अलगाववादियों ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत कश्मीरी पंडितों से घाटी में उनकी वापसी पर चर्चा करने का फैसला किया है। आतंकवाद के चलते 26 साल से भी ज्यादा पहले घाटी छोड़ने को विवश हुए समुदाय को वापस लाने का अलगाववादियों का यह पहला गंभीर प्रयास है।
सैनिक कॉलोनियों और कश्मीरी पंडित बस्तियों के खिलाफ अलगाववादियों के गुरुवार को बंद के आह्वान से पहले घाटी के कई नेताओं को बुधवार को हिरासत में लिया गया या नजरबंद कर दिया गया।
भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी एनएसए स्तर की वार्ता से पहले पाकिस्तान ने कश्मीरी अलगाववादियों को बातचीत के लिए बुलाकर वार्ता को बड़ा झटका दिया है।
tजम्मू कश्मीर प्रशासन ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक सहित कई अन्य अलगाववादी नेताओं को आज नजरबंद कर दिया जबकि इस सप्ताह के शुरू में सेना की कार्रवाई में दो युवकों के मारे जाने के खिलाफ कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के आह्वान पर आयोजित हड़ताल का कश्मीर के कुछ हिस्सों में आंशिक प्रभाव दिखा।
जम्मू कश्मीर के बडगाम जिले में विरोध प्रदर्शन के दौरान सीआरपीएफ की गोलीबारी में एक युवक की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए। यहां हुर्रियत के कट्टरपंथी गुट की ओर से पिछले सप्ताह त्राल में दो युवकों के मारे जाने के खिलाफ बंद का आयोजन किया गया था।
पाकिस्तान उच्चायोग अब्दुल बसीत ने 23 मार्च को अपने देश के राष्ट्रीय दिवस पर हुर्रियत नेताओं को दावत दी कि मीडिया के एक हिस्से ने इसे द्विपक्षीय वार्ताओं से कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को अलग रखने के भारत-पाक करार का पुन: उल्लंघन बताया। लेकिन सरकारी प्रतिक्रिया को देखें तो असहज होते हुए भी भारत सरकार के लिए यह मसला इतना बड़ा नहीं है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत फिर स्थगित कर दी जाए।