मौजूदा फार्म में मैदानी अंपायर द्वारा लिया गया कोई भी पगबाधा का फैसला तीसरे अंपायर को रेफर किया जाता है और अगर बॉल ट्रैकर में दिखता है कि गेंद केवल स्टंप के पास लगी है तो इसे वापस रैफर किया जाता है।
इसे ही अंपायर का फैसला कहा जाता है और मैदानी अंपायर के पास अपने मूल फैसले पर अडिग रहने का अधिकार होता है। इस मामले पर काफी बातें चल रही हैं, लेकिन कोहली मैदानी अंपायर के साथ हैं।
कोहली ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा, मुझे लगता है कि यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि हर कोई जान जाये कि सही फैसला हुआ है या नहीं। अंपायर का फैसला सभी समझते हैं क्योंकि उन्हें ही फैसला करने का काम सौंपा गया है और डीआरएस प्रणाली में भी इसका सम्मान होता है। मुझे लगता है कि यह सही है। काफी लोग इसे समझते नहीं।
उन्होंने कहा, अगर मैदानी अंपायर ने फैसला किया है तो निश्चित रूप से लाभ उसे ही दिया जाना चाहिए कि उसके फैसला लेने के के दौरान सोच क्या थी और फिर डीआरएस उनके लिये गये उस विशेष फैसले की पुष्टि करता है।
भाषा