वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के अंत तक जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 92,376 करोड़ रुपये का बकाया था।
रिण भुगतान में जानबूझकर चूक करने वालों की गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए आयकर विभाग ने ऐसी कंपनियों के स्थायी खाता संख्या (पैन) पर रोक लगाने, एलपीजी सब्सिडी रद्द करने और ऐसे कई कदम उठाने का फैसला किया है ताकि यह सुनिश्चित हो कि उन्हें कर्ज न मिले।