बारह साल बाद पहली घरेलू टेस्ट सीरीज में हार भारतीय टीम पर सवाल खड़े कर रही है। क्रिकेट पंडित न्यूजीलैंड की भारत में टेस्ट सीरीज में एकतरफा जीत को ‘सदी का कारनामा’ बता रहे हैं। दरअसल जीत का विश्वास इतना पुख्ता था कि प्रशंसकों ने सीरीज से पहले ही भारत के आगे 3-0 लिख दिया था। लेकिन अचूक रणनीति, सधा हुआ ऑल राउंड खेल और आक्रामक तेवर के साथ नए कोच, नए अप्रोच वाली मेहमान टीम ने ‘आत्म-संतुष्ट’ मेजबान को ही 3-0 से बुरी तरह पछाड़ दिया।
न्यूजीलैंड भारत को घरेलू मैदान में द्विपक्षीय सीरीज हराने वाली छठी मेहमान टीम बन गई है। यह न्यूजीलैंड का भारत में 13वां दौरा था। पहले 12 दौरों में न्यूजीलैंड ने भारत में सिर्फ दो टेस्ट जीते थे, जिसमें आखिरी जीत नवंबर 1988 में मिली थी। भारत के नजरिए से देखें, तो इस हार से पहले भारत ने लगातार 18 सीरीज जीती थी। घरेलू पिच पर उसकी आखिरी हार 2012/13 में हुई थी, जब इंग्लैंड ने चार टेस्ट मैचों की सीरीज में 2-1 से जीत हासिल की थी। भारत की 18 जीत घरेलू मैदान पर किसी टीम की सबसे लंबी द्विपक्षीय सीरीज जीत (एक टेस्ट सहित) है। एक कैलेंडर वर्ष में घरेलू मैदान पर तीन या उससे अधिक टेस्ट हारने का भारत का यह तीसरा मौका है।
रवींद्र जाडेजा को आउट करने का जश्न मनाते एजाज़ पटेल और अन्य
पुणे में न्यूजीलैंड से हार से पहले भारत ने पिछले 12 वर्षों में घरेलू मैदान पर केवल चार टेस्ट मैच हारे थे। फरवरी 2017 में ऑस्ट्रेलिया ने पुणे में भारत को 333 रनों से हराया था। भारत को घर में अगली हार चार साल बाद फरवरी 2021 में चेन्नै में इंग्लैंड से 227 रनों से मिली। मार्च 2023 में ऑस्ट्रेलिया ने इंदौर में भारत को नौ विकेट से हराया था और इस साल जनवरी में हैदराबाद में पहले टेस्ट में भारत इंग्लैंड से 28 रन से हार गया था। हालांकि, बाद में भारत ने वापसी करते हुए सीरीज अपने नाम की। 2012 की उस फेमस टेस्ट सीरीज हार के बाद घर पर खेले गए 54 टेस्ट में से भारत को 42 में जीत मिली है और सिर्फ पांच मैच हारे हैं, जबकि सात मैच ड्रॉ रहे। इस दौरान भारत का घर पर जीत प्रतिशत 77.77 रहा। ऑस्ट्रेलिया का प्रतिशत 72 के करीब है।
उस दौरान भारत ने घर पर आठ टेस्ट सीरीज स्वीप की (यह आंकड़ा दो या उससे ज्यादा टेस्ट वाली सीरीज के लिए है)। कुछ सबसे बड़ी सीरीज स्वीप ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुई (2013 में 4-0 की हार और 2019 में दक्षिण अफ्रीका को 3-0 से हराया)। भारत ने वेस्टइंडीज और बांग्लादेश के खिलाफ दो सीरीज स्वीप और न्यूजीलैंड और श्रीलंका के खिलाफ एक-एक सीरीज स्वीप भी दर्ज की। इसलिए न्यूजीलैंड का सीरीज जीतना उलटफेर के रूप में ही आया है।
बेदम रोहित शर्मा
भारत के अजेय रिकॉर्ड के पीछे बड़े किरदार भी रहे। बल्लेबाजी में विराट कोहली, मुरली विजय, चेतेश्वर पुजारा, शिखर धवन, अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा, ऋषभ पंत जैसे खिलाड़ी छाए तो गेंदबाजी का जिम्मा रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा, इशांत शर्मा, भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह जैसे खिलाड़ियों ने उठाया। भारतीय गेंदबाजों ने 2013 से घरेलू टेस्ट मैचों में 53 बार पांच विकेट और 11 बार दस विकेट हासिल किए हैं। आर. अश्विन 24 बार पांच विकेट और पांच बार 10 विकेट के साथ इस सूची में शीर्ष पर हैं, जबकि रवींद्र जडेजा ने 11 बार पांच विकेट और दो बार 10 विकेट लिए हैं। 2012 से 2024 तक भारत अपने घर में अजेय रहा।
