एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में दिल्ली में चल रहे एक रणजी मुकाबले के दौरान मैदान पर ही दो खिलाड़ी आपस में भीड़ गए। दोनों ही खिलाड़ी अपनी अपनी टीम के कप्तान भी हैं।
देश के सभी कोनों से, सभी भाषाओं में एक ही आवाज उठ रही है। यह अपने आप में ऐतिहासिक परिघटना है। इससे पहले इस देश में इतने बड़े पैमाने पर लेखकों-साहित्यकारों-रंगकर्मियों ने एक साथ एक ही मुद्दे पर मिलकर आवाज नहीं उठाई थी। वे सब अलग-अलग राज्यों से, अपनी-अपनी भाषाओं में एक ही स्वर बोल रहे हैं।