"जिस देश में क्रिकेट का नशा धर्म से कम नहीं है, वहां के दो आला खिलाड़ियों का तुरंता फॉर्मेट टी-20 से संन्यास ले लेना खेलप्रेमियों के लिए सदमे से कम नहीं, सबके मन में एक ही सवाल- कौन थामेगा जिम्मेदारी?"
सत्रह साल बाद टी20 विश्व चैंपियन बनने का टीम इंडिया का सपना तो साकार हो गया, लेकिन जीत के बाद जश्न भरे माहौल में मायूसी की आहट भी आई। विराट कोहली और भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। विराट-रोहित कहें या जेन-जी जमाने के 'रो-को' और 'रोहिराट', सच्चाई यही है कि दोनों मौजूदा दौर में भारतीय क्रिकेट का दिल और धड़कन हैं। भारतीय क्रिकेट के दो ऐसे स्तंभ, जिन्होंने हार और नाकामी के बाद आलोचनाओं का गुबार झेला मगर सफलता के शिखर पर पहुंचकर करोड़ों देशवासियों का प्रेम भी पाया। पिच पर रोहित-विराट हैं तो नामुमकिन भी मुमकिन हो जाएगा, यह भावना ही करोड़ों लोगों के दिलों में पैदा कर पाना अपने आप में सबसे बड़ी सफलता रही। स्वाभाविक है कि विराट-रोहित जाएंगे तो कोई न कोई नया खिलाड़ी उनकी जगह लेगा ही, लेकिन क्या उनकी भरपाई हो सकेगी? चाहत यही होगी कि जैसे सचिन के बाद कोहली-रोहित मिले, वैसे ही अब कोई नया वारिस मिल जाए। अलबत्ता, सचिन ने तो खुद ही भविष्यवाणी कर दी थी कि उनकी गद्दी कौन संभालेगा। सचिन ने जब अंतरराष्ट्रीय मैच में 100 शतक पूरे किए तो यह एक मौलिक उपलब्धि थी। इस करिश्मे के बाद सचिन से पूछा गया था कि नए लड़कों में किसमें उनकी गद्दी संभालने की क्षमता है। सचिन ने अगल-बगल देखा और झट से विराट कोहली और रोहित शर्मा का नाम ले लिया। कई लोगों ने इसे हंसी-ठिठोली में टाल दिया। कुछ को लगा कि सचिन ने बस यूं ही कह दिया होगा मगर विराट और रोहित ने ऐसी कहानी रची जिसे इतिहास में स्वर्णिम युग के रूप में याद किया जाएगा। 16 साल, 9 महीने और 5 दिन बाद भारत की टी-20 वर्ल्ड कप जीत का इंतजार बारबाडोस में 29 जून की रात को खत्म हुआ। रोहित शर्मा पूरे टूर्नामेंट में अपनी बल्लेबाजी और कप्तानी से छाए रहे तो विराट कोहली ने अपने आखिरी प्रदर्शन से चार चांद लगा दिए। विराट और रोहित का मैदान पर आना क्रिकेट प्रेमियों के लिए मनोरंजन की गारंटी जैसा रहा। यह अलग बात है कि वे इस विश्व कप में कोई मजबूत साझेदारी नहीं बना सके, लेकिन दोनों ही खिलाड़ियों ने अलग-अलग मौकों पर अपने चाहने वालों को खूब खुशियां दीं। इस जोड़ी की कामयाबी का सबसे बड़ा सबूत यह है कि रोहित ने टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में दुनिया के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज के रूप में इस फॉर्मेट को अलविदा कहा जबकि विराट इस मामले में दूसरे नंबर पर रहे।
रोहित-विराट ने भारतीय क्रिकेट में हुए बड़े बदलाव नजदीक से देखे। धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया 2007 में विश्व चैंपियन बनी और यह जीत आगे चलकर देश में आइपीएल की आधारशिला साबित हुई। रोहित शर्मा उस विजेता टीम का हिस्सा थे जिसने फाइनल में पाकिस्तान को शिकस्त दी थी। दूसरी तरफ, टी20 में विराट देर से आए (2010)। अंततः रोहित की छक्के मारने की काबिलियत और विराट की चौके ढूंढने की कला ने इस जोड़ी को दर्शकों का पसंदीदा बना दिया। रोहित ने भारत के लिए 159 मैच खेले जिसमें 4231 रन बनाए। उन्होंने इस फॉर्मेट में पांच शतक और 32 अर्धशतक बनाए और 50 जीत के साथ सबसे सफल टी20 कप्तान के रूप में अपना करियर समाप्त किया। विराट ने भारत के लिए 125 मैच खेले और 4188 रन बनाए, जिसमें एक शतक और 38 अर्धशतक शामिल हैं। उन्होंने 2014 और 2016 के टी20 विश्व कप में दो बार प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीता।
