एक नामी व्यापारिक समूह के युवा प्रबंध निदेशक ने अनौपचारिक बातचीत में मुझसे कहा था-‘कंपनी के कार्यकारी निदेशक रिश्ते में हमारे ताऊजी हैं और मैं पैर छूकर उनका अभिवादन करता हूं, लेकिन अब कामकाज के मामले उनकी बातें और पारंपरिक नीतियां मुझे कतई स्वीकार नहीं हैं।’ मेरी नजर में यह रवैया पाखंड ही कहा जाना चाहिए।
हिंदुत्ववादी ताक़तें लगातार धार्मिक ध्रुवीकरण को तेज़ करने की कोशिश कर रही हैं। कहीं पुल पर गांधी के हत्यारे गोडसे का नाम लिख कर तो कहीं गांधी पर हमला कर ये ताकतें अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही़ हैं।