जन्मदिन: गुलज़ार के यहां दरिया सिर्फ बहता नहीं बल्कि 'बुड़-बुड़' बहता है अपने रचना संसार में डूबे हुए गुलज़ार आजकल अनुवाद की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। AUG 18 , 2017
गुलजार की लकीरें 28 जून को दिल्ली का सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम गुलजार के चाहने वालों से भरा हुआ था। आखिर गुलजार के नज्मों और कहानियों का मंचन जो होने वाला था। JUN 30 , 2015
कागज-कलम की आदत नहीं बदल सकता: गुलज़़ार बीते पचास से भी ज्यादा वर्ष से शायरी और फिल्मी गीत लिख रहे गुलज़ार वैसे तो आधुनिक पीढ़ी के साथ लगातार तालमेल बिठाते रहे हैं लेकिन उनका कहना है कि वह कलम से कागज पर लिखने की अपनी पुरानी आदत नहीं बदल सकते। MAY 21 , 2015
मैं कलाकार नहीं हूं: गुलजार पहली बार चारकोल रेखाचित्रों के साथ सामने आ रहे मशहूर गीतकार गुलजार का कहना है कि वह खुद को कलाकार नहीं मानते हैं। MAY 14 , 2015