फिल्मों को कला के साथ-साथ संप्रेषण के माध्यम के तौर देखे जाने के प्रति दर्शकों की स्वीकार्यता ने हाल के बरसों में ढेरों फिल्म-समारोहों को भी जन्म दिया है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में भारत के विभिन्न शहरों में किस्म-किस्म के फिल्मोत्सवों की शुरूआत हुई है जिनमें से काफी सारे समारोह खासा नाम भी कमा चुके हैं।
पूरा भारत कमलमय हो इसके लिए रणनीति बनने लगी हैं। जिन प्रदेशों में चुनाव हैं वहां विशेष जोर दिया जाने वाला है। कल इसी के लिए भारतीय जनता पार्टी का कोर ग्रुप जुट कर माथापच्ची करेगा।