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यूजीसी पर कब्जा आंदोलनः छात्रों ने घेरा, डाला डेरा

यूजीसी पर कब्जा आंदोलनः छात्रों ने घेरा, डाला डेरा

यूजीसी पर कब्जा आंदोलन देश भर में फैल रहा है। छात्रों के बीच आक्रोश उफान पर है। सरकार की छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन एक तरह से बड़े राजनीतिक सवालों को भी उठा रहा है।
'यह जेएनयू और स्वामी दोनों को प्रताड़ित करने जैसा होगा'

'यह जेएनयू और स्वामी दोनों को प्रताड़ित करने जैसा होगा'

अर्थशास्त्री, लेखक, प्रोफेसर, वरिष्ठ वकील और भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति बनाए जाने की संभावनाओं पर दिन भर सोशल मीडिया पर तीखी बहस जारी रही। मीडिया में आई खबरों के अनुसार मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी ने इसके लिए स्वामी का नाम प्रस्तावित किया है। हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। इसमें कितनी सच्चाई है यह भी नहीं पता लेकिन दिनभर इसपर तीखी प्रतिक्रियाएं आती रहीं-
अमित शाह ने मोदी को दिया डीयू व जेएनयू की कामयाबी का श्रेय

अमित शाह ने मोदी को दिया डीयू व जेएनयू की कामयाबी का श्रेय

दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू छात्र संघ चुनावों में एबीवीपी को मिली सफलता से उत्साहित होते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इन सफलताओं का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया।
जिस्म बाजार की तंग गलियों में तंग जिस्मोरूह

जिस्म बाजार की तंग गलियों में तंग जिस्मोरूह

मदार गेट पर खाकी वर्दीधारी ने रिक्शेवाले से तंज आवाज में कहा ’ऐ, सुनो इन्हें रंडी बाजार की गली में छोड़ दो।’ तहजीब के शहर अलीगढ़ में मेरे कानों में पड़े ये पहले अल्फाज थे। दो हिस्सों में बंटे अलीगढ़ शहर का ‘मदार गेट’ पुराने शहर का हिस्सा है। तंग गलियां, रोजमर्रा के सामान की दुकानें, दुकानों के ऊपर घरों से झांकते झरोखे और पुरानी पड़ चुकी बिजली की तारों का जाल। काफी कुछ पुरानी दिल्ली जैसा। कुछ कोस की दूरी के बाद रिक्शावाले ने मुझे मदार गेट की उस गली में छोड़ दिया। खाकी वर्दीधारी मोटरसाइकिल पर मेरे पीछे आए। गली में मूढ़े पर एक खूबसूरत महिला चटख पीले रंग के कपड़ों में बैठी है। वर्दीधारी ने उस से कहा ‘यह मैडम दिल्ली से आई हैं, तुम लोगों से बात करेंगी।‘ इतना बोलकर वहां से चले गए। उस महिला ने मुझे बैठने के लिए मूढ़ा दिया। काफी देर तक हम यहां-वहां की बातें करते रहे।
व्यवस्था की विकलांगता ही चुनौतीः केदार

व्यवस्था की विकलांगता ही चुनौतीः केदार

जब वह मेरे दफ्तर मिलने के लिए आए तो अचानक ही लगा कि मेरा दफ्तर भी विकलांग व्यक्ति के लिए कितना असुविधाजनक है। वह हथेलियों में हवाई चप्पल पहने हुए पूरी सहजता और जबर्दस्त आत्मविश्वास के साथ दफ्तर में आ चुके थे। तकरीबन लपकते हुए वह कुर्सी की ओर बढ़े।
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