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Search Result : "जाने भी दो यारों"

कविता - जन्नत न जाने पाए

कविता - जन्नत न जाने पाए

सितंबर 1947 में बक्सर, बिहार में जन्में उपेन्द्र कुमार सन 1972 की भारतीय प्रशासनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर सरकारी सेवा में नियुक्ति, संसदीय कार्य, श्रम एवं रक्षा मंत्रालयों के विभिन्न विभागों में 35 वर्षों से अधिक सक्रीय सेवा में रहे। उनकी पुस्तकों में बूढ़ी जड़ों का नवजात जंगल, मैं बोल पड़ना चाहता हूं, चुप नहीं है समय, प्रतीक्षा में पहाड़, गांधारी पूछती है, उदास पानी, प्रेम प्रसंग, गहन है यह अंधकार प्रमुख है। उन्हें कई पुरस्कार एवं सम्मान मिल चुके हैं।
नीतीश को नेपाल जाने की अनुमति नहीं मिलने से जदयू में रोष

नीतीश को नेपाल जाने की अनुमति नहीं मिलने से जदयू में रोष

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नेपाल नहीं दिए जाने से उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड के नेता इसके लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। जद यू नेताओं ने कहा कि नीतीश कुमार नेपाल में भूकंप पीड़ितों के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे राहत कार्यों का जायजा लेने जा रहे थे तो केंद्र सरकार ने रोक दिया। जद यू नेताओं से इसे राजनीति से प्रेरित बताया।
क्या केजरी की शपथ में जाने का साहस करेंगे मोदी

क्या केजरी की शपथ में जाने का साहस करेंगे मोदी

दिल्ली के प्रतीक्षारत मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह घोषणा क्या की कि वह कल 12 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें 14 फरवरी को अपने शपथग्रहण समारोह में रामलीला मैदान आने को निमंत्रित करेंगे, अब सब निगाहें इसपर लगी हैं कि मोदी इसके लिए राजी होते हैं या नहीं।