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अब जासूसी कराने के आरोप में फंसे श्रीनि, बोर्ड सख्त

भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) की आपात बैठक में अध्यक्ष शशांक मनोहर ने गुरुवार को पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के खासमखास रहे पूर्व बीसीसीआई सचिव संजय पटेल को बुलाकर क्रिकेट जगत में सनसनी फैला दी थी। बाद में एक अंग्रेजी अखबार की खबर से पता चला कि यह सब कार्रवाई श्रीनिवासन पर नकेल कसने की तैयारी के तहत की गई थी क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में बोर्ड प्रत्येक सदस्य की जासूसी के लिए एक निजी कंपनी को तकरीबन छह करोड़ रुपये अदा किए थे।
अब जासूसी कराने के आरोप में फंसे श्रीनि, बोर्ड सख्त

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबरों में कहा गया है कि ब्रिटेन की निजी जासूस और सुरक्षा कंपनी पेज प्रोटेक्टिव सर्विसेज (पीपीएस) को यह रकम दी गई थी जिसकी पुष्टि कंपनी के चेयरमैन ने खुद इस अखबार से बातचीत में की है। इस कंपनी को भुगतान के बारे में पटेल और बीसीसीआई कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी दोनों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। ‌श्रीनिवासन काल के ये दोनों अधिकारी नई व्यवस्‍था में भी इस पद पर बने हुए हैं।

पीपीएस के चेयरमैन स्टुअर्ट पेज ने लंदन से अखबार को बताया कि उनकी कंपनी को बीसीसीआई ने नियुक्त किया था। उन्होंने बताया, ‘हां, हम यह पुष्ट कर सकते हैं कि पीपीएस को बीसीसीआई ने जासूसी कराने का ठेका दिया था लेकिन अपने ग्राहक के साथ गोपनीयता बरतने की शर्त के कारण ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते।’

सूत्रों का कहना है कि कंपनी को श्रीनिवासन ने ठेका दिया था कि वह श्रीनि के कथित विरोधियों पर चौबीसों घंटे नजर रखे कि वे क्या कर रहे हैं और कहां जा रहे हैं। इसके लिए कंपनी को नौ लाख डॉलर दिए थे। बीसीसीआई अब इस मामले को ‘स्नूपगेट’ की तरह देख रहा है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि किन-किन लोगों की जासूसी कराई गई और इसका उद्देश्य क्या था लेकिन यह घटना उस समय की बताई जा रही है जब सर्वोच्च न्यायालय ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग की जांच के लिए न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल समिति का गठन किया था। समझा जाता है कि इस काम की जिम्मेदारी तत्कालीन बीसीसीआई सचिव संजय पटेल ने ही ब्रिटिश कंपनी को सौंपी थी जबकि चौधरी ने बतौर कोषाध्यक्ष उसे भुगतान किया था।

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