पुणे में मिली 113 रनों की करारी हार के बाद पोस्टमार्टम शुरू हो चुका है। फिर मुंबई में हार के बाद तो बदलाव की चर्चा तेज हो गई है। उंगलियां सितारों की तरफ हैं, जिन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं किया। क्या भारत की हार खिलाड़ियों की उम्र पर भी इशारा करती है? कप्तान 37 साल के हैं, उनके पूर्ववर्ती दस दिनों में 36 साल के हो जाएंगे और टीम के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले खिलाड़ी ने डेढ़ महीने पहले अपना 38वां जन्मदिन मनाया है। कोहली, रोहित और अश्विन में भारत के तीन सबसे बड़े मैच विनर्स का प्रदर्शन कुछ हद तक हल्का रहा है। टेस्ट सीरीज की यह हार कठोर चेतावनी के रूप में आई है।
सीरीज में रोहित शर्मा को बतौर कप्तान कठघरे में खड़ा कर दिया गया है। फील्ड प्लेसमेंट, गेंदबाजी में बदलाव, कई मौकों पर टेस्ट क्रिकेट की नब्ज रोहित शर्मा से कोसों दूर दिखी। वहीं, दूसरी तरफ कोच गौतम गंभीर के चयन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बार-बार केएल राहुल के समर्थन की बातें कहना मगर फिर उन्हें ड्रॉप कर देना, इससे भी फैंस के बीच गौतम के कोचिंग स्टाफ के माइंडसेट पर शंका पैदा की है। गौतम, रोहित अपने आक्रामक अंदाज और टीम के नए अप्रोच के लिए जाने जाते रहे हैं। बांग्लादेश के खिलाफ दो दिन के कानपुर टेस्ट में जान फूंकने का दोनों का मंत्र अब न्यूजीलैंड के खिलाफ फेल होता दिखा। मैनेजमेंट से खिलाड़ियों को मिलने वाले संदेश भी कहीं न कहीं बल्लेबाजों में जल्दबाजी की स्थिति पैदा कर रहे हैं। किसी भी बल्लेबाज का रुक कर खेलने का इरादा नहीं, जिसकी वजह से अंततः टीम को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
नहीं चल पाए कोहली
लीक से हटकर इंग्लैंड के टेस्ट खेलने के अंदाज ने सोशल मीडिया पर खूब वाहवाही लूटी है। लेकिन उनका अंदाज बस मजा देता है न कि अच्छे परिणाम। भारत का उसी प्लेइंग स्टाइल की तरफ आगे बढ़ना घातक दिखाई पड़ रहा है। शेष काम टी20 खेलने की आदत ने खराब कर दिया है। अगर आज सोशल मीडिया पर चेतेश्वर पुजारा को वापस लेने की मांग तेज है, तो उसका कारण यही है कि भारतीय टेस्ट टीम में टी20 खिलाड़ियों की बहुतायत है। एक तरफ नए लड़कों को टेस्ट में परखना है जो टेस्ट क्रिकेट की नब्ज पकड़ कर उसके अनुसार खेल पाएं। दूसरी तरफ टी20 है, जहां तेजी जरूरी है। एक फॉर्मेट में दूसरे फॉर्मेट का तड़का, ज्यादा देर तक स्वाद नहीं दे सकता। टेस्ट में टी20 और वनडे का रोमांच लाना है, लेकिन यह रोमांच लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
भारत निश्चित रूप से पुजारा जैसे खिलाड़ियों की कमी भी महसूस कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि वर्तमान में सभी खिलाड़ी आक्रामक हैं। मगर, टेस्ट में कभी-कभी आपको परिस्थितियों का सम्मान करते हुए कम स्ट्राइक रेट से भी बल्लेबाजी करनी पड़ती है। रोहित, यशस्वी, गिल, सरफराज, ऋषभ पंत आक्रामक खिलाड़ी हैं। ऐसे में किसी एक खिलाड़ी को पारी खड़ी करने की कोशिश करनी होगी। हालांकि, 12 साल में एकाध बार बल्लेबाजी में इस तरह की चूक होना कोई अपराध नहीं, जैसा कप्तान रोहित ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा। लेकिन न्यूजीलैंड के खिलाफ एक साथ भारत की रीढ़ की हड्डी यानी रोहित, विराट, अश्विन, जाडेजा और बुमराह का फीका पड़ना चिंता का विषय तो है। इस बीच, विश्व टेस्ट चैंपियनशिप को लेकर भारत की स्थिति अधर में लटक गई है। न्यूजीलैंड के खिलाफ मिली शिकस्त ने भारत के लगातार तीसरे डब्ल्यूटीसी फाइनल खेलने के सपने को धक्का पहुंचाया है। अगला चैलेंज ऑस्ट्रेलिया में है, वह जगह जहां भारत पिछली दो सीरीज जीता है। हालांकि, इस बार मामला अलग है। मजबूत ऑस्ट्रेलिया, युवा और अनुभवहीन भारतीय टीम से बदला लेना चाहेगा। इधर, सारी कश्मकश के बावजूद टीम इंडिया की नजर सीरीज जीतने पर होगी, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब फिर एक ख्वाब रह जाएगा।
किस करवट बैठेगा कंगारू
