मोबाइल निर्माता कंपनी ओपो भारतीय क्रिकेट टीम की नयी प्रायोजक बनी जो दिग्गज प्रसारण कंपनी स्टार इंडिया की जगह लेगी। ओपो ने रिकार्ड 1079 करोड़ रूपये में यह अधिकार खरीदे।
बीसीसीआई सीईओ राहुल जोहरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ओपो ने पांच साल के लिये रिकार्ड 1079 करोड़ रूपये की बोली लगायी। यह पिछली बोली : स्टार इंडिया : से लगभग पांच गुना अधिक है। दूसरी बड़ी बोली विवो की थी जो 768 करोड़ रूपये की थी।
जोहरी ने कहा, बीसीसीआई ने न्यूनतम बोली 538 करोड़ रूपये तय की थी और दोनों बोलियां उससे कई अधिक रही। ये बोलियां भारतीय क्रिकेट की ताकत का प्रमाण हैं। ये भारतीय क्रिकेट में लोगों के विश्वास का प्रमाण हैं।
उन्होंने कहा, सरल शब्दों में कहें तो प्रत्येक द्विपक्षीय मैच के लिये 4.17 करोड़ रूपये और प्रत्येक आईसीसी मैच के लिये 1.51 करोड़ रूपये। इस संदर्भ में देखें तो पहले बीसीसीआई मैच के लिये 1.71 करोड़ रूपये थो जो अब 4.17 करोड़ : प्रति मैच : पहुंच गया है।
जोहरी ने कहा, स्टार इंडिया 31 मार्च तक प्रायोजक रहेगा। ओपो एक अप्रैल से प्रायोजक बन जाएगा। इस तरह से भारतीय टीम पहली बार ओपो शर्ट आईसीसी चैंपियन्स टाफी : इंग्लैंड में एक जून से शुरू होने वाली : से पहनेगी। यह बोली सभी भारतीय टीमों के लिये हैं जिसमें महिला और जूनियर टीमें भी शामिल हैं। महिला और पुरूष दोनों टीमों की किट पर टीम प्रायोजक का लोगो रहेगा।
स्टार इंडिया ने इससे पहले स्पष्ट कर दिया था कि वह अपने प्रायोजक करार को आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं करेगा जो अगले महीने खत्म हो रहा है। कंपनी ने इस फैसले के लिए बोर्ड के साथ प्रतिबद्धताओं को लेकर मतभेद को कारण बताया था।
स्टार इंडिया 2013 में सहारा की जगह भारतीय क्रिकेट टीम का प्रायोजक बना था जिसे बोर्ड ने अयोग्य घोषित किया था।
जोहरी ने कहा, आज 12 बजे हमने सभी निविदाएं खोली। ओपो, विवो, स्टार, पेटीएम, हीरो, ग्रुप एम, डीएनए, डीबीएस बैंक ने निविदाएं खरीदी थी। इन कंपनियों में से विवो और ओपो दो कंपनियां ही बची थी।
उच्चतम न्यायालय से नियुक्त प्रशासकों की समिति की सदस्या डायना एडुलजी ने कहा कि इसमें पारदर्शिता बरती गयी और सब कुछ सही तरीके से किया गया। उन्होंने कहा, हम बोली से खुश हैं। यह हम सबके लिये सकारात्मक संकेत है। भाषा