दक्षिण अफ्रीकी सलामी बल्लेबाज टेंबा बावुमा (117 गेंद पर 34 रन) के अलावा हाशिम अमला (244 गेंद पर 25 रन), एबी डिविलियर्स (297 गेंद पर 43 रन) और फाफ डु प्लेसिस (97 गेंद पर 10 रन) को छोड़कर किसी बल्लेबाज ने टिकने की कोशिश नहीं की। अमला और डिविलियर्स ने जिस तरह से बिना रन बनाए विकेट पर खूंटा गाड़ दिया था, वह अपने-आप में बेमिसाल और एक रिकॉर्ड है।
भारत की तरफ से अश्विन ने पांच, उमेश यादव ने तीन और रवींद्र जडेजा ने दो विकेट चटकाए और भारत को 337 रन से जीत दिलाने में इस तिकड़ी अहम भूमिका निभाई। लंच के बाद फाफ डु प्लेसिस 97 गेंद में 10 रन बनाकर आउट हुए। रविंद्र जडेजा ने उन्हें पवेलियन भेजा। वहीं इस शृंखला में भारत के सबसे सफल गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने जेपी डुमिनी (0): को अपना 30वां शिकार बनाया। डुमिनी 12 गेंद खेलने के बाद भी खाता नहीं खोल सके थे।
इससे पहले सुबह के सत्र में 35 ओवर में सिर्फ 21 रन बने। कप्तान हाशिम अमला ने 244 गेंद में 25 रन बनाये जिन्हें जडेजा ने क्लीन बोल्ड किया। एबी डिविलियर्स ने भी अपने स्वभाव के विपरीत धीमी पारी खेली। कप्तान अमला ने खाता खोलने के लिये 46 गेंदों का इंतजार किया था। डु प्लेसिस ने 52 डाट गेंद खेलकर 53वीं गेंद पर खाता खोला। इससे पहले डु प्लेसिस ने एडीलेड (2012): में इस तरह का रक्षात्मक खेल दिखाते हुए सात घंटे 46 मिनट क्रीज पर रहकर 110 रन बनाये थे। उनकी इस पारी के कारण आस्ट्रेलिया तय लग रही जीत से वंचित रह गया था। उस समय भी उनके जोड़ीदार डिविलियर्स थे जिन्होंने 220 गेंद में 33 रन बनाये थे।
डु प्लेसिस ने खाता खोलने के लिये सबसे ज्यादा गेंदें लेने के मामले में ग्रांट फ्लावर (2000) में न्यूजीलैंड के खिलाफ (51 गेंद) को भी पछाड़ा। अब वह इस सूची में तीसरे नंबर पर आ गए हैं। अमला का स्ट्राइक रेट 10 . 44 का रहा लेकिन उन्होंने रक्षात्मक खेल का नायाब नमूना पेश किया। उन्होंने सिखाया कि लगभग हारे हुए मैच का रूख डा की ओर कैसे किया जाता है।