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Search Result : "क्षमा"

मैं भगवान जगन्नाथ के भक्तों से क्षमा मांगता हूं... पुरी में मची भगदड़ पर बोले ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी

मैं भगवान जगन्नाथ के भक्तों से क्षमा मांगता हूं... पुरी में मची भगदड़ पर बोले ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी

ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने रविवार को पुरी में एक मंदिर के पास भगदड़ के लिए भगवान जगन्नाथ के...
केजरीवाल अमृतसर जाकर बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा पर क्षमा याचना करें, पद से इस्तीफा दें: भाजपा

केजरीवाल अमृतसर जाकर बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा पर क्षमा याचना करें, पद से इस्तीफा दें: भाजपा

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को अमृतसर में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा को कथित तौर पर...
तिरुपति लड्डू विवाद: जगन ने मुख्यमंत्री के ‘पाप’ के लिए मंदिरों में ‘क्षमा’ अनुष्ठान का आह्वान किया

तिरुपति लड्डू विवाद: जगन ने मुख्यमंत्री के ‘पाप’ के लिए मंदिरों में ‘क्षमा’ अनुष्ठान का आह्वान किया

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी प्रमुख वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने बुधवार को लोगों से 28 सितंबर को आंध्र प्रदेश...
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी को झटका, वरिष्ठ नेता रघुवंश सिंह ने पार्टी से दिया इस्तीफा; कहा- 'मुझे क्षमा करे'

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी को झटका, वरिष्ठ नेता रघुवंश सिंह ने पार्टी से दिया इस्तीफा; कहा- 'मुझे क्षमा करे'

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। गुरुवार को...
सुनीता जैन को व्यास सम्मान

सुनीता जैन को व्यास सम्मान

एक गरिमामय समारोह में डॉ. सुनीता जैन को उनकी कृति क्षमा के लिए 25वां व्यास सम्मान प्रदान किया गया। डॉ. जैन ने क्षमा के माध्यम से तुलसीदास-रत्नावली के संबंधों का मार्मिक वर्णन किया है।
मानवीय भावनाओं की कहानी - मंगलसूत्र

मानवीय भावनाओं की कहानी - मंगलसूत्र

सुपरिचित कथाकार। बाल साहित्य पर भी बहुत काम और बच्चों के लिए कई कहानी पुस्तकें प्रकाशित। मोबाइल, लड़की जो देखती पलटकर, नेम प्लेट चर्चित कहानी संग्रह। कई पुरस्कार एवं सम्मान। अखबारों में सामयिक मुद्दों पर लगातार लेखन।
2015 का व्यास सम्मान सुनीता जैन को

2015 का व्यास सम्मान सुनीता जैन को

प्रख्यात लेखिका डॉक्टर सुनीता जैन के काव्य संग्रह क्षमा को साल 2015 के प्रतिष्ठित व्यास सम्मान के लिए चुना गया है। उनके इस कविता संग्रह का प्रकाशन साल 2008 में हुआ था।
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