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जानिए, आखिर धोनी ने क्यों कहा शोएब अख्तर को ‘टफेस्ट बॉलर’

जानिए, आखिर धोनी ने क्यों कहा शोएब अख्तर को ‘टफेस्ट बॉलर’

पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने हाल ही में एक ऐसा खुलासा किया है। जिसे सुनने के बाद ये यकीन करना मुश्किल है कि धोनी जैसे खिलाड़ी भी शानदार बल्लेबाज कभी किसी गेंदबाज से घबराते थे।
गुजरात से आईएसआईएस के दो आतंकी गिरफ्तार, दोनों सगे भाई

गुजरात से आईएसआईएस के दो आतंकी गिरफ्तार, दोनों सगे भाई

आईएसआईएस का जाल अब गुजरात तक फैलता जा रहा है। गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते यानी एटीएस ने राजकोट और भावनगर से दो ऐसे युवकों को गिरफ्तार किया है, जो आईएस की आंतकी विचारधारा से पूरी तरह प्रभावित होकर अपने हैंडलर्स के कहने पर गुजरात में बड़ी आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए तैयार हो चुके थे। यह दोनों सगे भाई हैं।
यातायात जाम होने की तरह है संसद बाधित होना : जावेद अख्तर

यातायात जाम होने की तरह है संसद बाधित होना : जावेद अख्तर

राज्यसभा के पूर्व सदस्य जावेद अख्तर ने कहा कि संसद बाधित होना यातायात जाम होने की तरह है और वहां सांसद गलत दिशा से आगे निकलने की कोशिश करते हैं या यातायात संकेतों को तोड़ते हैं जिसके कारण अराजकता पैदा होती है।
तीन तलाक पर तुरंत प्रतिबंध लगेः जावेद अख्तर

तीन तलाक पर तुरंत प्रतिबंध लगेः जावेद अख्तर

प्रख्यात गीतकार और शायर जावेद अख्तर ने तीन तलाक पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाए जाने की वकालत की है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि यूनिफार्म सिविल कोड को पर्याप्त चर्चा के बाद ही लागू किया जाए। अख्तर ने दिल्ली में एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में कहा कि वह इस विषय पर वर्षो से बात करते रहे हैं।
तीन तलाक की प्रथा तुरंत बंद होनी चाहिए: जावेद अख्तर

तीन तलाक की प्रथा तुरंत बंद होनी चाहिए: जावेद अख्तर

मशहूर शायर और पूर्व सांसद जावेद अख्तर ने कहा है कि तीन तलाक की प्रथा तुरंत बंद होनी चाहिए और समान नागरिक संहिता के बारे में सरकार को ड्राफ्ट तैयार कर उसे लोगों के सामने लाकर बहस करानी चाहिए।
‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

‘भाषा का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि मजहब को भाषा की जरूरत होती है’

उर्दू जबान की तरक्की के लिए फिक्रमंद साहित्यकारों और शिक्षाविदों का मानना है कि इस भाषा को सिर्फ मुसलमानों की जबान के तौर पर पेश कर एक दायरे में सीमित करने की कोशिशें की जा रही हैं जबकि असलियत यह है कि यह पूरे देश में और विभिन्न समुदायों में बोली जाती है और इसके विकास में सभी का अहम योगदान है। इसके अलावा उर्दू और हिंदी छोटी और बड़ी बहने हैं और इनमें आपस में कोई टकराव नहीं है।
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