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चैम्पियंस ट्रॉफी: बुमराह के बिना भारत की उम्मीदें शमी के कलाई के जादू पर

मोहम्मद शमी के दाहिने हाथ में जादूगर सा फन है और अपनी कलाई के झटके से वह दुनिया के सबसे बेहतरीन...
चैम्पियंस ट्रॉफी: बुमराह के बिना भारत की उम्मीदें शमी के कलाई के जादू पर

मोहम्मद शमी के दाहिने हाथ में जादूगर सा फन है और अपनी कलाई के झटके से वह दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों को चकमा दे सकते हैं लेकिन क्या वह इस जादू से भारत को बारह साल बाद आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में मदद कर सकते हैं?

 
चौतीस वर्ष के शमी चोट से उबरने के बाद वापसी कर रहे हैं । उन्होंने विभिन्न स्तरों और अलग अलग प्रारूप में कुछ मैच खेले हैं लेकिन बड़े टूर्नामेंट में अपेक्षाओं पर खरे उतरने का दबाव अलग होता है । ऐसे में बुमराह की गैर मौजूदगी में उन पर दबाव और बढ जायेगा।

चैम्पियंस ट्रॉफी में शमी के साझेदार अर्शदीप सिंह होंगे लेकिन वह बुमराह की श्रेणी के गेंदबाज नहीं हैं। भारत के पूर्व तेज गेंदबाज लक्ष्मीपति बालाजी का मानना है कि शमी के पास काफी अनुभव है और वह इस चुनौती का सामना कर लेंगे।

बालाजी ने कहा ,‘‘उसने 2019 वनडे विश्व कप और पिछले विश्व कप (2023) में बुमराह से बेहतर गेंदबाजी की थी । बुमराह विभिन्न प्रारूपों में चैम्पियन गेंदबाज है लेकिन शमी के पास अनुभव है और बुमराह के आने से पहले भारत के आक्रमण की जिम्मेदारी उसी पर थी।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ अगर भारत को अच्छा प्रदर्शन करना है तो शमी को नयी गेंद से कमाल करना होगा । पहले छह ओवर में नयी गेंद से प्रदर्शन भारत के लिये काफी मायने रखेगा । अगर वह शुरूआती कामयाबी दिला सका तो भारत का मनोबल काफी बढेगा ।’’

शमी की जिम्मेदारी विकेट लेना ही नहीं बल्कि अर्शदीप और हर्षित राणा जैसे गेंदबाजों का मागदर्शन करने की भी होगी ।

बालाजी ने कहा ,‘‘ शमी इस समय गेंदबाजों का अगुआ है । वह लंबे समय से रहा है और पिछले 12 साल में टेस्ट क्रिकेट में खास तौर पर उसका प्रदर्शन शानदार रहा है । अब दूसरे गेंदबाजों के मार्गदर्शक के तौर पर वह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है ।’’

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