ठाकुर ने शशांक मनोहर की जगह ली है जिन्होंने आईसीसी चेयरमैन का पदभार संभालने के लिए इस पद से इस्तीफा दे दिया था। महाराष्ट्र क्रिकेट संघ के प्रमुख और व्यवसायी शिर्के उम्मीद के अनुरूप सचिव पद पर चुने गए जो कल ठाकुर के इस्तीफे के बाद खाली हो गया था। बीसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सीके खन्ना ने विशेष आम बैठक (एसजीएम) की अध्यक्षता की और इस शीर्ष पद के लिए ठाकुर के नाम की घोषणा की।
मनोहर महज सात महीने के कार्यकाल के बाद बीसीसीआई के इस शीर्ष पद से हट गए जिस कारण दुनिया की सबसे अमीर और ताकतवर क्रिकेट संस्था के नए प्रमुख के चुनाव कराने की जरूरत आन पड़ी। अपने इस्तीफे के तुंरत बाद ठाकुर ने कल बीसीसीआई अध्यक्ष के नामांकन के लिए सभी छह पूर्वी क्षेत्र इकाईयों के हस्ताक्षर लिए, जिससे उनके बोर्ड के 34वें अध्यक्ष के तौर पर सर्वसम्मति से चुने जाने का रास्ता बना।
पूर्वी क्षेत्र की सभी छह इकाईयों - बंगाल, असम, त्रिपुरा, झारखंड के क्रिकेट संघ और राष्ट्रीय क्रिकेट क्लब - ने एकजुटता दिखाते हुए नामांकन दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए जबकि नियमों के अनुसार सिर्फ एक इकाई द्वारा ही अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के नाम का नामांकन करने की जरूरत होती है। इस बार अध्यक्ष पद के लिये पूर्वी क्षेत्र का नंबर था।
हिमाचल प्रदेश में हमीरपुर के भाजपा सांसद ठाकुर मुश्किल दौर में बोर्ड का पदभार संभाल रहे हैं क्योंकि बीसीसीआई पर उच्चतम न्यायालय की न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने का दबाव बना हुआ है। दिलचस्प बात है कि ठाकुर 1998-99 में राज सिंह डुंगरपुर के बाद प्रथम श्रेणी क्रिकेटर से बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर काबिज होने वाले पहले व्यक्ति होंगे।
हालांकि महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने थोड़े समय के लिए एक अन्य टेस्ट क्रिकेटर शिवलाल यादव के साथ संयुक्त रूप से मिलकर बीसीसीआई अध्यक्ष पद का भार संभाला था, लेकिन यह उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर हुआ था जिसमें उसने तब के अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन को 2013 आईपीएल सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग प्रकरण के कारण अपने पद से अलग हटने को कहा था।
राज सिंह डुंगरपुर ने राजस्थान और तब मध्य भारत के लिए मध्यम गति के गेंदबाज के तौर पर 86 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे और 206 विकेट चटकाए थे। ठाकुर ने 2000-01 सत्र में दाएं हाथ के बल्लेबाज और ऑफ ब्रेक गेंदबाज के तौर पर एकमात्र रणजी ट्राफी मैच में हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था। ठाकुर पूर्वी क्षेत्र द्वारा 2014-2017 के दौरान शीर्ष पद के चुनाव के लिए समर्थन मिलने वाले तीसरे व्यक्ति हैं। श्रीनिवासन के हटने के बाद जगमोहन डालमिया के नाम पर आम सहमति बनी थी, लेकिन पिछले साल उनका निधन हो गया था और मनोहर ने अक्टूबर 2015 से पदभार संभाला था।