नोबल पुरस्कार विजेता और नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति अमर्त्य सेन ने गहरी पीड़ा से लिखे पत्र में इस बात का खुलासा किया है कि केंद्र सरकार उन्हें इस विश्वविद्यालय के कुलपति के तौर पर दूसरी पारी नहीं देने की इच्छुक है। इस पत्र के बाद से आकादमिक जगत में बढ़ती राजनीतिक दखलंदाजी पर तीखी चर्चा शुरू हो गई है।
भारतीय साहित्य में आजकल एक नई धारा चर्चा में है। आदिवासी साहित्य नाम की इस धारा के लेखक दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में जुटे और उन्होंने आदिवासी जीवन से जुड़े मुद्दों को साहित्य में उठाने की वकालत की।
मराठी के जाने माने साहित्यकार भालचंद्र नेमाड़े को 50वां ज्ञानपीठ पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई। नेमाड़े देश का सर्वोच्च साहित्य सम्मान पाने वाले 55वें साहित्यकार हैं। इससे पहले पांच दफा यह पुरस्कार संयुक्त रूप से प्रदान किया गया था।
जयपुर धीरे-धीरे देश की साहित्यिक राजधानी बन गया है। देश का सबसे बड़ा साहित्योत्सव यहां 21 से 25 जनवरी के बीच आयोजित किया गया जिसमें भारत ही नहीं पूरी दुनिया के चर्चित साहित्यकार शामिल हुए।