भाजपा ने यूपी का चुनावी समर जीतने के लिए मुस्लिम समाज में तीन तलाक का मसला जोर शोर से उठाया था। भाजपा ने तो यूपी जीत लिया और अब बारी है मुस्लिम समाज की इस कुरीति से पीड़ित महिलाओं की, जो चाहेंगी की भाजपा तीन तलाक की परंपरा को खतम करने में आगे आए और उनकी मदद करे।
मुस्लिमों में छोटी-छोटी बातें तलाक की बड़ी वजह बनती रही हैं। पीड़ित महिलाएं इससे परेशान हैं। बाराबंकी के थाना जहांगीराबाद के मंझपुरवा गांव की निवासी तीन तलाक पीड़ित आलिया की आत्महत्या के बाद पीड़ित महिलाएं अब चुप बैठने को तैयार नहीं है। पीड़िताओं को योगी सरकार से मदद व न्याय की उम्मीद है।
इसी क्रम में ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में जिले की तीन तलाक पीड़ित महिलाओं ने शिरकत की और आगे की लड़ाई बड़े मोर्चे पर करने की बात कही है।
मंगलवार को महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री रीता बहुगुणा जोशी से बोर्ड का प्रतिनिधि मंडल मिला। पीड़ित महिलाएं भी साथ थीं। उन्होंने मंत्री को आपबीती बताई।रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि महिलाओं की मांगों को वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने रखेंगी।
मंत्री से पीड़िताओं के संरक्षण, रोजगार व पुर्नवास की मांग की गई। 11 मई से सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई में आलिया व अन्य पीड़िताओं के मामलों को नजीर के तौर पर पैरवी के दौरान प्रस्तुत किया जाएगा।
छोटी-छोटी बातों में हो जाता है तीन तलाक
मुस्लिम समाज में बेटी के होने पर तीन तलाक आम बात है। कई महिलाओं को तीन साल के अंदर दो बेटियां होने के बाद पति ने तलाक देकर दूसरी शादी कर ली। कभी कभी नापसंद करके तीन तलाक दे दिया जाता है। दहेज ना मिलने पर भी महिलाओं को इस जुल्म का सामना करना पड़ता है। सही ढंग से कामकाज नहीं संभालने का हवाला देते हुए तीन तलाक दे दिया जाता है।
देशभर के 10 लाख मुस्लिमों ने किया है विरोध
आरएसएस समर्थित मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले देशभर के दस लाख मुस्लिम इस कुरीति के खिलाफ उतर आए हैं। इनमें से अधिकांश महिलाएं हैं। मंच ने तीन तलाक के खिलाफ याचिका लगाई है उसमें इन लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं।