वेस्टइंडीज को अंदाजा है कि उनका विजयरथ चालू है...ओवर की चौथी गेंद ...ओह गेंद सीधी मुंह पर.....काफी दर्दनाक.....बहुत ही दर्दनाक..... मुझे अक्सर ताज्जुब होता है कि बल्लेबाज ने सुरक्षा के सारे साजो-सामान क्यों नहीं पहने थे। प्यार और जंग में सब जायज है।
एक जुलाई से जीएसटी (माल और सेवा कर) लागू होने से पहले बाजार में बहुत कुछ सस्ता मिल रहा, इसलिए शॉपिंग का यहा अवसर चूकना नहीं चाहिए। इसके अलावा बाजार में स्टॉक् क्लीयरेंस सेल चल रही है। शॉपिंग का इससे बढ़िया मौका और कहा मिलेगा।
एक ओर जहां किसान कृषि उत्पादों का उचित दाम नहीं मिल पाने की चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं, वहीं अब इसकी बानगी आंकड़ों में भी दिखाई देने लगीं हैं। मई माह में महंगाई दर 3.85 फीसदी के मुकाबले घटकर 2.17 फीसदी हो गई है। इस दौरान खाद्य एवं कृषि उत्पादों की महंगाई दर में भारी कमी दर्ज की गई है।
दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जीएसटी दरों को कम करने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरें ज्यादा होने से देश में महंगाई और इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा।
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बैंच ने केंद्र सरकार के पशु मंडियों में वध के लिए जानवरों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध के विवादास्पद फैसले पर 4 हफ्तों के लिए रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस फैसले पर चार हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। गौरतलब है कि कई राज्य सरकारें केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध कर रही थी।
एसबीआई शोध रिपोर्ट इकोरेप के अनुसार रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के 4 से 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है, लेकिन यह इससे कम रहेगा क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति इस साल जुलाई तक 4 प्रतिशत के आंकड़े को शायद ही पार करे।
यह बसपा प्रमुख मायावती के राज में हुआ ऐसा कथित घोटाला है, जिसे लोग पहले दिन से ही घोटाला मानते हैं। लेकिन साबित आज तक नहीं हो पाया। इस मामले में मायावती के साथ-साथ अखिलेश यादव पर भी शिकंजा कसना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद महंगाई बढ़ने की आशंका जताते हुए डिजिटल भुगतान को सुरक्षित बनाए जाने की आवश्यकता पर आज बल दिया। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने कहा है कि अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का जो अस्थायी प्रतिकूल असर था वह काफी हद तक कमजोर पड़ चुका है।
रिजर्व बैंक ने मुद्रस्फीति का जोखिम बढ़ने का खतरा देखते हुए लगातार दूसरी बार द्वैमासिक समीक्षा में अपनी मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 प्रतिशत पर यथावत रखा।