान्हा के जन्मदिवस पर आज दुनिया भर के श्रद्धालु मथुरा की सड़कों पर इस प्रकार उमड़ते दिखाई दिए, मानों वे आज हर कीमत पर अपने प्रिय की एक झालक पा लेना चाहते हों।
मुम्बई के मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का तीन दिवसीय समारोह बुधवार को धार्मिक उत्साह एवं परंपरा से शुरू हो गया। गिरगाम चौपाटी स्थित प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर में इस मौके पर अनूठे तरीके से 5243 फलों का भोग लगाया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने आज दही हांडी से संबंधित एक याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। इस याचिका में शीर्ष अदालत द्वारा तय की गई मानव पिरामिड की 20 फुट उंचाई में ढील देने का अनुरोध किया गया है। महाराष्ट में जन्माष्टमी के दिन दही हांडी उत्सव के दौरान मानव पिरामिड बनाए जाते हैं।
मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने 16 साल बाद मंगलवार को रोते हुए अपनी भूख हड़ताल खत्म की। इस अवसर पर बेहद भावुक इरोम ने कहा कि अब वह अपने संघर्ष की रणनीति में बदलाव करते हुए राजनीति में उतरना चाहती हैं।
प्रतिबंधित संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के प्रति वैचारिक रुझान रखने के संदेह में दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए 10 युवकों को पर्याप्त सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया है। हिरासत में लिए गए अन्य चार युवकों को शनिवार को ही रिहा कर दिया गया था।
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के 77 कॉलेजों में से 22 से ज्यादा कॉलेज बिना किसी स्थायी प्रिंसिपल के चल रहे हैं। इससे नाराज विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ ने नियुक्ति की प्रक्रिया को व्यवस्थित बनाने की मांग की है।
इसे वक्त की बेरुखी कहें या किस्मत का खेल, लेकिन शंघाई स्पेशल ओलंपिक में देश के लिए फख्र के लम्हे जुटाने वाला एक दिव्यांग एथलीट इन दिनों रोजी-रोटी के लिए मजदूरी करने को मजबूर है। लखनउ के हामिद ने 2007 में शंघाई में हुए स्पेशल ओलंपिक वर्ल्ड समर गेम्स में 4 गुणा 100 मीटर रिले दौड़ में स्वर्ण पदक हासिल कर देश का सिर गर्व से उंचा कर दिया था। लेकिन अफसोस कि इतनी बड़ी उपलब्धि भी उसकी किस्मत नहीं बदल सकी और आज वह अपने गुजर-बसर के लिए मजदूरी करने को बाध्य है।