पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को राजस्व नुकसान, कानूनी मुकदमों और क्रिकेट जगत से अलगाव का खतरा हो सकता है, अगर वह आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी से टीम को वापस लेने का फैसला करता है। यह विवाद फरवरी-मार्च में होने वाले 50 ओवरों के इस टूर्नामेंट को लेकर आईसीसी के साथ बने गतिरोध के कारण है।
एक वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासक ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि अगर आईसीसी और भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा पीसीबी का "हाइब्रिड मॉडल" पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया, तो पीसीबी के लिए चैंपियंस ट्रॉफी में हिस्सा न लेना आसान निर्णय नहीं होगा।
प्रशासक ने कहा, "पाकिस्तान ने न केवल आईसीसी के साथ एक मेज़बान समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, बल्कि इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाले अन्य सभी देशों की तरह एक अनिवार्य सदस्य भागीदारी समझौता भी किया है। इसपर हस्ताक्षर करने के बाद ही कोई सदस्य राष्ट्र आईसीसी टूर्नामेंट से होने वाले राजस्व का हिस्सा पाने के योग्य होता है।"
उन्होंने बताया, "आईसीसी ने अपने प्रसारण अधिकार सौदे में गारंटी दी है कि सभी सदस्य देश टूर्नामेंट में हिस्सा लेंगे। खासतौर पर, हर आईसीसी टूर्नामेंट में भारत और पाकिस्तान के बीच एक मैच तय होता है।"
प्रसारण सौदे की शर्तों के अनुसार, पाकिस्तान और भारत के बीच होने वाले मैचों से होने वाली कमाई अन्य मैचों के राजस्व घाटे की भरपाई करती है। इसके अलावा अगर पीसीबी टूर्नामेंट से हटता है, तो आईसीसी और 16 अन्य सदस्य बोर्डों या प्रसारणकर्ताओं की ओर से मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है। इससे सभी हितधारकों के राजस्व पर असर पड़ेगा।
इसके अलावा, पीसीबी को अलगाव का खतरा भी है क्योंकि अन्य बोर्ड पीसीबी के हाइब्रिड मॉडल का समर्थन नहीं कर रहे हैं। पीसीबी के अध्यक्ष मोहसिन नकवी पर दबाव है कि वह इस मुद्दे को स्पष्ट करें। समझौता सभी देशों के लिए समान हैं, और अगर पीसीबी ने अपने होस्ट समझौते में कोई विशेष शर्तें नहीं रखीं, तो उनके लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
प्रशासक ने कहा, "हाइब्रिड मॉडल में, पाकिस्तान का भारत में न खेलने का रुख स्वीकार किया गया है। लेकिन, अगले कुछ वर्षों के सभी आईसीसी टूर्नामेंट के सेमीफाइनल और फाइनल भारत में ही आयोजित करने पर बीसीसीआई और आईसीसी सहमत हैं, भले ही पाकिस्तान इन मैचों के लिए क्वालिफाई करे।"
प्रशासक ने यह भी बताया कि पीसीबी को अन्य सदस्य बोर्डों का पर्याप्त समर्थन नहीं मिल रहा है। पीसीबी प्रबंधन ने भी पीसीबी को वह सम्मान नहीं दिया, जो उसे मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा, "जब से पाकिस्तान को मेजबानी के अधिकार दिए गए हैं, तब से यह सवाल कई बार उठाया गया कि भारत की टीम पाकिस्तान आएगी या नहीं, लेकिन आईसीसी ने इस मुद्दे को अनदेखा किया।"
प्रशासक ने यह भी बताया कि पीसीबी ने मेजबानी के अधिकार मिलने के बाद से इस मुद्दे पर आईसीसी और बीसीसीआई से बार-बार स्पष्टता मांगी थी, लेकिन कोई स्पष्ट उत्तर नहीं मिला।