युद्ध और भुखमरी के हालात से बचने के लिए यूरोपीय देशों में पनाह की आस में भूमध्य सागर पार करने की कोशिश में लगातार प्रवासियों की जान जा रही है। ताजा घटना में इटली पहुंचने की जद्दोजहद कर रहे लीबिया के कई लोग भूमध्य सागर में हादसे का शिकार हो गए। इतावली नौसेना ने अब तक 45 प्रवासियों के शव बरामद किए हैं जिनकी मौत डूबने से हो गई। इस सागर में हाल में हुई तीसरी बड़ी त्रासदी में अभी भी दर्जनों लोग लापता हैं।
दुबई से कोच्चि आ रहे स्पाइसजेट के विमान के चालक दल के प्रमुख ने विमान के कोच्चि हवाईअड्डे पर उतर जाने के बाद इसके शौचालय में छिपाकर रखा गया एक किलोग्राम सोना बरामद किया। सूत्राें ने बताया कि सीमाशुल्क अधिकारियों ने एक यात्राी को हिरासत में लिया है। इस व्यक्ति पर इस साेने के वाहक होने का संदेह है।
यह लेखिका की पहली किताब है और इस किताब से पहले इसका शीर्षक पास खींचता है। यह भले ही पहली किताब हो लेकिन कहीं कोई कच्चापन नहीं है। अनुभव के की आंच पर पकी यह पुस्तक पठनीय है।
‘उस घटना ने मेरी जिंदगी बदल डाली थी। मैं रोजी रोटी कमाने के लिए वेश्यावृति करने लगी लेकिन बेंगलुरू की उस रात मार्क्स सड़क पर मैं किसी ग्राहक के पास नहीं गई थी बल्कि किसी से मिलने गई थी। स्थानीय पुलिस को आदेश हुए कि इलाके की तमाम वेश्याओं को उठा लिया जाए। मैं सड़क किनारे खड़ी थी। मुझे भी उस रात पुलिस उठा ले गई। थाने में 18 पुलिस वालों और 10 कैदियों के सामने मुझे पूरा नंगा कर दिया गया। पुलिस वालों ने मेरी छातियां दबा-दबा कर देखीं। बोल रहे थे कि मजा कहां से लेती हो? उन्होंने मेरे अंदर डंडे डाले। चीखों के मारे पुलिस स्टेशन हिल गया लेकिन किसी ने मुझपर तरस नहीं किया।
कचरे पर कोई हाथ नहीं डालना चाहता...और बात बेहद रेडियोधर्मी कचरे की हो तब तो बिल्कुल नहीं। फिर भी भारतीय परमाणु विज्ञानियों ने इस काम को अपने हाथ में लेते हुए दुनिया में पहली बार परमाणु उर्जा संयंत्रों से निकलने वाले कचरे से रेडियोधर्मी तत्व सीजियम की एक एेसी दुर्लभ किस्म विकसित की है।
चंडीगढ़ में एक न्यूज चैनल के पत्रकार अमित चौधरी जो अभी तक दूसरों की परेशानियों, उन पर हुए अत्याचारों को दिखाते और बताते रहे हैं, आज खुद उसका शिकार हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के चलते उनके साथ वो सब हुआ जिसे वह ‘तानाशाही, जुल्म, अत्याचार, प्रताड़ना और भयावह’ जैसे शब्दों के जरिये बयां करते हैं। यही नहीं, कारगिल युद्ध में देश के लिए दुश्मन से लोहा लेने वाले ब्रिगेडियर देवेंद्र सिंह के बेटे का निधन हो गया, उन्हें सेक्टर 25 के श्मशान घाट में बेटे का अंतिम संस्कार नहीं करने दिया गया। क्योंकि प्रधानमंत्री की रैली के चलते श्मशान घाट को पार्किंग में बदल दिया गया था। सोशल मीडिया के चलते अमित और ब्रिगेडियर देवेंद्र की तकलीफ का पता हमें लग भी गया लेकिन हजारों-लाखों लोग ऐसे हैं जिनके पास अपनी तकलीफ और पीड़ा बताने के लिए स्मार्ट फोन और सोशल मीडिया का मंच नहीं है लेकिन असहनीय पीड़ा है।