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बादशाहत पर भारी कंगारूओं की तैयारी

खिताब बचाने के लिए भारत का दमदार बल्लेबाजी खेमा फिलहाल कमजोर नजर आ रहा है जबकि एकदिवसीय क्रिकेट के प्रत्येक क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन का दमखम रखता है आॅस्ट्रेलिया
बादशाहत पर भारी कंगारूओं की तैयारी

राजेश रंजन
एक तरफ चार बार की विश्व विजेता आॅस्ट्रेलियाई टीम अपनी सरजमीं पर बाकी 13 टीमों को ललकार रही है। दूसरी तरफ अपनी बादशाहत बरकरार रखने के लिए आतुर भारत को एकदिवसीय मैचों के अपने हालिया प्रदर्शन पर गुरूर है। प्रदर्शन के आंकड़ों का पलड़ा कभी आॅस्ट्रेलिया की ओर झुकता है तो कभी निर्णायक मैचों में भारत की रणनीतिक जीत भारी पड़ जाती है। लेकिन जब इतिहास आंकड़े बयां करने लगते हैं तो दोनों टीमें एक-दूसरे से सहमी नजर आती हैं। भारतीय टीम की सलामी जोड़ी स्थायित्व को तरस रही है जबकि डेविड वार्नर और ऐराॅन फिंच का धमाकेदार आगाज टीम को सफलता का आधा सफर तय करा देता है। भारत का बल्लेबाजी दस्ता दुनिया में सबसे मजबूत माना जाता है जबकि आॅस्ट्रेलिया की घातक गेंदबाजी के खेमे में माइकल जाॅनसन, मिशेल स्टार्क, जोश हैजवुड और फाॅकनर जैसे नगीने जड़े हैं। आॅस्ट्रेलिया के पास फिरकी गेंदबाजों का अभाव है तो भारत आर. एस. अश्विन, रविंद्र जडेजा, अक्षर पटेल और स्टुअर्ट बिन्नी जैसे हरफनमौला स्पिनरों के दम पर विदेशी धरती पर फतह करने के सपने संजो रहा है। इंग्लैंड में भारत ने पहले चैंपियंस ट्राॅफी और फिर वेस्टइंडीज में त्रिकोणीय शृंखला जीतकर साबित कर दिया है कि यूं ही उसे एकदिवसीय टीमों की शीर्ष वरीयता नहीं मिली है। लेकिन हाल के मैच में आॅस्ट्रेलिया उसे दूसरे स्थान पर धकेल चुका है। जब टीम की क्षमता परखने के लिए इसे जिम्बाब्वे भेजा गया तो वहां भी इसने 5-0 से विपक्षी टीम का सूपड़ा साफ कर विराट कोहली को भविष्य का कप्तान बनाने और विश्व कप जीतने की क्षमता का स्पष्ट संकेत दे दिया है। भारत लगातार तीन एकदिवसीय शृंखला जीत चुका है तो आॅस्ट्रेलिया ने अपनी धरती पर विश्व कप से ठीक पहले त्रिकोणीय शृंखला में भारत को जीत के लिए तरसा दिया है।
 ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में तीसरे टेस्ट मैच के बाद ही भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने शृंखला के बीच में ही अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर सबको चैंका दिया था। लेकिन इसके पीछे की वजह उन्होंने टीम निदेशक रवि शास्त्री या मौजूदा कप्तान विराट कोहली से अनबन के बजाय तीन-तीन फॉर्मेट में कप्तानी से थकान ही बताई और कहा कि उनकी टीम इस महीने से शुरू हो रहे विश्व कप में खिताब की रक्षा के लिए अपना पिछला प्रदर्शन दोहराना चाहेगी और इसके लिए जरूरी है कि माहौल में बदलाव लाया जाए। पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर भी कह चुके हैं कि मौजूदा चैंपियन टीम में खिताब बरकरार रखने के सभी गुण हैं। यह बहुमुखी प्रतिभाओं वाली विश्व की सबसे मजबूत टीम है इसलिए इंग्लैंड टेस्ट शृंखला में संघर्ष करने के बाद एकदिवसीय शृंखला 3-0 से जीतकर साबित कर दिया है कि एकदिवसीय फॉर्मेट में यह