क्रि केट के 147 साल के इतिहास में अनगिनत बार कड़ी प्रतिद्वंद्विता देखने को मिली है। किसी जमाने में इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली एशेज सीरीज ब्लॉकबस्टर सीरीज में गिनी जाती थी। फिर धीरे-धीरे एक और शृंखला ने एशेज के बराबर ही क्रिकेट प्रशंसकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जाने वाली बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी। यह 1996 से खेली जा रही है। दोनों टीमों ने इस सीरीज के तहत 56 टेस्ट मैच खेले हैं। भारत ने 24 मैच जीते, 20 हारे और 12 मैच ड्रॉ हुए। इस बार यह सीरीज 22 नवंबर को पर्थ में शुरू होने जा रही है।
2018-19 में विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने वाला पहला एशियाई देश बनकर इतिहास रचा था। 1947-48 के बाद ऐसा पहली बार हुआ था। ऑस्ट्रेलिया अपने दो बल्लेबाज स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर के बिना मैदान में उतरी थी, क्योंकि दोनों ही खिलाड़ियों को चर्चित सैंडपेपर गेट के कारण निलंबन झेल रहे थे। भारत ने पूरी सीरीज में अपना दबदबा बनाए रखा और और 2-1 से जीत दर्ज की थी। इसके बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2020-21 में भारत ने जो किया, वह ऐतिहासिक भी था और एक चमत्कारिक भी।
इस बार सीरीज का दारोमदार विराट, रोहित, बुमराह और जाडेजा जैसे खिलाड़ियों पर तो है ही लेकिन उम्मीद खिलाड़ियों की नई खेप से ज्यादा है। ऋषभ पंत, सिराज, वॉशिंगटन सुंदर, शुभमन गिल जैसे खिलाड़ी पिछली सीरीज में जीत का हिस्सा थे। इस बार यशस्वी जायसवाल, सरफराज खान, ध्रुव जुरेल, आकाश दीप, हर्षित राणा, नीतीश रेड्डी जैसे युवाओं के लिए यह मौका नया और बड़ा होगा। मंच बड़ा है इसलिए परीक्षा भी तगड़ी होगी। पांच मैचों की यह सीरीज विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल क्वालिफिकेशन के लिहाज से दोनों टीमों के लिए महत्वपूर्ण है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट पर्थ में खेला जाएगा। एडिलेड में 6 दिसंबर से डे-नाइट दूसरे मैच होंगे। तीसरा टेस्ट ब्रिस्बेन में खेला जाएगा, जबकि बॉक्सिंग डे टेस्ट और न्यू ईयर टेस्ट क्रमशः मेलबर्न और सिडनी में खेले जाएंगे। ऑन पेपर ‘हल्की’ मानी जा रही भारतीय टीम क्या एक बार फिर सीरीज जीतने के लिए अपने पसंदीदा ‘प्रतिद्वंद्वी’ ऑस्ट्रेलिया को पटखनी दे पाएगी या पैट कमिंस की अगुआई वाली टीम लगातार तीसरे विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में खेलने के भारत के सपने को चूर-चूर कर देगी?
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में जगह बनाने के लिए भारत की जद्दोजहद न्यूजीलैंड की वजह से बढ़ गई है। न्यूजीलैंड से मिली पटखनी के बाद भारत के लिए उसकी राह चुनौतीपूर्ण हो गई है। 2025 में लॉर्ड्स में होने वाले डब्ल्यूटीसी फाइनल में जगह पक्की करने के लिए भारत को ऑस्ट्रेलिया में बड़ी सीरीज जीतने की दरकार होगी। अभी भारत आइसीसी के लंबे प्रारूप में जीत हासिल करने से पीछे है।
पिछले साल ओवल में आइसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने अपने भारत को हरा दिया था। लगातार दो सीरीज घर में हारने के बाद मेजबान ऑस्ट्रेलिया पर भी दबाव होगा। ऑस्ट्रेलिया की टीम अनुभव से भरी दिख रही है। उसके मुकाबले टीम इंडिया में अनुभव की कमी साफ नजर आ रही है। दोनों ऑस्ट्रेलियाई दौरों पर टीम इंडिया की बल्लेबाजी की रीढ़ रहे चेतेश्वर पुजारा अब टीम में नहीं हैं। ऑस्ट्रेलिया में उनका रिकॉर्ड शानदार रहा है। उन्होंने 11 मैचों में 47.28 की औसत से 993 रन बनाए हैं, जिसमें तीन शतक और पांच अर्द्धशतक शामिल हैं। भारत ने पिछली सीरीज बड़े नामों की अनुपस्थिति में जीती थी लेकिन इस बार भी नए खिलाड़ी वही प्रदर्शन दोहरा पाएं, तो बात बनें।