विराट कोहली की टीम को पुणे में स्पिनरों की मददगार पिच पर बल्लेबाजों के लचर प्रदर्शन के कारण करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। उसे चार टेस्ट मैचों की श्रृंखला में वापसी करने के लिये इंग्लैंड के खिलाफ 1972-73 की श्रृंखला, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 की श्रृंखला और श्रीलंका के खिलाफ 2015 की श्रृंखला से प्रेरणा लेनी होगी जिनमें पहला टेस्ट मैच हारने के बाद टीम ने जबर्दस्त वापसी की थी।
वैसे इनमें से केवल इंग्लैंड वाली श्रृंखला ही ऐसी थी जिसमें चार या इससे अधिक टेस्ट खेले गये थे। बाकी दोनों श्रृंखलाएं तीन-तीन टेस्ट मैचों की थी। भारत ने हालांकि दो अवसरों पर वेस्टइंडीज के खिलाफ 1987-88 में और इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में चार टेस्ट मैचों की दोनों श्रृंखलाएं पहला मैच गंवाने के बाद 1-1 से बराबर करवायी थी। भारत कुल आठ बार पहला टेस्ट हारने के बाद श्रृंखला बराबर कराने में सफल रहा है।
भारत के लिये यह आंकड़ा थोड़ा राहत देने वाला है कि श्रृंखला के पहले टेस्ट मैच की तुलना में दूसरे टेस्ट मैच में उसका रिकार्ड बेहतर रहा है। भारतीय टीम ने अब तक दो या इससे अधिक टेस्ट मैचों की श्रृंखला के पहले टेस्ट मैच के रूप में खेले गये 140 मैचों में से 38 में जीत दर्ज की जबकि 52 में उसे हार का सामना करना पड़ा। एक मैच टाई रहा और बाकी 49 बराबरी पर समाप्त हुए। श्रृंखला के दूसरे टेस्ट मैच में हालांकि उसका रिकार्ड 140 टेस्ट, 42 जीत और 38 हार और 60 ड्रा का है।
लेकिन तीसरे और चौथे टेस्ट मैच में यह रिकार्ड फिर से गड़बड़ा जाता है। भारत ने तीसरे टेस्ट के रूप में 118 मैच खेले हैं जिनमें से 32 में उसे जीत और 35 में हार मिली जबकि बाकी 51 मैच ड्रा रहे हैं। चौथे टेस्ट के रूप में खेले गये 57 टेस्ट मैच में भारत ने 14 मैच जीते और 18 गंवाये बाकी 25 मैच ड्रा करवाये।
भारत ने जिन तीन श्रृंखलाओं में पहला मैच गंवाने के बाद जीत दर्ज की उनमें इंग्लैंड के खिलाफ 1972-73 की श्रृंखला बेहद अहम स्थान रखती है। अजित वाडेकर की अगुवाई वाली भारतीय टीम दिल्ली में खेला गया पहला टेस्ट मैच छह विकेट से हार गयी थी लेकिन उसने कोलकाता में दूसरे टेस्ट मैच में 28 रन और चेन्नई में तीसरे टेस्ट मैच में चार विकेट से जीत दर्ज करके शानदार वापसी की थी। इसके बाद कानपुर और मुंबई में खेले गये अगले दोनों टेस्ट मैच ड्रा कराकर भारत ने श्रृंखला 2-1 से जीती थी।
यही कारनामा सौरव गांगुली की अगुवाई वाली टीम ने 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सरजमीं पर किया था। भारत मुंबई में खेला गया पहला टेस्ट मैच दस विकेट से हार गया लेकिन कोलकाता में दूसरे टेस्ट मैच में फालोआन के बाद वीवीएस लक्ष्मण की 281 रन की ऐतिहासिक पारी और हरभजन सिंह की शानदार गेंदबाजी से भारत ने 171 रन से जीत दर्ज की। भारत ने तब चेन्नई में खेला गया तीसरा और अंतिम टेस्ट मैच दो विकेट से जीतकर श्रृंखला 2-1 से अपने नाम की थी।
कोहली की अगुवाई में भी भारतीय टीम एक बार ऐसा कारनामा कर चुकी है और भारतीय कप्तान अपने खिलाडि़यों को बता भी चुके हैं कि उन्हें श्रीलंका के खिलाफ 2015 की श्रृंखला से प्रेरणा लेनी होगी जब टीम ने गाले में खेला गया पहला टेस्ट मैच 63 रन से गंवा दिया था लेकिन इसके बाद कोलंबो में खेले गये अगले दोनों टेस्ट मैचों में क्रमश: 278 रन और 117 रन से जीत दर्ज करके श्रृंखला 2-1 से जीती थी।
कोहली ने पुणे में हार के बाद कहा था, पिछली बार जब हमने इस तरह का प्रदर्शन : श्रीलंका के खिलाफ गाले में : किया था तो उसके बाद हमने लगातार अच्छा खेल दिखाया। मेरे कहने का मतलब है कि हमें फिर से ऐसा प्रदर्शन करने की जरूरत है।
जहां तक ऑस्ट्रेलिया की बात है तो इससे पहले उसने 2005 की एशेज श्रृंखला में पहला टेस्ट मैच जीतने के बाद श्रृंखला गंवायी थी। तब ऑस्ट्रेलियाई टीम लार्डस में पहला टेस्ट जीतने में सफल रही थी लेकिन इसके बाद वह एजबेस्टन में दूसरा और टेंटब्रिज में चौथा टेस्ट मैच हारकर श्रृंखला गंवा बैठी थी। ऑस्टेलिया का श्रृंखला के पहले टेस्ट मैच की तुलना में दूसरे टेस्ट मैच में रिकार्ड थोड़ा कमतर रहा है। ऑस्ट्रेलिया टीम ने दो या इससे अधिक टेस्ट मैचों की श्रृंखला के पहले टेस्ट के तौर पर खेले गये 201 मैचों में 109 में जीत दर्ज की और 45 में उसे हार मिली। श्रृंखला के दूसरे टेस्ट के रूप में उसने जो 200 मैच खेले हैं उनमें से 97 में उसे जीत मिली और 52 में हार।
भारतीय टीम के लिये अब पहली चुनौती बेंगलुरू में शनिवार से शुरू होने वाले दूसरे टेस्ट मैच में वापसी करने की होगी। बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारतीय टीम ने अब तक 21 टेस्ट मैच खेले हैं जिनमें से उसे छह में जीत और छह में हार मिली जबकि बाकी नौ टेस्ट मैच ड्रा रहे। ऑस्ट्रेलिया ने इस मैदान पर जो पांच मैच खेले हैं उनमें से दो में उसने जीत हासिल की और एक में उसे हार का सामना करना पड़ा।
भारत हालांकि पिछले एक दशक से अधिक समय से चिन्नास्वामी स्टेडियम में अजेय रहा है। इस बीच उसने यहां पांच टेस्ट मैच खेले जिसमें दो में जीत दर्ज की और तीन ड्रा रहे। इनमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2010 में खेला गया मैच भी शामिल है जिसमें भारत ने सात विकेट से जीत दर्ज की थी। भाषा