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Search Result : "शिया मुसलमान समुदाय"

'हम बाइचांस इंडियन नहीं बल्कि बाइच्वाइस इंडियन हैं'

'हम बाइचांस इंडियन नहीं बल्कि बाइच्वाइस इंडियन हैं'

जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना सैयद महमूद मदनी ने कहा है कि मुसलमान बाइचांस इंडियन नहीं बल्कि बाइच्वाइस इंडियन हैं और वतन से प्यार था इसलिए वे भारत में रुके। मदनी ने यह बातें मेरठ में आयोजित हुसूले इंसाफ सम्मेलन में बोलीं।
पाक में हिंदू विवाह अधिनियम लागू करने वाला पहला प्रांत बना सिंध

पाक में हिंदू विवाह अधिनियम लागू करने वाला पहला प्रांत बना सिंध

पाकिस्तान की सिंध विधानसभा ने आज हिंदू विवाह अधिनियम पारित कर उसे देश का ऐसा पहला प्रांत बना दिया जहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय अपनी शादियों का पंजीकरण कराएगा। हालांकि, एक प्रमुख हिंदू संगठन ने इस ऐहितासिक विधेयक से एक विवादास्पद उपबंध हटाने की मांग की है।
पाकिस्तान: हिंदू विवाह विधेयक को संसदीय समिति ने दी मंजूरी

पाकिस्तान: हिंदू विवाह विधेयक को संसदीय समिति ने दी मंजूरी

पाकिस्तान में दशकों के विलंब और निष्क्रियता के बाद हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के पास अब जल्दी ही एक विवाह कानून होगा। देश के संसदीय पैनल ने हिंदू विवाह विधेयक को मंजूरी दे दी है।
मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारियां बंद होः मुस्लिम संगठन

मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारियां बंद होः मुस्लिम संगठन

‘ जब देश के गृहमंत्री दुनिया के सामने कहते हैं कि आईएस भारत में कभी अपनी जड़े नहीं जमा सकता क्योंकि भारतीय मुसलमान उसे पनपने ही नहीं देंगे तब लगातार मुसलमान नौजवानों को आईएस और अलकायदा से ताल्लुक रखने के आरोप में गिरफ्तार क्यों किया जा रहा है? क्या यह मुसलमानों को डराने की साजिश नहीं, इससे मुल्क का माहौल नहीं बिगड़ेगा?’ दिल्ली में देश के तमाम बड़े मुस्लिम सगंठनों ने एक प्रैस वार्ता में यह सवाल पूछा।
दलितों और मुस्लिमों के पिछड़ेपन की अहम वजह है भेदभाव: थोराट

दलितों और मुस्लिमों के पिछड़ेपन की अहम वजह है भेदभाव: थोराट

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट ने दूसरे वर्गों के मुकाबले दलितों और मुसलमानों के शिक्षा, रोजगार एवं राजनीतिक प्रतिनिधित्व में पिछड़े होने का दावा करते हुए शनिवार को कहा कि इस पिछड़ेपन की सबसे बड़ी वजह इन दोनों समुदायों के साथ होने वाला कथित भेदभाव है।
आईएसआईएस के खतरे पर मुस्लिम धर्मगुरूओं से मिले राजनाथ

आईएसआईएस के खतरे पर मुस्लिम धर्मगुरूओं से मिले राजनाथ

आईएसआईएस की ओर से भारतीय नौजवानों को कथित तौर पर आकर्षित करने के प्रयासों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज देश के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरूओं से मुलाकात की और आतंकी समूह के मंसूबों को नाकाम करने में उनका सहयोग मांगा।
मुसलमानों ने किया 84 साल के कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार

मुसलमानों ने किया 84 साल के कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार

दिल को छू लेने वाली कश्मीरियत की मिसाल कायम करते हुए दक्षिण कश्मीर में कुलगाम जिले के एक गांव के मुसलमानों ने एक कश्मीरी पंडित का अंतिम संस्कार किया। यह कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के खतरे के कारण घाटी छोड़ने की बजाए अपनी जड़ों से चिपका रहा। उसने घाटी छोड़ कहीं और बसने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था जबकि उसके सभी परिजन घाटी से पलायन कर गए।
सीरिया: शिया मस्जिद के पास सिलसिलेवार धमाके, 45 की मौत

सीरिया: शिया मस्जिद के पास सिलसिलेवार धमाके, 45 की मौत

सीरिया में शिया मस्जिद के निकट रविवार को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 45 लोगों की मौत हो गई। धमाके सीरिया की राजधानी दमिश्क के दक्षिण में स्थित एक शिया बहुल जिले में हुए जिसमें 100 से ज्‍यादा घायल हो गए।
मुसलमानों पर अरबों खर्च लेकिन हालात बद से बद्तर

मुसलमानों पर अरबों खर्च लेकिन हालात बद से बद्तर

भारत में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक है मुसलमान। मगर सबसे बड़ा यह अल्पसंख्यक संपन्न अल्पसंख्यक नहीं है। उसे 68 साल से लगातार बैसाखियों की जरूरत पड़ती रही है, मगर उसे अक्सर यह बैसाखी या तो टूटी हुई मिली है या मिली ही नहीं। सवा 12 साल पिछले और डेढ़ साल इस सरकार का छोड़ दें तो आजाद भारत करीब 54 साल ऐसे गुजरे हैं जब देश की सत्ता कांग्रेस के हाथों में रही है। सबसे बड़े अल्पसंख्यक मुसलमान को ज्यादातर जो बैसाखी मिली हैं वह इसी कांग्रेस के राज में दी गईं, तो मुसलमान की हालत इतनी खराब क्यों है।
‘राम मंदिर मुद्दा पैसा कमाने की मशीन है’

‘राम मंदिर मुद्दा पैसा कमाने की मशीन है’

मैं अयोध्या के बाराबंकी कस्बे का रहने वाला हूं। मैंने अपने इलाके और उसके आसपास कभी राम मंदिर और बाबरी मस्जिद को लेकर नफरत का माहौल नहीं देखा। इस माहौल की शुरूआत दिल्ली से हुई। सन 1947 में हमारी जमीन बंटी और 1992 में हमारे दिल बंट गए। जिस दिन हमारे दिल बंटे, वह दिन हमारे लिए सबसे बदनसीब दिन था। चुनाव जीतने के चक्कर में हमारी नस्लें बरबाद हो गईं। हैरान हूं कि यह लोग अभी भी चैन से नहीं बैठ रहे हैं। आखिर यह इस मुद्दे को कहां ले जाकर छोड़ना चाहते हैं?
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