विराट कोहली और रोहित शर्मा की बादशाहत का सबसे बड़ा ठिकाना टी20 नहीं, वनडे क्रिकेट रहा है। 2013 में ऑस्ट्रेलिया का भारत दौरा लोगों के जेहन में अब भी ताजा है जब 300 और 350 रनों के लक्ष्य को विराट, रोहित और धवन की तिकड़ी ने ठेंगा दिखा दिया था। विराट कोहली ने 2008 में श्रीलंका के सामने पदार्पण के साथ ही अपनी लय पा ली थी। दूसरी ओर रोहित को 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी तक रंग में आने का इंतजार करना पड़ा। अगर विराट अपने आदर्श सचिन तेंडुलकर का 50 शतकों का वनडे रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब रहे, तो रोहित ने तीन बार दोहरा शतक और इसमें से एक बार वनडे इतिहास का सर्वश्रेष्ठ स्कोर (264) बनाकर कमाल कर दिया। 2019 के विश्व कप में रोहित के बल्ले से पांच शतक निकले तो विराट ने 2023 के विश्व कप में 765 रन बनाकर सचिन का 2003 के विश्व कप का रिकॉर्ड (673 रन) धराशायी कर दिया। दोनों ने टीम इंडिया के लिए अब तक 59.76 के औसत से 5259 रनों की साझेदारी की है। एकदिवसीय मैचों में किसी जोड़ी की बनाई सबसे बड़ी साझेदारी के मामले में "रो-को" की जोड़ी छठवें स्थान पर है।
टी20 से संन्यास लेने के बाद विराट और रोहित अपने वनडे और टेस्ट करियर को लम्बा करने के बारे में सोचेंगे। अब तक दोनों की खासियत यह रही कि आइपीएल क्रिकेट के जमाने में भी दोनों टेस्ट क्रिकेट को प्राथमिकता देते रहे। टेस्ट में दोनों की शुरुआत वेस्ट इंडीज के खिलाफ हुई। विराट ने 2011 में और रोहित ने 2013 में पहला मैच खेला। रोहित शर्मा ने उस सीरीज में प्रवेश किया जो सचिन तेंडुलकर की आखिरी टेस्ट श्रृंखला थी। भले ही रोहित ने छठवें नंबर पर खेलकर प्लेयर ऑफ द सीरीज का खिताब अपने नाम किया, लेकिन टेस्ट उनके लिए अच्छा नहीं रहा। कोहली ने अपना जलवा बरकरार रखा। पहले बतौर खिलाड़ी, फिर बतौर कप्तान विराट ने देखते ही देखते टीम को हर परिस्थिति में लड़ने के लायक बना दिया। बाद में विराट ने रोहित को बतौर ओपनर टेस्ट में आजमाया। विराट के कप्तानी छोड़ने के बाद रोहित ने टीम की कमान संभाली।
टी20 से लेकर टेस्ट तक दोनों खिलाड़ी जीत की एक फिलॉसफी रहे हैं। एक तरफ विराट ने रनों का अंबार लगाकर अगली पीढ़ी को सपने पूरे करने का नुस्खा सुझाया, तो रोहित ने लेट एंट्री के बाद "देर आए दुरुस्त आए" की कहावत को चरितार्थ किया। विराट भारत में फिटनेस क्रांति लेकर आए तो रोहित ने आक्रामक खेल का तरीका सिखाया। रोहित शर्मा ने सिखाया कि कैसे केवल प्रतिभा से काम नहीं चलता बल्कि मानसिकता भी सफलता की तरफ अग्रसर होनी चाहिए। कोहली को कम उम्र में बहुत कुछ मिल गया था, लेकिन अपनी लगन से शीर्ष पर आने की कला ने उनके करियर को विराट बनाया।
