Advertisement

Search Result : "Pariksha par charcha"

कीटनाशक, बीज विधेयकों को संसद के अगले सत्र में मंजूरी मिलने की उम्मीद: कृषि राज्य मंत्री

कीटनाशक, बीज विधेयकों को संसद के अगले सत्र में मंजूरी मिलने की उम्मीद: कृषि राज्य मंत्री

सरकार को कीटनाशक प्रबंधन और बीज से जुड़े दो बहुप्रतीक्षित विधेयकों के संसद के आगामी सत्र में पारित...
'परीक्षा पे चर्चा 2.0' में बोले पीएम मोदी, मां-बाप बच्चों की तुलना न कर उन्हें प्रोत्साहित करें

'परीक्षा पे चर्चा 2.0' में बोले पीएम मोदी, मां-बाप बच्चों की तुलना न कर उन्हें प्रोत्साहित करें

हर साल की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परीक्षा से पहले छात्रों को तनाव मुक्त करने के लिए...
नोटबंदी से कितना कालाधन हुआ खत्म 'नहीं पता': आरबीआई

नोटबंदी से कितना कालाधन हुआ खत्म 'नहीं पता': आरबीआई

आरबीआई ने एक संसदीय समिति को जानकारी दी है कि उसे यह नहीं पता है कि 500 और 1000 के नोटों को बंद करने के बाद कितनी बेहिसाबी नकदी को वैध धन में बदला गया है।
राजीव गांधी को 72वें जन्मदिवस पर देश ने याद किया

राजीव गांधी को 72वें जन्मदिवस पर देश ने याद किया

राष्ट्र ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को उनके 72वें जन्मदिवस के मौके पर आज स्मरण किया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की, जबकि सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों से श्रंद्धाजलि अर्पित करने नहीं पहुंच सकीं।
चर्चा: छोटे पर्दे पर धार बिना तलवारबाजी। आलोक मेहता

चर्चा: छोटे पर्दे पर धार बिना तलवारबाजी। आलोक मेहता

मीडिया के कुछ लोगों को तो पूर्वाग्रही कहा जा सकता है और प्रतियोगी भाव कि प्रधानमंत्री ने अर्णब गोस्वामी को ही पहले इंटरव्यू के लिए क्यों चुना? हम जैसे पत्रकार मानते हैं कि यह अर्णब गोस्वामी की बड़ी सफलता है, जो प्रधानमंत्री को अपने चैनेल को इंटरव्यू के लिए तैयार कर सके। इसी तरह नरेंद्र मोदी ने भी पुराने ढर्रे को त्यागकर दूरदर्शन अथवा लोक सभा, राज्य सभा टी.वी. चैनलों के बजाय एक निजी चैनल को इंटरव्यू देने का फैसला कर नया अध्याय जोड़ा। यूं उनकी सरकार दावा यही करती है कि प्रसार भारती के दूरदर्शन चैनल की पहुंच दूरदराज के गांवों सहित देश के हर कोने में है, जहां निजी अंग्रेजी चैनल तो क्या हिंदी चैनल की पहुंच भी नहीं है।
चर्चा : जनमत संग्रह के भूत का मोह। आलोक मेहता

चर्चा : जनमत संग्रह के भूत का मोह। आलोक मेहता

ब्रिटेन पर कब कितना असर होगा, कोई नहीं बता सकता। लेकिन जनमत संग्रह के हिंदुस्तानी प्रवर्तक अरविंद केजरीवाल ‘भूत-चुड़ैल-आत्मा’ को जगाने-बुलाने के तमाशे में माहिर हैं। वह पिछले दो वर्षों के दौरान ‘जनमत संग्रह’ शैली में डेढ़ करोड़ की आबादी में से डेढ़ लाख के नाम पर बटन दबवाकर अपना फरमान जारी करते रहे हैं।
Advertisement
Advertisement
Advertisement