सबसे संतुलित टीम है और इसे परास्त करना नामुमकिन है। सितंबर में भले ही वह त्रिकोणीय शृंखला का फाइनल दक्षिण अफ्रीका से हार गया लेकिन संयुक्त अरब अमीरात में पाकिस्तान को 3-0 से शिकस्त दी है। लेकिन पिछले विश्व कप के बाद हुए अब तक के मुकाबलों पर गौर किया जाए तो ऑस्ट्रेलिया 78 में से 44 मैच जीतकर एकदिवसीय मैचों का शहंशाह बना हुआ है। ऑस्ट्रेलिया ने इस दौरान 18 शृंखलाएं खेलकर 11 शृंखलाओं की जीत अपने नाम की है और अपनी जमीन पर भारत और इंग्लैंड के साथ चल रही त्रिकोणीय शृंखला में भी इसने अपना जलवा बरकरार रखा है।
सर्वाधिक चार बार विश्व चैंपियन बनने का रिकॉर्ड बनाने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम का टेस्ट इतिहास भले ही पिछले दो वर्षों से उतार-चढ़ाव भरा रहा हो लेकिन जब से डैरेन लेहमैन ने टीम के कोच का पदभार संभाला है यह टीम एकदिवसीय मैचों में 56.4 प्रतिशत की सफल रफ्तार से फर्राटे भर रही है। चाहे भारत की धीमी पिच हो या जिम्बाब्वे में सीम गेंदबाजी या इंग्लैंड में स्विंग गेंदबाजी के अनकूल पिच, ऑस्ट्रेलियाई टीम ने हर जगह जीत का झंडा बुलंद किया है। आॅस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के खिलाफ सन 2013-14 के दौरान घरेलू शृंखला जीतने के बाद भारत एक भी महत्वपूर्ण एकदिवसीय शृंखला नहीं जीत पाया है। दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड में उसे हार का ही मुंह देखना पड़ा जबकि बांग्लादेश में एशिया कप के दौरान भी कोई खास कारनामा नहीं दिखा सका। लेकिन इसके बाद सितंबर में इंग्लैंड को पांच मैचों की एकदिवसीय शृंखला 3-1 से इंग्लैंड में ही हराया। पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का मानना है कि विश्व कप के लिए भारत की बेहतर तैयारी है। उसने इंग्लैंड में अच्छा खेल दिखाया है और जैसे-जैसे उनके खेल में निखार आता जाएगा, यह टीम विश्व कप तक सही संतुलन और तालमेल स्थापित कर लेगी। मोहम्मद शमी जैसे गेंदबाजों ने किफायती गेंदबाजी कर अच्छी संभावनाएं प्रदर्शित की है। इन दिनों डेथ-ओवर के दौरान हर गेंदबाज पिट जाता है और शमी ने इसमें सधी गेंदबाजी की है।
खूबियां और खामियां
पिछले 18 महीनों के दौरान आॅस्ट्रेलिया की टीम में स्टीवन स्मिथ, जेम्स फाॅकनर, बै्रड हेडन और ग्लेन मैक्सवेल का उदय शानदार मैच विजेताओं के रूप में हुआ है, लेकिन इसी दौरान भारत की सबसे बड़ी समस्या बल्लेबाजी क्रम में स्थिरता को लेकर ही उभरी है। शिखर धवन बर्मिंघम के चैथे एकदिवसीय में ही लय पकड़ पाए जबकि कोहली टेस्ट या एकदिवसीय शृंखला के किसी भी मैच में 50 का आंकड़ा पार नहीं कर पाए। सिर्फ अजिंक्य रहाणे और सुरेश रैना ही दो-दो शतक जड़कर हीरो बन पाए। मेजबान आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की पिचों पर हाल में कराए गए सर्वे संकेत देते हैं कि तेज गेंदबाजी किसी टीम की नियति तय करने में अहम भूमिका निभाएगी। आॅस्ट्रेलिया के पास मिशेल जाॅनसन और मिशेल स्टार्क जैसे घातक तूफानी गेंदबाज हैं जबकि भारत के लिए भुवनेश्वर कुमार और स्टुअर्ट बिन्नी से घातक गेंदबाजी की उम्मीद करना नामुमकिन है। उमेश यादव तेज गति से गेंद तो डालते हैं लेकिन बल्लेबाजों के आक्रमण