2002 के हिट एंड रन मामले में सलमान खान की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में सलमान खान को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है।
महाराष्ट्र के अखबार में रविवार को निकलने वाले सप्लीमेंट मंथन पेज पर एक लेख प्रकाशित हुआ। इस लेख को लेकर एक समुदाय में गुस्सा बढ़ गया और अखबार के कार्यालय में तोड़ फोड़ हुई।
महाराष्ट्र मुख्यमंत्री राहत कोष से एक डांस ग्रुप की थाईलैंड यात्रा के लिए आठ लाख रुपये मंजूर किए जाने पर विवाद पैदा हो गया है। विपक्ष ने सवाल उठाया है कि एक ऐसे समय में, जबकि राज्य भीषण सूखे की मार झेल रहा है, तब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं?
उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र पुलिस कानून में 2014 में किए गए संशोधन के कार्यान्वयन पर आज रोक लगा दी। इस संशोधन के तहत बार और कुछ अन्य स्थलों पर डांस कार्यक्रमों के आयोजन पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
शिवसेना के विरोध के बाद मुंबई में पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम के कार्यक्रम को रद्द किए जाने के बाद कई फिल्मी हस्तियों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इनमें जानी-मानी अभिनेत्री शबाना आजमी, संगीतकार विशाल डडलानी और शेखर रावजियानी हैं। सभी ने इस कदम की निंदा की है।
बिहार चुनाव में समाजवादी पार्टी और पैंथर्स पार्टी दुविधा में पड़ गई हैं जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा और शिवसेना की मुश्किल भी चुनाव चिह्न को लेकर ही है। दरअसल, चुनाव आयोग ने सपा और पैंथर्स पार्टी को साइकिल पर ही चुनाव लड़ने की अनुमति दी है जबकि झामुमो और शिवसेना तीर-कमान लेकर एक-दूसरे के आमने-सामने टकरा रही है।
नाना पाटेकर के बाद अक्षय दूसरे ऐसे अभिनेता हैं जो सूखा प्रभावित किसानों की मदद के लिए आगे आए हैं। महाराष्ट्र में विशेषकर मराठवाड़ा में भयंकर सूखे की स्थिति है। घोर कृषि संकट के कारण खुदकुशी करने वाले 180 किसानों के परिवारों को सिंह इज किंग के अभिनेता की आर्थिक सहायता मुहैया कराने की योजना है।
एक नवंबर से महाराष्ट्र सरकार ऑटो चलाने के परमिट के लिए नियमों में एक नया बदलाव करने जा रही है। इसके तहत मुंबई में अब उन्हीं लोगों को ऑटो चलाने का परमिट दिया जाएगा, जो मराठी भाषा बोल सकते हैं। इस फैसले के परिणाम का आकलन इसी से लगाया जा सकता है कि मुंबई में अच्छी खासी संख्या में उत्तर भारतीय लोग ऑटो चलाते हैं।
हाल में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक भारत में शहरों की तुलना में गांवों में बच्चों का टीकाकरण कराने की दर बेहतर है जबकि पहले के अध्ययनों के परिणामों में इसके विपरीत बात कही गई थी। इसके साथ ही टीकाकरण की दर के मामले में मुसलमानों के बजाए हिंदू परिवारों के बच्चे बेहतर स्थिति में हैं।