सुप्रीम कोर्ट ने आज तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह का मुद्दा संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया है। कोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई के लिए 11 मई की तारीख तय की है, जो पांच जजों की संवैधानिक पीठ करेगी। पीठ लगातार चार दिनों तक इस मामले पर दोनों पक्ष को सुनेंगे। कोर्ट ने कहा है कि दोनों पक्ष चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करें।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की रविवार से तीन दिवसीय बैठक शुरू हो गई जिसमें आर्थिक विषमता, पर्यावरण-असंतुलन और आतंकवाद को विश्व मानवता के लिए गंभीर चुनौती के साथ तीन तलाक जैसे विषयों पर प्रमुखता से विचार किये जाने की उम्मीद है।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का दावा है कि तीन तलाक मुद्दे के खिलाफ दायर याचिक पर पूरे भारत से करीब 10 लाख मुस्लिम महिलाओं ने दस्तखत किए हैं। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने इसे मुख्य मुद्दा बनाया था और इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल भी किया था। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आनुषंगिक संगठन की तरह मुसलमानों के बीच काम करता है।
भाजपा नेता शाजिया इल्मी ने आज जामिया विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया कि उसने तीन तलाक के विषय पर आायोजित समारोह में वक्ताओं की सूची से मेरा नाम हटाने के लिए आयोजकों पर दबाव डाला। विश्वविद्यालय ने हालांकि इन आरोपों से इनकार किया है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह की प्रथा को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करके इनका फैसला करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि वह मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक, तलाक हलाला और बहुविवाह की परंपरा कानूनी पहलू से जुड़े मुद्दों पर ही विचार करेगा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह इस सवाल पर विचार नहीं करेगा कि क्या मुस्लिम पर्सनल ला के तहत तलाक की अदालतों को निगरानी करनी चाहिए क्योंकि यह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद केंद्र सरकार तीन तलाक प्रथा को हटाने के लिये बड़ा कदम उठा सकती है। प्रसाद ने गाजियाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि महिलाओं की जिंदगी और सम्मान को चोट पहुंचाने वाली इस प्रथा को बंद किये जाने की जरुरत है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक फैसले में कहा कि पति या पत्नी, दोनों में से कोई एक केवल इस आधार पर ही परित्याग का फैसला नहीं कर सकता कि ससुराल पहले किसने छोड़ा क्योंकि विवाहित जोड़े में से एक का आचरण दूसरे को अलग रहने के लिए बाध्य कर सकता है।