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सूर्य के प्रकाश को नतमस्तक खेल जगत

भारतीय क्रिकेट जगत में मिस्टर 360 डिग्री नाम से मशहूर बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव ने 9 फरवरी से नागपुर में...
सूर्य के प्रकाश को नतमस्तक खेल जगत

भारतीय क्रिकेट जगत में मिस्टर 360 डिग्री नाम से मशहूर बल्लेबाज सूर्यकुमार यादव ने 9 फरवरी से नागपुर में खेली जा रही बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की। पूर्व भारतीय क्रिकेटर रवि शास्त्री के हाथों टेस्ट कैप हासिल करने के साथ ही यादव के नाम एक रिकॉर्ड है। यादव पहले ऐसे भारतीय क्रिकेटर बन गए हैं, जिन्होंने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों टेस्ट, एकदिवसीय और और टी 20 क्रिकेट में 30 वर्ष की आयु के बाद पदार्पण किया है। बीते दिनों सूर्यकुमार यादव को आइसीसी द्वारा टी 20 पुरुष क्रिकेटर ऑफ द ईयर खिताब से नवाजा गया था। इसे हासिल करने वाले वे पहले भारतीय बल्लेबाज हैं।

 

मशहूर शायर बशीर बद्र का एक शेर है, “ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं, तुमने मेरा कांटों भरा बिस्तर नहीं देखा।” यादव का सफर भी कांटों भरा रहा है। उत्तर प्रदेश से तआल्लुक रखने वाले सूर्यकुमार को बचपन से बैडमिंटन और क्रिकेट का शौक था। क्रिकेट खेलने के कारण ज्यादा समय घर से बाहर रहने का अवसर मिलता था इसलिए सूर्यकुमार ने क्रिकेट को अहमियत दी। सूर्यकुमार यादव के पहले गुरु उनके चाचा थे, जिन्होंने उनकी प्रतिभा को पहचाना। बाद में सूर्यकुमार यादव के पिता को नौकरी के सिलसिले में मुंबई जाना पड़ा। तब उनकी जिंदगी में बदलाव आया। यहां यादव के पास बेहतर क्रिकेट कोचिंग सुविधाएं थीं। उन्होंने पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी दिलीप वेंगसरकर की एकेडमी में बल्लेबाजी की बारीकियां सीखीं। यहां से सूर्यकुमार यादव एक परिपक्व बल्लेबाज बनकर सामने आए।

 

 

यादव ने 2010-2011 रणजी ट्राफी सीजन में मुंबई की टीम की तरफ से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया। उस साल उन्हें बहुत मौके नहीं मिले। अगले सीजन में सूर्यकुमार यादव ने अपना जलवा दिखाया। 2011-2012 रणजी ट्रॉफी सीजन में 68.54 के औसत से 754 रन बनाकर यादव मुंबई टीम से सीजन में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बनकर उभरे। इस प्रदर्शन से सूर्यकुमार ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। यादव का अगला रणजी ट्रॉफी सीजन अच्छा नहीं रहा लेकिन उसके बाद लगातार तीन सीजन उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। इन तीन सीजन में यादव ने क्रमशः 529, 690 और 788 रन बनाए। उनकी शानदार बल्लेबाजी से उम्मीदें जागीं। कयास लगने लगे अब वे भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हो जाएंगे। मगर ऐसा होने में समय था।

 

इसी बीच यादव का इंडियन प्रीमियर लीग यानी आइपीएल में पदार्पण हुआ। 2012 में मुंबई इंडियंस ने उन्हें अपनी टीम में चुना मगर ज्यादा अवसर नहीं दिए। यादव को आइपीएल में पहली पहचान 2015 में कोलकाता नाइट राइडर्स की तरफ से खेलते हुए मिली। उन्होंने 20 गेंद में 5 छक्के लगाकर 46 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली। शानदार प्रदर्शन के कारण मुंबई इंडियंस ने उन्हें फिर टीम में शामिल किया। मुंबई इंडियंस में रोहित शर्मा के नेतृत्व में यादव के खेल में जबरदस्त निखार आया। मुंबई इंडियंस की ओर से यादव ने ऐसी पारियां खेली कि हर तरफ उनके बारे में चर्चा होने लगी। पूर्व खिलाड़ियों से लेकर क्रिकेट एक्सपर्ट और मीडिया जगत में एक ही प्रश्न उठता दिखा कि आखिर कब सूर्यकुमार यादव को भारतीय क्रिकेट टीम में जगह मिलेगी। 

 

 

 

