प्रवासियों को ले जा रही एक नौका के मिस्र के तट के करीब भूमध्य सागर में डूबने के तीन दिन बाद बचावकर्मियों ने 162 शव बरामद किए हैं। यह नौका यूरोप की ओर जा रही थी।
राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा का कहना है कि कोई भी भाषा हिन्दी का स्थान नहीं ले सकती क्योंकि यह आम आदमी की भाषा है। ऐसे में हिन्दी को उच्च शिक्षा में शिक्षा का माध्यम (एमओआई) बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। चंद्रा ने यह बातें साहित्य अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहीं।
भाजपा के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रवासी निवेशकों से जुटाए गए विदेशी मुद्रा कर्ज की 24 अरब डालर की आसन्न अदायगी को टाइम बम बताया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन द्वारा जुटाये इस कर्ज का भुगतान वित्त मंत्रालय को करना है।
वरिष्ठ अभिनेता नसीरूद्दीन शाह की राजेश खन्ना पर कथित टिप्पणी को लेकर ट्विंकल खन्ना ने पलटवार किया है। अपनी टिप्पणी में शाह ने कथित तौर पर कहा था कि 70 के दशक में हिंदी फिल्म उद्योग में मध्यम स्तर लाने के लिए राजेश खन्ना जिम्मेदार हैं।
आर्थिक रुप से जुड़े यूरोप के देशों के संगठन यूरोपीय यूनियन से अलग होने के लिए ब्रिटेन में जनमत संग्रह हो रहा है। मीडिया में खबर आ रही है कि मुसलमानों के डर की वजह से भी इस तरह का जनमत संग्रह कराया जा सकता है। जनता के फैसले के बारे मेंं शुक्रवार को पता चलेगा। सबसे बड़ा सवाल है कि ब्रिटेन जमनत संग्रह क्यों करा रहा है। जानकारों का कहना है कि मुस्लिम प्रवासियों की बढ़ती तादाद से ब्रिटेन को खासी चिंता है।
वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि प्रवासी भारतीय :एनआरआई: अब राष्ट्रीय पेंशन बचत खाता :एनपीएस: आॅनलाइन खोल सकते हैं, बशर्ते उनके पास आधार कार्ड या पैन कार्ड हो।
युद्ध और भुखमरी के हालात से बचने के लिए यूरोपीय देशों में पनाह की आस में भूमध्य सागर पार करने की कोशिश में लगातार प्रवासियों की जान जा रही है। ताजा घटना में इटली पहुंचने की जद्दोजहद कर रहे लीबिया के कई लोग भूमध्य सागर में हादसे का शिकार हो गए। इतावली नौसेना ने अब तक 45 प्रवासियों के शव बरामद किए हैं जिनकी मौत डूबने से हो गई। इस सागर में हाल में हुई तीसरी बड़ी त्रासदी में अभी भी दर्जनों लोग लापता हैं।
हर व्यक्ति का अपना एक अतीत होता है। बल्कि कहना गलत न होगा कि हमारा वर्तमान हमारे अतीत की नींव पर टिका होता है। ऐसे में अगर हमारे भीतर से अतीत विस्मृत हो जाए तो हमारा पूरा वजूद डावांडोल होने लगता है। हम अपनी पहचान के संकट से आक्रांत हो उठते हैं। ऐसे में किसी संवेदनशील व्यक्ति का अपने अतीत की तहों में उतरकर स्मृतियों के रेशे तलाशना स्वाभाविक है।