रोहित शर्मा और विराट कोहली की उपलब्धियों से पहले उनकी तपस्या ने ही तेंडुलकर की 2012 की भविष्यवाणी को सच कर दिखाया था। रोहिराट की टी20 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई एक युग का अंत है। पटौदी से लेकर लाला अमरनाथ तक और सचिन से लेकर रोहित-विराट तक भारत की खुशकिस्मती यह रही है कि देश में कभी क्रिकेट के सितारों का अकाल नहीं पड़ा। सुनील गावस्कर की विदाई हुई तो सचिन का आगमन हुआ। सचिन को कपिल देव के साथ भी खेलने का मौका मिला। फिर सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, कुंबले, जवागल श्रीनाथ जैसे खिलाड़ी आए। इनके जाने के साथ ही बतौर स्टार वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, जहीर खान तैयार थे। बाद में मोर्चा महेंद्र सिंह धोनी ने संभाला। तेंडुलकर ने इन सब के साथ क्रिकेट खेला, लेकिन उनके जाने से पहले कई बार लगा कि अब यह भरपाई कौन करेगा। सचिन और धोनी के जाने के बाद विराट-रोहित बड़े चेहरे बनकर उभरे जिन्हें भारत के करोड़ों खेलप्रमियों को अपने सिर आंखों पर बिठाया।
जाहिर है, भारतीय क्रिकेट में अब तक उत्तराधिकार बढ़ाने की परंपरा बहुत सहज और सुचारु रूप से चली आ रही है। रोहित-विराट अब भी वनडे और टेस्ट क्रिकेट खेलते हुए दिखेंगे, लेकिन टी20 से संन्यास के बाद यह सिलसिला कितना लंबा चलेगा यह नहीं कहा जा सकता। क्या सचिन जैसे जौहरी की आंखें आज भी भविष्य का कोई हीरा खोज पाएंगी, यह कहना मुश्किल है। प्रतिभाएं तो बहुत हैं, होनहार खिलाड़ियों की भी देश में बहुतायत है लेकिन वास्तव में कौन होगा रन मशीन कोहली का उत्तराधिकारी, किसे कहा जाएगा विश्व क्रिकेट का अगला हिटमैन? छोटे फॉर्मेट के क्रिकेट की बढ़ती सनक के बीच कौन चुनेगा वनडे? किसे पसंद आएंगे लाल गेंद से खेले जाने वाले पांच दिवसीय टेस्ट के क्लासिक मुकाबले? ये सवाल सबके मन में कौतूहल पैदा करते हैं। फिलहाल इस बात से संतोष किया जा सकता है कि बीता विश्व कप विराट कोहली, रोहित शर्मा और यहां तक कि रविन्द्र जडेजा के लिए भी आखिरी पड़ाव रहा। तीनों की विदाई को विश्व कप के खिताब ने शुभ और सुंदर बना दिया।
याद करें, महेंद्र सिंह धोनी ने संन्यास लेने के बाद साहिर लुधियानवी के लिखे अपने पसंदीदा गीत के जरिये कहा था, "कल और आएंगे नगमों की खिलती कलियां चुनने वाले, मुझसे बेहतर कहने वाले, तुमसे बेहतर सुनने वाले।" विराट, रोहित के बाद भी खिलाड़ी आएंगे, महान खिलाड़ी बनेंगे, पुराने रिकॉर्ड टूटेंगे, लेकिन जो प्यार इन्हें मिला वह प्यार पाना सबके लिए उतना आसान नहीं होगा। विराट और रोहित को देखना और उन जैसा बनना, दो बहुत अलग बातें हैं। अगला विराट या अगला रोहित बनना तो मुश्किल है, जैसे मुश्किल था अगला सचिन बनना।
इससे कहीं ज्यादा जरूरी है अपने देश के करोड़ों लोगों की उम्मीदों को दिल की हर धड़कन में महसूस करते हुए खेल के मैदान पर भी लगातार विनम्र बने रहना, फिर भी जरूरत पड़ने पर विराट की तरह विरोधियों की आंखों में आंखें डालकर देखना और रोहित की तरह तूफान के बीच अपनी टीम के लिए एक छत बनना। भारत में हमेशा से होनहार खिलाड़ियों की फौज रही है जिनकी तारीफ हिंदुस्तान से लेकर विश्व क्रिकेट जगत में होती आई है। आइपीएल ने टीम इंडिया को हर साल नए चेहरे दिए हैं। बड़ी बात है कि आइपीएल का फॉर्मेट आने के बाद गांव-कस्बों और छोटे शहरों से भी प्रतिभाएं निकल कर आ रही हैं जबकि टेस्ट और वनडे के दौर में क्रिकेट