सूर्यकुमार यादव निरंतर शानदार प्रदर्शन कर रहे थे। उनके साथी खिलाड़ी और जूनियर भारतीय टीम में चयनित हो रहे थे। मीडिया से लेकर पूर्व खिलाड़ियों और क्रिकेट विशेषज्ञों की जबान पर उनका ही नाम था। मगर जब टीम की घोषणा होती तो सूर्यकुमार का नाम गायब रहता। कभी अंबाती रायडू, केएल राहुल, केदार जाधव तो कभी दिनेश कार्तिक की वापसी के चलते सीमित ओवर के क्रिकेट टीम में यादव की जगह नहीं बन पा रही थी। भारतीय घरेलू क्रिकेट में ऐसे कई खिलाड़ी रहे, जिन्होंने रणजी ट्रॉफी मैचों में रनों के अंबार लगाए मगर भारतीय टीम में उनका चयन नहीं हो सका। उधर सूर्यकुमार यादव की उम्र बढ़ रही थी और हौसले पस्त हो रहे थे। इस कठिन समय में उम्मीद की रोशनी बनकर आईं, उनकी पत्नी देविशा। देविशा के कहने पर सूर्यकुमार यादव ने निजी बैटिंग कोच, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट रखा और अपनी ट्रेनिंग शुरू की और अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हो गए। मेहनत, अनुशासन और समर्पण का फल यादव को मिला और आखिरकार 31 वर्ष की आयु में वे इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली टी 20 सीरीज टीम में शामिल हो गए। 

 

18 मार्च 2021 को इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के चौथे टी 20 मैच में सूर्यकुमार यादव को बल्लेबाजी का मौका मिला और उन्होंने पहली ही गेंद का सामना करते हुए, दुनिया के तेजतर्रार गेंदबाज जोफरा आर्चर की गेंद पर छक्का जड़कर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। सूर्यकुमार यादव ने इस मैच में 31 गेंद में 57 रन बनाकर अपने चयन को जायज ठहराया और प्लेयर ऑफ द मैच बने। इसके बाद सूर्यकुमार यादव ने इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए शतक जड़ा। टी 20 विश्व कप 2022 में भी सूर्यकुमार यादव का अच्छा प्रदर्शन रहा। सूर्यकुमार यादव अभी तक 45 टी 20 मैच में 180 के स्ट्राइक रेट से 1578 रन बना चुके हैं। इसमें 3 शतक और 13 अर्धशतक शामिल हैं। सूर्यकुमार यादव टी 20 के साथ ही वन डे और टेस्ट मैच टीम के लिए भी चयनित हो चुके हैं मगर उनका प्रदर्शन टी 20 में ही सबसे शानदार रहा है। आज सूर्यकुमार यादव को टी 20 क्रिकेट का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज कहा जाता है। उनकी प्रतिभा के सभी मुरीद हैं। जिस तरह के शॉट सूर्यकुमार यादव खेलते हैं, वह अविश्वसनीय लगते हैं और इसी कारण प्रशंसक सूर्यकुमार यादव को सबसे अलग मानते हैं।

 

आज सूर्यकुमार यादव उगते सूरज हैं। इसलिए सारा जमाना उनके नाम को जप रहा है। उन्होंने धैर्य, अनुशासन, अभ्यास और समर्पण की मिसाल पेश की है। आउटलुक से बातचीत करते हुए सूर्यकुमार यादव के पिता अशोक कुमार यादव ने अपने मन की परतें खोलीं। अशोक कुमार यादव ने बताया कि अब तो उनका बेटा शांत और स्थिर हो गया है। इस कारण उनके परिवार को भी किसी भी तरह की बेचैनी, फिक्र या उलझन नहीं होती। मगर वह हमेशा से ऐसा नहीं था। जब केएल राहुल और जसप्रीत बुमराह का भारतीय टीम में चयन हो रहा था, तब सूर्यकुमार यादव पर दबाव था। एक तनाव की स्थिति थी। मगर उनके बेटे ने माइकल हसी से प्रेरणा ली। उनके बेटे में यह दृष्टि पैदा हुई कि जब माइकल हसी देरी से शुरुआत करके मिस्टर क्रिकेट बन सकते हैं, तो वह भी अपना मुकाम हासिल कर सकता है। अशोक कुमार यादव कहते हैं, “उन्हें खुशी है कि उनके बेटे ने अपने खानपान और अभ्यास को नियंत्रित और अनुशासित करके वह स्तर हासिल किया है कि आज दुनियाभर में उसे टी 20 का सबसे बेहतरीन बल्लेबाज कहा जा रहा है।” आज एक पिता के रूप में उन्हें गर्व है कि उनका बेटा करोड़ों भारतीयों की उम्मीद है और उसके प्रदर्शन से लोगों के चेहरे पर खुशी आती है। साथ ही भारत देश गौरवान्वित महसूस करता है। सूर्यकुमार यादव का सफर वर्तमान पीढ़ी और आने वाली नस्लों को यह सबक देता है कि यदि आप निरंतरता से अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहते हैं, तो फिर मंजिल कितनी ही कठिन नजर आए, आप उस तक एक न एक दिन पहुंचते जरूर हैं।

 

 

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