केंद्र सरकार ने बीपीएल परिवारों की चीनी की सब्सिडी बंद कर दी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सब्सिडी बहाल करने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश में लगातार कड़े और बड़े फैसले लेने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देर रात अधिकारियों के साथ एक बैठक की जिसमें उन्होंने फर्जी राशनकार्ड धारकों से रिकवरी और भू-माफियाओं के खिलाफ टास्क फोर्स का ऐलान करने का फैसला लिया। सीएम योगी ने बैठक में भूमिहीन किसानों के दो बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए छात्रवृत्ति भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
यह बसपा प्रमुख मायावती के राज में हुआ ऐसा कथित घोटाला है, जिसे लोग पहले दिन से ही घोटाला मानते हैं। लेकिन साबित आज तक नहीं हो पाया। इस मामले में मायावती के साथ-साथ अखिलेश यादव पर भी शिकंजा कसना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 2010-11 में मायावती शासन के दौरान राज्य की 21 चीनी मिलों की बिक्री में हुए 1100 करोड रुपये के घोटाले की जांच के निर्देश दिये हैं। प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि आवश्यकता पड़ने पर मामले की सीबीआई जांच भी करायी जाएगी।
दावोस में विश्व आर्थिक मंच की शुरूआत से पहले, ऑक्सफेम ने आज कहा कि आठ व्यक्तियों के पास उतनी संपत्ति है जितनी दुनिया की आधी आबादी के पास है और इससे हमारे समाजों में विभाजन का खतरा पैदा होता है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि अगर देश को व्यापक आधार वाली अर्थव्यवस्था बनाना है तो दुनिया के दूसरे देशों के अनुरूप कर दरों का निम्न स्तर होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यह विचार अब बीते दिनों की बात हो गयी है कि कर की ऊंची दरों से अधिक राजस्व मिलता है, 1991 से अर्थव्यवस्था का यह सिद्धांत बदल गया है।
वैश्विक स्तर पर दिक्कतों तथा घरेलू मोर्चे पर नकदी की कमी की वजह से कर्मचारियों या नौकरी तलाश कर रहे लोगों के लिए नया साल चुनौतीपूर्ण रहेगा। कर्मचारी पहले से ही देखो और इंतजार करो की नीति अपना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वेतनवृद्धि में भी कमजोर रुख दिख रहा है।
देश में अरहर दाल की इस बार भरपूर पैदावार होने का दावा करते हुए केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि जो जमाखोर अरहर की दाल इस लालच में जमा किए हुए हैं कि एक बार फिर अरहर के दाम बढ़ेंगे तो वह इस मुगालते में न रहें और अपनी दाल बाजार में निकाल दें, क्योंकि फसल अच्छी होने के कारण इस बार उन्हें कुछ मिलने वाला नहीं है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के दर्जे की समीक्षा करने के नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के तहत आयोग अब पांच साल के बजाय हर दस साल पर राजनीतिक दलों की राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मान्यता की समीक्षा करेगा।