सोशल मीडिया पर किस तरह से नफरत फैलाई जा रही है और किस तरह क ध्रुवीकरण किया जा रहा है, वह बेहद खौफनाक है। इसकी आलोचना भी सोशल मीडिया पर हो जरूर रही है लेकिन बहुत ही सीमित दायरे में और उसकी पहुंच बेहद सीमित है।
इस समय आरएसएस ट्वीटर हैंडल @आरएसएस ओआरजी से जिस तरह के ट्वीट आ रहे हैं, वे मुसलमानों के खिलाफ तीखी नफरत फैलाने वाले हैं। इनमें खुलेआम उनका आर्थिक बहिष्कार करने का आह्वान किया गया है। इनमें कहा जा रहा है कि किसी भी तरह की खरीद करने, गाड़ी बुक करने या बाल कटवाने से पहले व्यक्ति का नाम देख लेना चाहिए। अगर वह “जेहादी “ है तो उसे पांच पैसे का भी कारोबार नहीं देना चाहिए। जो लोग इन लोगों को कारोबार देते हैं वे दरअसल मौत के सौदागरों को रोटी देते हैं। यहां तक कि इनमें यह भी कहा गया है कि करीम का चिकन खाने के बजाय राजेंद्र का चिकन खाना चाहिए।
इस ट्वीटर हैंडल के हजारों में फोलोवर्स हैं, जिनमें भाजपा, संघ, एवीबीपी के शीर्ष नेता भी शामिल हैं। इसके विरोध में ट्वीटर और फेसबुक पर कई कमेंट आ रहे हैं। लोगों का मानना है कि इस तरह के संदेश समाज में वैमन्सय फैलाने वाले हैं और इन पर तुरंत रोक लगनी चाहिए। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसी ही नफरत और आर्थिक बहिष्चाक की बातें 2002 में गुजरात नरसंहार से पहले फैलाई गई थीं।