Advertisement

क्यों लग रहे हैं ‘डव’ के विज्ञापन पर नस्लभेदी होने के आरोप?

कुदरत ने रंग-बिरंगी और विविधताओं से भ्‍ारी एक नायाब दुनिया की रचना की है। लेकिन कुछ इंसानों के भीतर...
क्यों लग रहे हैं ‘डव’ के विज्ञापन पर नस्लभेदी होने के आरोप?

कुदरत ने रंग-बिरंगी और विविधताओं से भ्‍ारी एक नायाब दुनिया की रचना की है। लेकिन कुछ इंसानों के भीतर किसी एक रंग को अच्छा और दूसरे रंग को बुरा कहने की प्रवृत्ति समाज में दागदार शक्ल पेश कर रही है। एक तरफ जहां रंगों के इस विभाजन से समाज तकसीम हो रहा है वहीं बाजार इसे भड़काकर अपने हित में जुटा है।

कॉस्मैटिक्स के ब्रांड डव के एक नए विज्ञापन अभियान पर बहस शुरू हो गई है। दरअसल, डव ने अपने प्रमोशन के तहत एक साथ कई तस्वीरें लॉन्च की हैं उसमें से एक तस्वीर में एक अश्वेत महिला बाथरूम में दिखाई दे रही है। उसके बगल में एक बॉडी वॉश रखा हआ है। महिला अपनी भूरी रंग की टीशर्ट उतारती है और उसके बाद की तस्वीर में एक श्वेत महिला मुस्कुराती हुई दिखाई देती है।

 

इस विज्ञापन के जारी होने के बाद लोग इसे इस पर नस्लभेदी होने के आरोप लगा रहे हैं। अमरो अली नाम के एक शख्स ने ट्वीट किया, ‘डव’ के नस्लभेदी विज्ञापन का समर्थन नहीं किया जा सकता। उनका माफी मांगना भी आश्वस्त नहीं करता। यह पहली बार नहीं है।”

कई लोगों ने डव के इस विज्ञापन की आलोचना करते हुए कहा कि डव को लगता है कि काली त्वचा गंदी है और सफेद त्वचा साफ है।

हालांकि सोशल मीडिया में भारी विरोध के बाद कंपनी ने ट्विटर और फेसबुक पर पोस्ट करके माफी मांगी है।

गौरतलब है कि इससे पहले भी कई ऐसे सौंदर्य प्रसाधनों पर नस्लभेदी होने के आरोप लगे हैं। खासकर साबुन, क्रीम जैसे उत्पादों के विज्ञापन में ऐसी मानसिकता की झलक मिल जाएगी। सुखद यह है कि अब लोग इन अभियानों के खिलाफ खुला विरोध कर रहे हैं।

 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad