इंग्लिश-विंग्लिश के बाद श्रीदेवी ने मॉम के रूप में एक बार फिर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। फिल्म शुरू होते ही लगता है कि निर्देशक रवि उद्यावर कुछ ऐसा रचने जा रहे हैं जो श्री और सभी के खाते में एक ऐतिहासिक सफलता दर्ज करा जाएगा। लेकिन फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, बॉलीवुडिया मसाले की अधिकता उसे एक आम फिल्म बना कर छोड़ती है। फिल्मी संवाद, रोना, फिर विलेन को मारना और दो लोगों की गलतफहमी प्यार में बदल जाती है। बस फिल्म खत्म।
बसपा मुखिया मायावती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता से बोनस वोट मांग रहे मोदी का भाजपा को बहुमत मिलने का दावा हवा-हवाई है।
परपन्ना अग्रहारा जेल में सजा काट रही अन्नाद्रमुक महासचिव शशिकला को दस करोड़ रूपये की जुर्माना राशि के भुगतान में विफल रहने पर 13 माह और जेल की सजा काटनी पड़ सकती है।
नोटबंदी के इस भीषण दौर में अगर आप एटीएम की कतार तोड़कर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं तो यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है। यहां तक कि आपको इस अपराध के एवज में जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है। सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में ऐसा ही वाकया देखने को मिला है।
दिल्ली में करीब एक सप्ताह तक धुंध की चादर छाये रहने और प्रदूषण बड़े स्तर पर बढ़ने के बाद आज शहर की हवा की गुणवत्ता बेहतर हुई है। वहीं दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के स्तर से निपटने के लिए जनता की मदद पाने के मकसद से स्वच्छ दिल्ली एप्प को अतिरिक्त विशेषताओं के साथ फिर से शुरू किया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की स्मार्ट फोन योजना को छलावा बताते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि सपा सरकार जनता को वैसे ही हवा हवाई सपने दिखा रही है, जैसे 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिखाए थे।
कश्मीर में हिंसा और बंद को सरकार के राजपत्रित अधिकारी और पुलिस कर्मी भी हवा दे रहे हैं। अलगाववादियों की मंशा को पूरा करने में अधिकारी बराबर मदद कर रहे हैं। ऐसे 150 सरकारी मुलाजिमों की अब तक पहचान की जा चुकी है। सूबे की सरकार ने हालांकि इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसका भविष्य भयावह है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में दिये गये आंकड़े बताते हैं कि वायु प्रदूषण के कारण भारत में 1.4 मिलियन लोग असामयिक मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं, यानि यह हर 23 सेकंड में एक जान ले रहा है। जिस ईंधन का प्रयोग आज हम करते हैं वह 2030 आने तक प्रदूषकों से हवा को इतना जहरीला बना देगा कि आॅक्सीजन किट के बिना जीना और चलना-फिरना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।