बीसीसीआई ने सलाहकार समिति के सुझावों के आधार पर रवि शास्त्री को भारत में अगले साल होने वाले टी20 विश्व कप तक भारतीय क्रिकेट टीम का निदेशक बरकरार रखा है।
यमन और सोमालिया के बीच हवाई बमबारी का शिकार नौका के 20 सदस्यीय भारतीय चालक दल के कम से कम सात सदस्य लापता बताए जाते हैं। विदेश मंत्रालय ने आज इस आशय की जानकारी दी।
हिंदी के नामचीन कथाकार उदय प्रकाश की हिंदुत्व वादी ताकतों द्वारा कन्नड़ विद्वान एमएम कलबुर्गी की हत्या के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा लगातार विवादों में आ रही है। गौरतलब है कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर से सांसद योगी आदित्यनाथ के हाथों पुरस्कार लिया था। अब इस मुद्दे पर कथाकार नीलाभ अश्क और विष्णु खरे ने भी आपत्ति जताई है -
बिहार का कोशी क्षेत्र लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी नीत एनडीए के लिए बुरा सपना साबित हुआ था। यहां पर एनडीए को एक भी सीट जीतने में कामयाबी नहीं मिली थी। कभी कांग्रेस का गढ़ रहा यह क्षेत्र कालांतर में पहले लालू प्रसाद और फिर जद-यू-भाजपा का दुर्ग बना मगर लोकसभा चुनाव में यहां मिली हार ने भाजपा को इस क्षेत्र में नई रणनीति बनाने के लिए मजबूर कर दिया।
इशांत शर्मा श्रीलंका के विरुद्ध अंतिम टेस्ट में अपने कैरियर का 200वां विकेट हासिल कर भारत के कई दिग्गज गेंदबाजों की पंक्ति में आ गए हैं। इशांत ने ये उपलब्धी 65 मैचों में हासिल की है।
इशांत शर्मा की अगुआई में गेंदबाजों के दमदार प्रदर्शन की बदौलत भारत ने पहली पारी में 111 रन की महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की लेकिन गेंदबाजों ने श्रीलंका को वापसी दिलाते हुए तीसरे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट के तीसरे दिन दूसरी पारी में भारत का स्कोर 21 रन पर तीन विकेट कर दिया।
आज का दिन भारतीय महिला हॉकी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आज हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन के मौके पर भारतीय महिला हॉकी टीम ने ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया। अगले साल ब्राजील के शहर रियो में होने वाले ओलिंपिक खेलों में 1980 के बाद पहली बार भारतीय टीम हिस्सा लेगी।
पिछले साल भारतीय जनता पार्टी केंद्र में सत्ता में क्या आई 1990 के दशक के मजहबी और जातिगत टकराव के गड़े मुर्दे मानो फिर से उखाड़े जाने लगे। एक तरफ जनगणना में धार्मिक समुदायों की जनसंख्या वृद्धि के चुनिंदा आंकड़े पूर्वाग्रह के रंग में रंगकर धीरे-धीरे सामाजिक और मुख्यधारा मीडिया में टपकाए जाने लगे और दूसरी ओर सत्तारूढ़ दल और उसके परिवार के तरह-तरह के गेरुआधारी ‘पूतों फलों’ और ‘घर वापसी’ के भड़काऊ भाषणों के जरिये बहुसंख्यक समुदाय का भयादोहन कर अल्पसंख्यकों के विरुद्ध उन्माद पैदा करने की कोशिश करने लगे। नतीजतन देश में कई जगह अल्प तीव्रता वाले सांप्रदायिक उपद्रव होने लग गए, खासकर उन राज्यों में जहां विपक्ष की सरकारें थीं और आगे चुनाव होने थे।