व्यवस्था की विकलांगता ही चुनौतीः केदार
जब वह मेरे दफ्तर मिलने के लिए आए तो अचानक ही लगा कि मेरा दफ्तर भी विकलांग व्यक्ति के लिए कितना असुविधाजनक है। वह हथेलियों में हवाई चप्पल पहने हुए पूरी सहजता और जबर्दस्त आत्मविश्वास के साथ दफ्तर में आ चुके थे। तकरीबन लपकते हुए वह कुर्सी की ओर बढ़े।