भले ही सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता हो और उनकी उपलब्धियों और रिकॉर्ड आगे दुनिया भर के करोड़ों फैंस उनके आगे सिर झुकाते हों लेकिन सचिन तेंदुलकर खुद एक शख्स के आगे अपना सिर झुकाते हैं और वह हैं उनके गुरु रमाकांत आचरेकर।
वह रमाकांत आचरेकर ही थे जिन्होंने सचिन तेंदुलकर की प्रतिभा को पहचाना उसे तराशा और क्रिकेट की दुनिया का महान खिलाड़ी बनने में सबसे अहम भूमिका निभाई। सचिन ने शिक्षक दिवस पर अपने गुरु रमाकांत आचरेकर को शुभकामनाएं दी। इस मौके पर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने ट्विटर पर एक वीडियो भी शेयर किया है। इस वीडियो में सचिन ने अपने स्कूल के दिनों का एक वाकया अपने फैन्स के साथ साझा किया है जिसमें सर आचरेकर से मिली सीख ने कैसे उनकी जिंदगी बदल दी।
वीडियो को शेयर करते हुए सचिन ने आचरेकर सर को बधाई देते हुए कहा, हैप्पी टीचर्स डे! आपने मुझे जीवन में जो पाठ सिखाए वो मेरे लिए हमेशा मददगार साबित हुए। एक ऐसा वाकया साझा कर रहा हूं। जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। सचिन ने बताया, "यह मेरे स्कूल के दिनों का एक अजीब सा अनुभव था। मैं सिर्फ जूनियर टीम के लिए खेलता था और हमारी सीनियर टीम वानखेडे स्टेडियम (मुंबई) में हैरिस शील्ड का फाइनल खेल रही थी।
सचिन ने कहा, "उसी दिन कोच आचरेकर सर ने मेरे लिए एक प्रैक्टिस मैच का आयोजन किया था। उन्होंने मुझसे स्कूल के बाद वहां जाने के लिए कहा। उन्होंने कहा, "मैंने टीम के कप्तान से बात की है, तुम्हें चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करनी है और फील्डिंग की कोई जरूरत नहीं है।"
Happy #TeachersDay! The lessons you taught me have always served me well. Sharing an incident with you all that changed my life! pic.twitter.com/J1izUvPG3C
— sachin tendulkar (@sachin_rt) September 5, 2017
उन्होंने आगे कहा, "मैं वह अभ्यास मैच खेलने नहीं गया और वानखेडे स्टेडियम जा पहुंचा। जहां मैं अपने स्कूल की सीनियर टीम को चियर करने लगा। मैं ताली बजा रहा था और मैच का आनंद ले रहा था। खेल के बाद मैंने आचरेकर सर को देखा, मैंने उन्हें नमस्ते किया।" सर ने मुझसे पूछा, "आज तुमने कितने रन बनाए?"
तेंदुलकर ने कहा, "सर मैं सीनियर टीम को चीयर करने के लिए यहां आया हूं। यह सुनते ही, मेरे सर ने सभी लोगों के बीच मुझे डांटा।" उन्होंने कहा, "दूसरों के लिए ताली बजाने की जरूरत नहीं है। तुम अपने क्रिकेट पर ध्यान दो और ऐसा कुछ ऐसा करो कि दूसरे तुम्हारे लिए ताली बजाएं। मेरे लिए यह बहुत बड़ा सबक था, इसके बाद मैं कभी भी मैच नहीं छोड़ा।"
गौरतलब है कि साल 2011 में सचिन ने इसी वानखेड़े स्टेडियम में क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतकर अपना सपना पूरा किया। सचिन ने अपना आखिरी टेस्ट मैच भी मुंबई के इसी वानखेड़े स्टेडियम में खेला था।