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वित्तीय अनुशासन से कोसों दूर क्रिकेट बोर्ड

भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड की कई इकाइयों ने कई वर्षों से बोर्ड को हिसाब-किताब नहीं दिया है। अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर के अनुसार दिल्ली जिला क्रिकेट संघ ने पिछले तीन साल से भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) में बैलेंस शीट जमा नहीं कराई है।
वित्तीय अनुशासन से कोसों दूर क्रिकेट बोर्ड

असम की इकाई ने भी इस साल की बैलेंस शीट अब तक जमा नहीं कराई है। गोवा ने पांच साल से सेवाकर का भुगतान नहीं किया है। उस पर 19 करोड़ का बकाया हो गया है। जम्मू-कश्मीर संघ 100 करोड़ रुपये की गड़बड़ियों के आरोप में सीबीआई की जांच के दायरे में है। जस्टिस आरएम लोढा समिति की सिफारिशों पर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश से पहले सब कुछ ठीक करने की बीसीसीआई की कोशिशें परवान चढ़ती नहीं दिख रही हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश अगले महीने ही आने की उम्मीद है।

बीसीसीआई के उपाध्यक्ष जी. गंगाराजू कहते हैं, ‘बीसीसीआई हरेक संघ से प्रक्रिया के पालन और खेल के विकास में योगदान करने की उम्मीद करता है। पैसे का उचित उपयोग होना चाहिए। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो भारत में क्रिकेट दिक्कत में पड़ जाएगा।’ गंगाराजू कहते हैं, ‘इन मसलों पर बोर्ड अतिरिक्त सतर्क हो गया है। इससे पहले बोर्ड राज्‍य इकाइयों के संचालन को लेकर थोड़ा सुस्‍त था। लेकिन अब आंतरिक ऑडिट और अन्य प्रशासनिक मामलों के संबंध में कड़े निर्देश भेज दिए गए हैं। दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।’

एक अन्‍य शीर्ष अधिकारी ने बताया, ‘कुछ राज्‍य इकाइयां कोर्ट केस में उलझीं हैं। एक मामले में सीबीआई जांच भी चल रही है। हम असहाय हैं। लोढ़ा समिति की वित्‍तीय अनुशासन की सिफारिशों को हम मानना चाहते हैं लेकिन हम क्‍या कर सकते हैं।’ लोढा समिति ने राज्य इकाइयों की जवाबदेही और उनके अकाउंटस के ऑडिट सहित कई प्रमुख सुधारों का सुझाव दिया था। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से राज्य इकाइयों को पिछले पांच सालों में आवंटित फंड की रिपोर्ट जमा करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था, ‘आपने राज्‍य इकाइयों को एक साल में 480 करोड़ रुपये दिए। इस पैसे का कैसे उपयोग हुआ इसकी निगरानी का भी कोई तंत्र होना चाहिए। क्रिकेट के बुनियादी ढांचे के विकास पर क्या किया।’

दिल्ली जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के कोषाध्य़क्ष रविन्द्र मनचंदा स्वीकार करते हैं कि राज्य संघ अभी पिछले तीन साल की बैलेंस शीट फाइल करने की प्रक्रिया पूरी नहीं कर पाया है। मनचंदा कहते हैं, ‘वर्ष 2013-14 की बैलेंस शीट पर अधिकांश निदेशकों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं, वर्ष 2014-15 की बैलेंस शीट ऑडिटर के पास है औऱ वर्ष 2015-16 की बैलेंस शीट तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है।’ हालांकि डीडीसीए के संयुक्त सचिव (कम्पनी मामले) दिनेश सैनी का कहना है कि वित्तीय मामलों पर कार्यकारी समिति के सदस्यों को अंधेरे में रखा गया है।

उधर गोवा क्रिकेट संघ पांच साल से सर्विस टैक्स ही नहीं जमा कर पाया है जबकि बीसीसीआई ने नियमतः इस टैक्स कंपोनेंट को राज्य ईकाई को दिए जाने वाले ग्रांट में शामिल कर दिया है।

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