के बाद ही उनकी लाइन और लेंथ दोनों बिगड़ जाती है। मोहम्मद शमी और ईशांत शर्मा दोनों अपने-अपने फाॅर्म और फिटनेस से जूझ रहे हैं जबकि गेंद को आॅन और आॅफ साइड में मोड़ने में अब तक नाकाम ही रहे हैं। फिरकी गेंदबाजी में भारत का पलड़ा मजबूत रहा है। आॅस्ट्रेलिया को इसका अभाव खटक सकता है। टीम में एकमात्र धीमी गति के गेंदबाज झेवियर डोहेर्थी हैं जो विकेट निकालने के बजाय किफायती गेंदबाजी को तरजीह देते हैं। आॅस्ट्रेलिया के लिए मध्यक्रम में गेंदबाजी की कमी बनी हुई है। स्मिथ और मैक्सवेल इसकी भरपाई कर सकते हैं लेकिन अक्सर वे महंगे साबित हुए हैं। एक सर्वे के मुताबिक अब आॅस्ट्रेलियाई स्पिनरों को एक विकेट लेने के लिए औसतन 55 गेंदें फेकनी पड़ती है जबकि सन 2009 से इसके लिए उन्हें सिर्फ 35 गेंदें ही खर्च करनी पड़ती थी। आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की पिचों पर हाल के दिनों में स्पिनरों की इकोनाॅमी दर (4.86) तेज गेंदबाजी (5.21) के मुकाबले अच्छी रही है जिसका फायदा भारतीय स्पिनर उठा सकते हैं। मिशेल स्टार्क की लय भी बनी हुई है और वह त्रिकोणीय शृंखला में सर्वाधिक विकेट भी निकाल चुके हैं जाॅनसन की गति मंद पड़ गई है और टीम के बल्लेबाज भी अपनी पिच पर ही भरोसा जीतने में विफल रहे हैं। आॅस्ट्रेलिया के विशाल मैदानों पर भारतीय गेंदबाज भी लगातार दबाव नहीं बना पाए हैं। भारतीय सलामी जोड़ी रहाणे और शिखर धवन जमकर खेलने में असहज महसूस कर रहे हैं और विराट कोहली की तरह शिखर धवन लगातार विकेट फेंकते आ रहे हैं। दोहरे शतक लगाकर फाॅर्म में लौटे रोहित शर्मा अनफिट ही चल रहे हैं। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी बल्लेबाजी क्रम में उलट-फेर करने के बावजूद कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। नए जमाने के क्रिकेट में एकदिवसीय मैच बल्लेबाजों का खेल बन गया है। जब तक किसी मैच में 300 से ज्यादा रन नहीं जाते, विपक्षी टीम के लिए लक्ष्य पाना आसान हो जाता है। हमारी गेंदबाजी वैसे ही कमजोर रही है और बल्लेबाज अपनी लय में लौटने का विश्वास नहीं जमा पा रहे हैं। दूसरी तरफ, स्टीवन स्मिथ और ए. बी. डिविलियर्स (दक्षिण अफ्रीका) जैसे बल्लेबाज ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से नए-नए कीर्तिमान बना रहे हैं।
भारतीय कोच डंकन फ्लेचर मानते हैं कि धोनी के नेतृत्व में एक और विश्व कप जीतने का यह सुनहरा अवसर है। यह भरोसा उन्हें पिछले तीन आईसीसी टूर्नामेंटों में भारतीय टीम के प्रदर्शन से जगा है। इन टूर्नामेंटों में भरत को सिर्फ दो मैचों में हार मिली है। उन्होंने कहा, “भारत ने 2013 में चैंपियंस ट्राॅफी जीती है और 2014 के विश्व ट्वेंटी-20 टूर्नामेंट का फाइनल खेला है। मेरे विश्वास की सबसे बड़ी वजह इंग्लैंड में हमारी चैंपियंस ट्राॅफी की जीत है। हमने विदेश की प्रतिकूल स्थितियों में भी खेलते हुए एक भी मैच नहीं गंवाया। पिछले तीन साल में हमने तीन-तीन आईसीसी टूर्नामेंट खेले हैं- 2012 और 2014 में विश्व ट्वेंटी-20 प्रतियोगिताएं और 2013 में चैंपियंस ट्राॅफी।” भारत के साथ एक और बड़ी दिक्कत यह है कि अपने समूह में इसका शुरुआती मुकाबला अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान और फिर दक्षिण अफ्रीका से है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पाकिस्तान ने आॅस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की मेजबानी में सन 1992 का विश्व कप (मेलबर्न में) जीता है जबकि डिविलियर्स ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ सबसे तेज शतक जड़कर बल्लेबाजी के नए रदीफ-काफिए गढ़े हैं। वैसे आॅस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज माइकल कास्प्रोविच मानते हैं कि भारतीय टीम पिछले दो महीने से आॅस्ट्रेलिया में है और इसका फायदा उठाते हुए इसकी मजबूत बल्लेबाजी टीम को विश्व कप के आखिरी दौर तक पहुंचाएगी। टीम को बल्लेबाजी क्रम में बदलाव लाने और कप्तान को अपने संसाधनों का चतुुराई से इस्तेमाल करने की जरूरत है ताकि इस आयोजन के आखिरी दौर तक उसके खिलाड़ी तरोताजा रह सकें। न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान और भारत के पूर्व कोच जाॅन राइट भी मानते हैं, “विश्व कप-2003 में जब टीम फाइनल में पहुंची थी तो हमारे पास सचिन, सौरव, द्रविड़ और श्रीनाथ जैसे युवा एवं अनुभवी बल्लेबाजों-गेंदबाजों का समुचित मिश्रण था। इस बार की टीम में भी युवा एवं होनहार खिलाडि़यों की भरमार है, बस जरूरत उन्हें सही तालमेल बिठाते हुए टीम को आगे ले जाने की है।” विराट कोहली और रोहित शर्मा के बल्लेबाजी क्रम को लेकर जहां क्रिकेट पंडितों की अलग-अलग राय है वहीं कप्तान धोनी की दुविधा बरकरार है। त्रिकोणीय शृंखला में दहाई का आंकड़ा तक पार नहीं कर पाने वाले शिखर धवन पर उनका भरोसा बना हुआ है। विश्व कप मुकाबले में यदि लड़खड़ाहट से ही आगाज होगा तो आगे की राह भारत के लिए मुश्किल हो सकती है क्योंकि पिछली बार पाकिस्तान को हराकर सुपर-आठ में पहुंचने वाली आयरलैंड टीम भी खतरा बन सकती है।
 भारत का मुकाबला
15 फरवरी- पाकिस्तान
22 फरवरी- दक्षिण अफ्रीका
28 फरवरी- संयुक्त अरब अमीरात
6 मार्च- वेस्ट इंडीज
10 मार्च- आयरलैंड
14 मार्च- जिम्बाब्वे
ये भी कुछ कम नहीं
इस बार 14 टीमें विश्व कप प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं जिनमें से दस टीमें टेस्ट मैच खेलती हैं। वैसे तो किसी भी टीम को कमतर आंकना भूल होगी लेकिन किसी भी वक्त भारत का मजबूत बल्लेबाजी किला ध्वस्त करने में आॅस्ट्रेलिया के अलावा दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और वेस्ट इंडीज के गेंदबाज सक्षम हैं। आॅस्ट्रेलियाई महाद्वीप की पिच भारत और दक्षिण एशियाई पिचों से बिल्कुल अलग हैं और इसमें कोई भी टीम बड़ा उलटफेर कर सकती है। क्रिकेट विशेषज्ञों ने इस बार भारत, आॅस्ट्रेलिया, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड को विश्व कप का मजबूत दावेदार माना है। पाकिस्तान इसी धरती पर एक बार खिताब जीत चुका है जबकि वेस्ट इंडीज इन सभी टीमों को अब भी कड़ी टक्कर देने का माद्दा रखता है।
