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मीडिया मुगल की क्रिकेट सनक

जी टीवी के मालिक सुभाष चंद्रा बागी क्रिकेट दुनिया सजाकर बीसीसीआई से हिसाब बराबर ही नहीं करना चाहते बल्कि आईसीसी और बीसीसीआई जितनी प्रतिष्ठा भी बटोरना चाहते हैं, इस समांतर बादशाहत का हश्र चाहे जो भी हो।
मीडिया मुगल की क्रिकेट सनक

भारतीय क्रिकेट जगत में एक स्पष्टï बेचैनी देखी जा रही है। वरना बातूनी कमेंटेटर्स बीच सडक़ पर आकर विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति की तरह इतना शोर-शराबा नहीं करते। हर कोई और उसका क्रिकेट गुरु जानता है कि एक बड़ा और अनुभवी मीडिया मुगल क्रिकेट की दुनिया में प्रवेश करने का प्रयास कर रहा है। यह योजना दुस्साहसिक लगती है लेकिन अब तक यह द्विअर्थी ही है। कोई आश्चर्य नहीं कि क्रिकेट बोर्ड बेचैन हैं, खिलाड़ी भ्रमित और कई प्रशासक खुद के बचाव में अभी से क्षेत्ररक्षण की भूमिका में आ गए हैं। सन 2007 में एसेल ग्रुप और जी टेलीविजन के प्रवर्तक सुभाष चंद्रा ने ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट, तब क्रिकेट का यह फॉर्मेट अपने शैशवास्था में था, का अपना स्वरूप शुरू करते हुए वैश्विक क्रिकेट जगत में अपनी धमक दिखाई थी। भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के हाथों उनके इंडियन क्रिकेट लीग (आईसीएल) की दर्दनाक मौत के छह साल बाद चंद्रा एक बार फिर मैदान में उतरे हैं।

इस बार उनकी ज्यादा बड़ी योजना है- वैश्विक क्रिकेट पर नियंत्रण करना और बीसीसीआई तथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के समांतर एक संगठन खड़ा करना। ये दोनों इकाइयां पूरी दुनिया के क्रिकेट पर नियंत्रण रखती हैं। उनका एसेल ग्रुप मौजूदा क्रिकेट नियंत्रण इकाइयों जैसे नामों से मिलते-जुलते नाम वाली कंपनियों के लिए पंजीकरण करा रहा है। ऑस्ट्रेलिया में इसने ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट कंट्रोल प्राइवेट लिमिटेड तो न्यूजीलैंड में न्यूजीलैंड क्रिकेट लिमिटेड और स्कॉटलैंड में क्रिकेट कंट्रोल स्कॉटलैंड लिमिटेड के नाम से पंजीकरण कराया है। विस्डन और टेलीग्राफ की खबरों पर यकीन करें तो इसने कई वेबसाइटों और डोमेन नामों- मसलन worldcricketcouncfil.co.in, cricketassociationofengland.co.in, globalt20.com का भी पंजीकरण करा लिया है। कुल मिलाकर अब तक 249 वेबसाइट डोमेन पंजीकृत हो चुके हैं। यह कहना उचित होगा चंद्रा के इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में हडक़ंप मचा दिया है। उनकी योजना पर पिछले महीने दुबई में हुई आईसीसी की बैठक में भी चर्चा हो चुकी है। क्रिकेट बोर्ड सतर्क हो गए हैं, उनके प्रत्येक कदम पर नजर रखने लगे हैं और आईसीसी यह थाह लेने की जांच में जुट गई है कि आखिर हो ञ्चया रहा है। आउटलुक द्वारा कई बार संपर्क करने के बावजूद चंद्रा और उनकी टीम ने किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और यह कहकर टाल दिया कि इस रणनीति पर चर्चा करना कंपनी से बाहर का मामला होगा।

बहरहाल चंद्रा ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है-वह वैश्विक क्रिकेट के लिए एक समांतर संचालन समिति बनाना चाहते हैं जो टूर्नामेंटों का आयोजन कर सके। पिछले सप्ताह इस समूह के विîा एवं रणनीति प्रमुख हिमांशु मोदी ने कहा था कि वे लगभग 10-12 शहरों में क्रिकेट का टी-20 फॉर्मेट टूर्नामेंट आयोजित कराने की मुहिम पर काम कर रहे हैं। दूसरे शद्ब्रदों में, चंद्रा बीसीसीआई और आईसीसी को उनके ही मैदान में पटखनी देना चाहते हैं। चंद्रा (फोद्ब्रर्स इंडिया के मुताबिक जिनकी कुल संपîिा चार अरब डॉलर की है) की नजरों में यह मुहिम प्रतिशोध और सîाा की चाहत (भारतीय कारोबार और राजनीतिक गलियारे में क्रिकेट पर नियंत्रण रखना सîाा का परम संकेत होता है) दोनों है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए बतौर प्रचारक वह सîाा की हनक देख चुके हैं। क्रिकेट इसका दूसरा विकल्प है।

