ऑस्ट्रेलिया से शृंखला गंवा चुकी भारतीय टीम के लिए पांचवां और आखिरी एकदिवसीय मैच सिर्फ लाज बचाने के लिए ही महत्वपूर्ण था और इसमें भी हमारे धुरंधर बल्लेबाज कागज के शेर ही साबित हुए। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीतकर मेजबान टीम को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। धोनी को उम्मीद थी कि पहले खेलकर ऑस्ट्रेलिया अधिक रन नहीं बटोर पाएगा और लक्ष्य का पीछा करने में महारत रखने वाली भारतीय टीम यह मैच आसानी से जीत लेगी। शुरुआत देखकर भी ऐसा ही लगा जब सलामी बल्लेबाज एरॉन फिंच सिर्फ छह रन बनाकर इशांत शर्मा की गेंद पर एलबीडब्ल्यू हो गए। लेकिन दूसरे छोर पर डेविड वॉर्नर मुस्तैदी से जमे रहे और उन्होंने 171 गेंद खेलते हुए नौ चौकों तथा तीन छक्कों की मदद से 122 रन बना डाले।
इसके बाद हालांकि स्मिथ, बेली और एसई मार्श सस्ते में पवेलियन लौट गए लेकिन मिशेल मार्श ने मोर्चा संभाला और 102 रन की नाबाद पारी खेलते हुए टीम का स्कोर 300 के पार पहुंचा दिया। भारत की ओर से इशांत शर्मा ने दो विकेट लिए जबकि नवोदित बूमरा ने किफायती गेंदबाजी करते हुए सबको प्रभावित किया। बूमरा ने 40 रन देकर दो विकेट चटकाए। उमेश यादव ने एक विकेट लिया लेकिन काफी महंगे साबित हुए। कप्तान धोनी पूरी शृंखला में फ्लॉप साबित रहे और इस आखिरी मैच में भी वह सिर्फ 34 रन बनाकर ही आउट हो गए जबकि उस वक्त टीम को उसके टिककर खेलने की जरूरत थी। नए खिलाड़ी गुरकीरत सिंह एक बार फिर विफल रहे और शून्य पर चलते बने।
इस मैच में शानदार और जुझारू पारी खेलने के लिए मनीष पांडेय को मैन ऑफ द मैच जबकि पूरी शृंखला में लय में चल रहे रोहित शर्मा को मैन ऑफ सीरीज का खिताब दिया गया।