श्रीलंकाः जानकारों की राय में भारत के बाद श्रीलंका सबसे मजबूत टीम है क्योंकि पूर्ववर्ती विश्व कप प्रतियोगिताओं में उसका लाजवाब प्रदर्शन रहा है। कई बार यह टीम सेमी-फाइनल और फाइनल में पहुंच चुकी है। सन 2007 के फाइनल में यह आॅस्ट्रेलिया से जबकि सन 2011 के फाइनल में भारत से मात खाने के कारण इस बार जख्मी शेर जैसी आक्रामकता अपना सकती है। इसके बाद ही पहली बार इसने आईसीसी ट्वेंटी-20 विश्व कप का खिताब भी जीता है और पिछले कुछ वर्षों के दौरान अपने महाद्वीप से बाहर इसका प्रदर्शन भी बेहतरीन रहा है।
दक्षिण अफ्रीकाः यह एक जुझारू लेकिन बदकिस्मत टीम मानी जाती है क्योंकि किसी टूर्नामेंट के फाइनल दौर में लचर प्रदर्शन के कारण अब तक विश्व कप नहीं जीत पाई है। मोटे तौर पर यह क्रिकेट की सबसे मजबूत टीम नजर आती है और पूर्व के विश्व कप मैचों में भी इसका बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा है लेकिन महत्वपूर्ण पड़ाव पर पहुंचते ही यह फिसल जाती है और मैच गंवा बैठती है। मौजूदा स्थिति टीम के अनुकूल है और इसकी गेंदबाजी सबसे घातक बनकर उभरी है। वहीं कप्तान डिविलियर्स और डेल स्टेन की आक्रामक बल्लेबाजी किसी भी पल मैच का रुख बदल सकती है।
न्यूजीलैंडः यह आॅस्ट्रेलिया के साथ विश्व कप की मेजबानी कर रहा है लिहाजा अपने घरेलू मैदान पर सहजता से खेल सकता है। हाल के दिनों में न्यूजीलैंड का प्रदर्शन भी सुधरा है और पिछले वर्ष इसने मौजूदा चैंपियन भारत को घरेलू शृंखला में शिकस्त दी है। कीवी टीम  एक बार भी विश्व कप खिताब नहीं जीत पाई है लेकिन अपने मजबूत इरादे के साथ फाइनल तक का सफर तय करने को बेताब है। हालांकि यह टीम विश्व कप के रनर-अप तक का सफर भी तय नहीं कर पाई है लेकिन 1992 में अपनी सरजमीं पर यह सेमीफाइनल तक पहुंच चुकी थी। आज टीम के पास एकदिवसीय विशेषज्ञों की भरमार है।
टीमों के दारोमदार
ए. बी. डिविलियर्स (दक्षिण अफ्रीका)ः वेस्ट इंडीज के खिलाफ 31 गेंदों पर सबसे तेज शतक और 16 गेंदों पर सबसे तेज अर्द्धशतक जड़कर इस दक्षिणी अफ्रीकी कप्तान ने अपने बुलंद इरादों की दस्तक दे दी है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान डिविलियर्स सबसे प्रभावशाली क्रिकेटरों में गिने जाने लगे हैं और उनका अभिनव प्रयोग तथा आकर्षक शैली दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करती है।
डेविड वार्नर (आॅस्ट्रेलिया)ः देर से ही सही लेकिन अपनी विस्फोटक शैली से वार्नर ने पारी की जबर्दस्त शुरुआत कर टीम को लाभ पहुंचाया है। वह बैकफुट और फ्रंट फुट पर खेलने में माहिर हैं और शायद ही किसी कमजोर गेंद को बख्शते हैं। भारत के खिलाफ टेस्ट शृंखला में 2-0 से जीत दर्ज करने में उनके तीन शतकों की की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
हाशिम अमला (दक्षिण अफ्रीका)ः पिछले दो-तीन वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो अमला के आगे एकाध बल्लेबाज ही टिकते नजर आते हैं। विशुद्ध रूप से बतौर टेस्ट बल्लेबाज उभरे अमला अब क्रिकेट के सभी फाॅर्मेटों में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के लिए मशहूर हो चुके हैं। वह एकदिवसीय मैचों में 2000, 3000, 4000 और 5000 रन सबसे तेजी से पूरे करने वाले बल्लेबाज हैं जबकि वेस्ट इंडीज के खिलाफ दूसरे एकदिवसीय मैच में 153 रन बनाकर सबसे तेज गति से 18 शतक जड़े हैं। दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजी क्रम को अमला ने डिविलियर्स के साथ मजबूती प्रदान की है।  