चंद्रा ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब बीसीसीआई और आईसीसी खुद को असुरक्षित महसूस कर रही है। बीसीसीआई फिलहाल नेतृत्व संकट से जूझ रहा है, एक अंतरिम अध्यक्ष के अधीनस्थ काम कर रहा है और पूर्व प्रमुख की गंदगी दूर करने में व्यस्त है। आईसीसी प्रमुख एन. श्रीनिवासन को पदच्युत करने के प्रयास जारी हैं। यह कदम ऐसे समय में भी उठाया गया है जहां एक ओर तो आईसीसी के साथ भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंज्लैंड (जिनके पास ही सारा पैसा है) की सीधी तकरार है, वहीं दूसरी ओर टेस्ट खेलने वाले सभी देशों से उसका मतभेद है। बीसीसीआई के साथ चंद्रा की पुरानी दुश्मनी है जिसने 2012 में उनसे प्रसारण अधिकार छीन लिया था। इतना ही नहीं, चंद्रा की आईसीएल की हत्या के एकमात्र जिक्वमेदार, भ्रष्ट एवं दरकिनार किए गए ललित मोदी की भी वापसी हो गई। यहां दिलचस्प खबर यह है कि चंद्रा और मोदी एकजुट हो गए हैं और मिलकर अगले कदम पर विचार कर रहे हैं। मोदी एसेल के साथ चर्चा की बात तो स्वीकार करते हैं लेकिन कहते हैं कि यदि उनकी योजना पर अमल नहीं हुआ तो वह इससे बाहर हो जाएंगे। आउटलुक ने जब संपर्क किया तो मोदी उस वञ्चत चीन में थे। वह बताते हैं, ‘मेरे पास कुछ भी बताने लायक नहीं है। मैंने वही कहा है जो कहना चाहिए। अब सुभाष चंद्रा पर सब कुछ निर्भर है। वह बेहतर बता सकते हैं।’

मोदी ने ब्रिटिश मीडिया को बताया कि चंद्रा सिर्फ टूर्नामेंट ही नहीं कराना चाहते, बल्कि वह एक ऐसा वैश्विक संचालन निकाय गठित करना चाहते हैं जिसमें टी-20 और टेस्ट दोनों फॉर्मेट हों ताकि छोटे देशों को भी आकर्षित किया जा सके। मोदी ने यह भी आगाह किया कि ब्रिटिश क्रिकेट इस तरह के प्रस्ताव से असुरक्षित महसूस कर सकता है।  चंद्रा की इस मुहिम की खबर सार्वजनिक होते ही दुनियाभर के क्रिकेट बोर्डों ने जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी है। इंज्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने बयान दिया है, ‘हम इन पंजीकरणों के पीछे का मकसद नहीं समझ पाए हैं और इस बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं। उपयुञ्चत व्याक्चया का अभाव निश्चित तौर पर क्रिकेट और ईसीबी के लिए चिंता की बात है।’ क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के चेयरमैन वेली एडवडï्र्स ने कहा, ‘हम विद्रोही लीग से जुड़ी खबरों से अवगत हैं और ये सब अत्यंत काल्पनिक लगती हैं, खासकर प्रस्तावित पैमाना और इसकी पेचीदगी के लिहाज से।’ इस कदम से सतर्क आईसीसी ने मामले की जांच के लिए ईसीबी के गाइल्स ञ्चलार्क के नेतृत्व में एक जांच समिति गठित कर दी है। जाने-माने क्रिकेट कमेंटेटर अयाज मेमन कहते हैं, ‘हर कोई इसे एक खतरे के रूप में देखता है-चाहे आईसीसी हो, बीसीसीआई हो या ईसीबी। खतरा यह है कि वह मुक्चय खिलाडिय़ों को अपने खेमे में मिला सकते हैं, खासकर भारत के खिलाडिय़ों को। उनके लिए एक खुला मैदान है और यह एक बड़ा फायदा है।’ स्पष्टï है कि सभी बोर्ड चिंतित हैं। बीसीसीआई की अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है और वह हर पहलू पर सतर्क निगाह रख रहा है। इससे पहले भी कई दिज्गज हुए हैं जिन्होंने समांतर क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू किए हैं। ऑस्ट्रेलियाई अरबपति केरी पेकर ने 1977 में अपनी बागी क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू किया था और लाखों डॉलर लुटाकर दुनिया के बेहतरीन क्रिकेटरों को अपने खेमे में कर लिया था। लेकिन क्रिकेट एक संपन्न खेल बन जाने के कारण अब हालात कुछ और हो गए हैं, इसमें पैसा भी भरपूर है। चंद्रा का मौजूदा टीवी नेटवर्क कई देशों में फैला हुआ है और वह उन देशों के खिलाडिय़ों को अपने खेमे में शामिल करने के लिए इसका फायदा उठा सकते हैं। एसेल नियंत्रित टेन स्पोट्र्स के पास भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंज्लैंड को छोडक़र टेस्ट खेलने वाले सभी देशों में प्रसारण अधिकार हैं। इसके अलावा आईसीसी से जुड़े कुछ ऐसे सदस्य देश या हॉलैंड, केन्या, स्कॉटलैंड या अफगानिस्तान जैसे टेस्ट नहीं खेलने वाले देश भी इसे क्रिकेट की मुक्चयधारा से जुडऩे के एक अवसर के तौर पर देखेंगे, ञ्चयोंकि आईसीसी ने अगला विश्व कप टूर्नामेंट दस देशों के बीच ही कराए जाने का फैसला किया है।

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