संपन्न तबकों तक ही ज्यादा सीमित था। आइपीएल ने क्रिकेट का एक ओर व्यावसायीकरण किया है तो दूसरी तरफ लोकतांत्रीकरण भी किया है। आइपीएल ने छोटी जगहों पर विभिन्न तबकों के खिलाड़ियों के मन में पैसे और कामयाबी की जो ललक जगाई है, उसके चलते विराट कोहली और रोहित शर्मा के जाने के बाद ख्ाालीपन की आशंकाओं में खास दम नहीं दिखता। देश भी नहीं चाहेगा कि क्रिकेट में कोई वैक्युम बने। इसलिए रोहित और विराट का वारिस कौन होगा, यह केवल समय की बात है।
संभावित उत्तराधिकारियों पर एक नजर
यशस्वी जायसवालः
बाएं हाथ के इस बल्लेबाज़ को भारत में अगले "हिटमैन" के रूप में देखा जा रहा है। यशस्वी अब तक घरेलू क्रिकेट में अच्छी स्ट्राइक रेट के साथ भारत की तरफ से भी कुछ अच्छी पारियां खेल चुके हैं। एशियन खेलों में भारतीय टीम के स्वर्ण पदक जीतने में रोल निभाना हो या टेस्ट मैच में एंडरसन जैसे गेंदबाजों पर हल्ला बोलना हो, जायसवाल ने छोटे से करियर में बड़े कारनामे किए हैं। उनके अंदर रोहित शर्मा जैसा खेलने की मानसिकता दिखती है।
साई सुदर्शनः
अगर आप दक्षिण अफ्रीका जैसी परिस्थितियों में अपनी पहली एकदिवसीय सीरीज खेलें और तीन मुकाबलों में 63 के औसत और 90 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करें तो चर्चा होना स्वाभाविक है। 22 वर्षीय बाएं हाथ के बल्लेबाज सुदर्शन देर तक बल्लेबाजी करने और सही समय पर सही शॉट मारने की कला में अद्भुत हैं। उन्हें एक मजबूत ओपनर होने के नाते वनडे और टेस्ट के लिए तैयार किया जा सकता है।
सरफराज खानः
सरफराज खान को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मौका पाने के लिए एक दशक तक इंतजार करना पड़ा। जब इंग्लैंड के खिलाफ यह मौका आया तो सरफराज ने दोनों हाथों से लपक लिया। विराट कोहली के नंबर चार के विकल्प के रूप में सरफराज से बेहतर कोई नहीं हो सकता क्योंकि वह हर परिस्थिति में जवाबी हमले के लिए जाने जाते हैं। टी20 और वनडे से पहले सरफराज टेस्ट में वह कारनामा कर सकते हैं जो कभी वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी किया करते थे।
श्रेयस अय्यरः
विराट कोहली की विदाई की सूरत में 2023 के वनडे विश्व कप में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले श्रेयस अय्यर से अच्छा कोई विकल्प नहीं हो सकता। शांत चित्त, परिस्थिति के हिसाब से बैटिंग और जरूरत पड़ने पर तेज खेलने की क्षमता अय्यर को सबसे अनुकूल विकल्प बनाती है। साथ ही उनका लंबा अनुभव भी टीम के काम आ सकता है। वह तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया के रेगुलर खिलाड़ी बन सकते हैं। रोहित शर्मा के टीम से जाने के बाद हार्दिक पांड्या कप्तानी का विकल्प होंगे, लेकिन अय्यर भी उस दौड़ में ज्यादा पीछे नहीं हैं।
शुभमन गिलः
पंजाब से आने वाले दाएं हाथ के बल्लेबाज गिल, विराट कोहली की विरासत को आगे लेकर जाएंगे, ऐसा दावा कई क्रिकेट के जानकारों ने किया है। शुभमन फिलहाल ओपनिंग करते हैं, लेकिन किंग कोहली के बाद उन्हें ही क्रिकेट का प्रिंस कहा जाता है। पुख्ता तकनीक, मनमुताबिक छक्के मारने और चौके ढूंढने की काबिलियत शुभमन को अपनी उम्र के प्रतिद्वंदियों से अलग करती है। गिल तीनों फॉर्मेट में अपना खेल ढालने का दम रखते हैं और भविष्य में टीम की कमान भी संभाल सकते हैं।