स्टीवन स्मिथ (आॅस्ट्रेलिया)ः आॅस्ट्रेलिया के टेस्ट कप्तान स्मिथ ने भारत के खिलाफ अपने रिकाॅर्ड 769 रनों की जिम्मेदार पारी खेलकर अपना नया परिचय दिया है। उनकी अपनी कोई बल्लेबाजी तकनीक तो नहीं है लेकिन आत्मविश्वास के दम पर सभी तरह के विकेट पर लंबी पारी खेलने का माद्दा रखते हैं। वह हालात के मुताबिक पिच पर टिकते हुए रन बटोरते हैं।
क्रिस गेल (वेस्ट इंडीज)ः दुनिया के सभी गेंदबाज यदि किसी से सबसे ज्यादा डरते हैं तो वह है क्रिस गेल। वह किसी तरह की गेंदबाजी की बखिया उधेड़कर मैच का पासा पलटने की क्षमता रखते हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ट्वेंटी-20 शृंखला में उन्होंने 77 और 90 रन की पारी खेलकर यह करतब दिखा चुके हैं। हालांकि विश्व कप में साझेदारी निभाने के लिए दूसरे छोर पर केरान पोलार्ड और ड्वेन ब्रावो की अनुपस्थिति उन्हें खलेगी।   
कुमार संगकारा (श्रीलंका)ः संगकारा की उम्र अब तक उनकी बल्लेबाजी के आड़े नहीं आई है। पिछले वर्ष न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में उन्होंने सबसे तेज 12000 रन पूरे करने के साथ ही 11वां दोहरा शतक लगाने का भी रिकाॅर्ड बनाया है। उनका यह रिकाॅर्ड डाॅन ब्रैडमैन से महज एक कदम पीछे है। न्यूजीलैंड के खिलाफ ही चैथे एकदिवसीय मैच में 76 रनों की पारी खेलकर वह सनत जयसूर्या को पीछे छोड़ते हुए सर्वाधिक रन बनाने वाले श्रीलंकाई बल्लेबाज बन गए हैं। वह अपना आखिरी विश्व कप खेल रहे हैं और टीम को उनसे बहुत ज्यादा उम्मीद है।
मिशबाह-उल-हक (पाकिस्तान)ः पाकिस्तान के इस 40 वर्षीय कप्तान के लिए पिछला वर्ष कामयाबी भरा रहा। टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज शतक जड़ते हुए अपने नेतृत्व में उन्होंने आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ 2-0 से जीत दर्ज की। आईसीसी एकदिवसीय रैंकिंग में वह पाकिस्तान के सर्वोच्च वरीयता प्राप्त बल्लेबाज हैं। विश्व कप क्रिकेट में उनका प्रदर्शन लगातार बेहतर रहा है और उन्होंने अपने प्रशंसकों को भारत के खिलाफ पहले मुकाबले में निराश नहीं करने का भरोसा दिलाया है।
केन विलियमसन (न्यूजीलैंड)ः कप्तान ब्रेंडाॅन मैककुलम की पसंद के कारण टीम में शामिल हुए दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने पिछले 24 महीनों के दौरान असाधारण खेल का प्रदर्शन किया है। पिछले दस टेस्ट मैचों में 77.50 की औसत से उन्होंने 1240 रन बनाए हैं जिसमें पांच शतक और तीन अर्द्धशतक शामिल हैं। आईसीसी के शीर्ष बल्लेबाजों की रैंकिंग में वह न्यूजीलैंड के एकमात्र बल्लेबाज हैं।
इयाॅन माॅर्गन (इंग्लैंड)ः एलेस्टर कुक के बाद माॅर्गन ने टीम नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाली है। अपनी आक्रामक बल्लेबाजी शैली से उन्होंने आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ शानदार शतक जड़कर अपने आलोचकों का मुंह बंद किया है। वह अपनी टीम के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं और अगर वह पारी की शुरुआत करने उतरते हैं और बड़ा स्कोर बनाते हैं तो कोई निःसंदेह टीम के लिए फाइनल की राह आसान हो जाएगी।

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