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टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने बताई भाजपा से हाथ मिलाने की वजह, वोट बंटवारे को लेकर दिया ये बयान

टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने बताई भाजपा से हाथ मिलाने की वजह, वोट बंटवारे को लेकर दिया ये बयान

टीडीपी सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को कहा कि जनसेना, बीजेपी और टीडीपी ने आंध्र प्रदेश को...
स्पेन की शीर्ष दो डिवीजन फुटबाल लीग के पांच खिलाड़ी कोरोना पॉजिटिव, ला लिगा ने किया प्रोटोकॉल तैयार

स्पेन की शीर्ष दो डिवीजन फुटबाल लीग के पांच खिलाड़ी कोरोना पॉजिटिव, ला लिगा ने किया प्रोटोकॉल तैयार

स्पेन की शीर्ष दो फुटबॉल लीग के पांच खिलाड़ी कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए हैं। ला लिगा ने रविवार को...
बिहार : राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी दो फाड़ हुई

बिहार : राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी दो फाड़ हुई

तीन सांसदों और दो विधायकों वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) दो फाड़ हो गई। केंद्रीय मानव संसाधन विकास रायमंत्री उपेंद्र कुशवाहा गुट द्वारा प्रदेश अध्यक्ष पद से बर्खास्त किए गए सांसद डॉ. अरुण कुमार के गुट ने पार्टी की राष्ट्रीय समिति व राय परिषद का विशेष महाधिवेशन बुलाकर उपेंद्र कुशवाहा को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर दिया है।
जयराम रमेश की तमन्‍ना, यूपी के चार टुकड़े जल्‍द हों

जयराम रमेश की तमन्‍ना, यूपी के चार टुकड़े जल्‍द हों

कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी के निकटस्‍थ रणनीतिकार और सांसद जयराम रमेश ने कहा है कि उत्‍तर प्रदेश के चार टुकड़े जल्‍द से जल्‍द होने चाहिए। उत्‍तर प्रदेश में चुनाव के पहले जयराम की इस मांग पर प्रदेश में अलग अलग राय और विवाद रहे हैं।
सूचना-प्रसारण मंत्री जेटली ने 90 के दशक से नहीं देखी कोई फिल्म

सूचना-प्रसारण मंत्री जेटली ने 90 के दशक से नहीं देखी कोई फिल्म

देश के विभाजन के दर्द के बीच बड़े हुए भाजपा नेता अरुण जेटली राजनीति के बड़े मुकाम पर हैं। पीएम नरेंंद्र मोदी के बाद दूसरे नंबर पर राजनाथ सिंह के साथ प्रतिष्ठित तथाा वित्‍त, कारपोरेट मामले और सूचना प्रसारण मंत्रालय की बागडोर संभाल रहे जेटली का राजनीतिक सफर 70 के दशक में अखिल भारतीय विद़यार्थी परिषद से शुरु हुआ। आज भले ही अरुण जेटली सूचना एवं प्रसारण मंत्री का काम भी संभाल रहे हों मगर 90 के दशक से अबतक उन्होंने शायद कोई फिल्म नहीं देखी है।
धर्म और धुंध

धर्म और धुंध

संजीव श्रीवास्तव पेशे से टीवी पत्रकार हैं। उनकी एक पुस्तक - समय, सिनेमा और इतिहास भारत सरकार के प्रकाशन विभाग से प्रकाशित है। संजीव की कविताओं में धर्म, राजनीति और इस सबके बीच पिसती मनुष्यता का ऐसा विवरण है जो किसी को भी सोचने पर मजबूर कर सकता है।
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