ईशान किशनः
झारखंड का एक और विकेटकीपर बल्लेबाज, जिसने कुछ ही साल में ठीकठाक धाक जमाई, अब चयनकर्ताओं की नजरों से ओझल है। किशन लाल गेंद और सफेद गेंद से ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने में सक्षम हैं। ऐसे में टेस्ट, वनडे और टी20 में निकट भविष्य में उनकी जगह बन सकती है। अच्छी बात यह है कि ईशान आगे चलकर तीसरे या चौथे नंबर पर भी भारत को आक्रामक विकल्प उपलब्ध करा सकते हैं।
तिलक वर्माः
हैदराबाद से आने वाले 21 वर्षीय बाएं हाथ के मध्यक्रम के बल्लेबाज को अभी तक आइपीएल फॉर्मेट पर ही देखा जाता रहा है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत छोटे करियर में वर्मा ने अपना दमखम भी दिखाया है। आइपीएल में तिलक का मिजाज क्रिकेट के जानकारों के लिए चर्चा का विषय रहा है। उन्होंने हमेशा मुंबई इंडियंस के लिए मुश्किल समय में रन बनाए, लेकिन उनकी कला को देखकर मालूम होता है कि वह तीनों फॉर्मेट में भारत के आने वाले सितारे बन सकते हैं।
ऋषभ पंतः
बाएं हाथ के एक और बल्लेबाज ऋषभ पंत गाबा जीत के हीरो के रूप में फैन फेवरेट हैं। उन्हें सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड तक स्टार जैसा ही प्यार मिलता रहा है। एक दुर्भाग्यपूर्ण कार हादसे के बाद उनकी वापसी की कहानी कमबैक स्टोरी मानी जाती है। ऋषभ का आक्रामक अंदाज वर्तमान से लेकर आने वाले समय में उन्हें सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाता है। कहा जाता है कि ऋषभ लंबे समय तक भारत के लिए तीनों फॉर्मेट में अच्छा कर सकते हैं।
रियान परागः
असम का लड़का, जिसे पिछले साल तक बहुत सारी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा था, अब उसने अपने आलोचकों को प्रशंसकों में बदल डाला है। 2024 के आइपीएल सीजन में जिस तरह रियान ने बीच के ओवरों को संभाला, उसने लोगों को युवा विराट की याद दिलाई। दाएं हाथ के रियान को उनकी गेंदबाजी की कला तुरुप का इक्का बनाती है। भारत को टॉप 4 में ऐसे बल्लेबाज चाहिए जो गेंदबाजी भी करते हों। ऐसे में पराग वनडे और टी20 में बाजी मार सकते हैं क्योंकि वे पहले से चौथे क्रम पर कहीं भी बल्ला चला सकते हैं।
रिंकू सिंहः
उत्तर प्रदेश के एक साधारण परिवार से आने वाले रिंकू सिंह भले अभी फिनिशर का तमगा लेकर कदम आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन टीम इंडिया आगे चलकर उन्हें तीसरे, चौथे स्थान पर खिला सकती है। रिंकू छोटे से टी20 करियर में बड़ा मुकाम हासिल कर चुके हैं। जो गलती केकेआर ने 2024 के आइपीएल में उन्हें नीचे धकेल कर की, वैसा भारतीय टीम नहीं करना चाहेगी। रिंकू के पास हिटिंग के अलावा पारी बनाने और पहली गेंद से हमला बोलने की अनोखी कला है।
ऋतुराज गायकवाड़ः
भारत को एशियाई खेलों (टी20) में स्वर्ण पदक दिलाने वाले ऋतुराज के लिए बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं। विश्व विजेता कप्तान रिकी पोंटिंग उन्हें "क्रिकेट में अगली बड़ी चीज" बता चुके हैं। टी20 में एक शतक इस बात की पुष्टि भी करता है कि ऋतुराज भारतीय टीम के ओपनिंग स्लॉट को अपना बनाने के लिए तैयार हैं। महाराष्ट्र से आने वाले ऋतुराज कई क्रिकेट पंडितों की नजर में आगे चलकर भारतीय टीम के आइपीएल कप्तान भी बन सकते हैं।