पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन्स के विमान पीक-661 के एक इंजन में खराबी के कारण दुर्घटना हुई जिससे विमान में सवार सभी लोग मारे गए। शुरूआती जांच में यह जानकारी दी गई है।
पिछले दिनों छत्तीसगढ़ में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारी गई आदिवासी युवती के मामले को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सोमवार को बिलासपुर उच्च न्यायालय में प्रारंभिक सुनवाई हुई।
भारत के स्वदेशी बुनियादी प्रशिक्षण विमान हिन्दुस्तान टर्बो ट्रेनर..40 (एचटीटी..40) ने शुक्रवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की उपस्थिति में प्रारंभिक उद्घाटन उड़ान भरी। दो सीटों वाले इस विमान का डिजाइन और विकास हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड ने किया है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने स्टिंग ऑपरेशन से संबंधित अपनी जांच के तहत मंगलवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत से पूछताछ की। स्टिंग में वह कथित तौर पर कुछ असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों को प्रभावित करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मतगणना के प्रारंभिक रूझानों में ममता बनर्जी नीत तृणमूल कांग्रेस अपने प्रतिद्वंद्वी वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन से काफी आगे चल रही है जबकि असम में भाजपा बढ़त बनाए हुए है। तमिलनाडु में जयललिता की अन्नाद्रमुक और केरल में वाममोर्चा गठबंधन एलडीएफ आगे चल रहा है।
सोलहवीं निर्वासित तिब्बती संसद के प्रारंभिक चुनाव कल से शुरू होने हैं। अंतिम चुनाव अगले साल मार्च में होने तय हैं। तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख निर्वाचन आयुक्त सोनम कोफेल शोसुर ने दुनियाभर में रहने वाले तिब्बती लोगों से अपील की है कि वे आगामी प्रारंभिक चुनावों में भागीदारी करके मतदान के अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करें।
देश की सबसे मुश्किल परीक्षाओं में शुमार यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा में ज्यादातार उम्मीदवार इम्तिहान में बैठे बिना ही दौड़ से बाहर हो जाते हैं। इस साल करीब 51 फीसदी उम्मीदवार आवेदन करने के बावजूद परीक्षा में शामिल नहीं हुए। इस तरह ज्यादातर उम्मीदवारों का प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना सिर्फ फार्म भरने तक सीमित रह गया।
चुनिंदा नायकों या खलनायकों की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा जोर देने के कारण इतिहास का सम्यक विवेचन नहीं हो पाता। जैसे गांधी, नेहरू, पटेल, जिन्ना और माउंटबेटन पर ज्यादा जोर देने से हमें भारत विभाजन के बारे में कई जरूरी प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। मसलन, देसी मुहावरे में आम जनता को अपनी बात समझाने में माहिर और उनमें आजादी के लिए माद्दा जगाने वाले गांधी अपने तमाम सद्प्रयासों के बावजूद नाजुक ऐतिहासिक मौके पर आम हिंदू-मुसलमान को एक-दूसरे के प्रति सांप्रदायिक दरार से बचने की बात समझाने में क्यों विफल रहे, नोआखली जैसी अपनी साक्षात उपस्थिति वाली जगह को छोडक़र? जिन्ना की महत्वकांक्षा और जिद को कितना भी दोष दें, कलकत्ता और अन्य जगहों का आम मुसलमान क्यों उनके उकसावे पर पाकिस्तान हासिल करने के लिए खून-खराबे पर उतारू हो गया?