क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। यहां खिलाड़ियों के फॉर्म से लेकर दर्शकों की प्रतिक्रियाओं तक सब कुछ अनिश्चित हैं। खिलाड़ी के प्रदर्शन के आधार पर उसे प्यार और नफरत दोनों बराबर मिलती है। लोग भूल जाते हैं कि अगले ने देश के लिए क्या योगदान किया है।
कुछ ऐसा ही भारत-इंग्लैंड के बीच दूसरे वनडे में हुआ। पूर्व कप्तान और भारत को दो विश्वकप दिला चुके महेंद्र सिंह धोनी के बल्ले से जरा धीमे रन क्या निकले फैंस ने उन्हें बुरा भला कहने लगे। यहां तक कि उन्हें मैदान पर भी हूट किया गया।
कप्तान विराट कोहली को धोनी के बचाव में उतरना पड़ा। भारत को इस मैच में 86 रन से हार का सामना करना पड़ा था। अब भारत के एक और पूर्व कप्तान और लिटिल मास्टर के नाम से मशहूर सुनील गावस्कर ने धोनी का बचाव करते हुए कहा कि दबाव में अक्सर ऐसा हो जाता है और बल्लेबाज चाहते हुए भी रन नहीं बना पाता है। गावस्कर ने यह भी कहा कि दूसरे वनडे में धोनी द्वारा खेली गई 37 रनों की पारी ने उन्हें अपनी 36 (नाबाद) की 'बदनाम' पारी याद दिला दी।
किस मैच की बात कर रहे हैं गावस्कर
बात साल 1975 के वर्ल्ड कप की है। 7 जून को भारत और इंग्लैंड का मैच था, जिसमें सुनील गावस्कर ने 174 गेंदों पर सिर्फ 36 रन बनाए थे। तब वनडे मैच 60 ओवर का होता था। वह ओपनिंग करने आए और 20.68 की औसत से बल्लेबाजी करते हुए नॉट आउट रहे थे। उस मैच में भारत 202 रनों से हारा था। 1984-85 तक यह वनडे की सबसे बड़ी हार थी। उसी मैच में इंग्लैंड के डेनिस एमिस ने 147 गेंदों पर 137 रन ठोंक दिए थे। गावस्कर की बैटिंग की काफी आलोचना हुई थी।
धोनी की पारी
दूसरे वनडे में इंग्लैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 322 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया था, जिसके जवाब में भारतीय टीम सिर्फ 236 रन ही बना पाई। भारत के बाकी बल्लेबाजों की तरह धोनी को भी शॉट लगाने में दिक्कत हो रही थी। ऐसे में धोनी को अपनी आक्रमक छवि से उल्टा खेलते देख लोगों ने उन्हें निशाने पर ले लिया। हद तो तब हो गई, जब धोनी की हर डॉट बॉल पर फैंस तरह-तरह की आवाजें निकालने लगे।
धोनी ऐसी स्थिति में शांति से खेलते रहे और कुछ देर बाद शॉट लगाने के चक्कर में आउट होकर चले गए। उन्होंने अपनी पारी में 59 गेंदों पर 37 रन बनाए। उनका स्ट्राइक रेट 62.71 रहा था। वह प्लंकेट की गेंद पर शॉट मारकर स्टोक्स के हाथों कैच हो गए।
किसी मैच में खिलाड़ी अगर अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाया, इस आधार पर उसकी उपलब्धियों को नहीं भुलाया जाना चाहिए पर लोगों की भावनाएं कहां किसी को बख्शती हैं।