न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 3-0 की जीत के बाद कोहली को सभी प्रारूपों की कप्तानी सौंपने की बातें तेज हो गयी हैं। टीम में अपनी भूमिका के बारे में बात करते हुए धोनी ने कहा कि इसमें ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है लेकिन भारतीय क्रिकेट की भावी पीढ़ी के मेंटर की अतिरिक्त जिम्मेदारी बढ़ गयी है।
धोनी पहले ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि 2004 में पर्दापण करने के बाद क्रिकेटर के तौर पर वे काफी बेहतर हो गये हैं। धोनी ने कहा, जब आप टीम के सीनियर सदस्य होते हो तो भूमिका नहीं बदलती, भले ही आप कप्तान हो या फिर उप कप्तान। आपके ऊपर अतिरिक्त जिम्मेदारी होती है। आपको युवाओं से बात करनी होती है, आपको उनका मार्गदर्शन करना होता है। धोनी ने कहा, जब मैंने 2004 में आगाज किया था, तब से काफी चीजें बदल गयी हैं। क्रिकेट खेलने के तरीके में बदलाव हुआ है। भारतीय टीम में जिस तरह के खिलाड़ी आ रहे हैं, वे उससे पूरी तरह से अलग हैं, जैसे हम हुआ करते थे। मेरी भूमिका लगभग वही है। आपको समय के साथ बेहतरीन होना होता है और मैं भी यही करने की कोशिश कर रहा हूं। मेंटर की नयी भूमिका के बारे में धोनी ने भविष्य की नयी प्रतिभाओं को तराशने की बात की जिसमें बतौर फिनिशर टीम में उनकी मौजूदा भूमिका भी शामिल है।
यह पूछने पर कि उनका मतलब क्या है तो धोनी ने कहा कि एक खिलाड़ी को टीम में किसी भी क्रिकेटर की जगह भरने में समय लगता है। इस करिश्माई विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा, आपको निरंतर प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों को देखना होता है। क्रिकेट में फिनिशिंग सबसे ज्यादा मुश्किल चीज है। एक खिलाड़ी महज छह महीने या एक साल में फिनिशर नहीं बन सकता। आपको इस जिम्मेदारी का आदी होना होता है, आपसे जिस चीज की जरूरत है, उसे लंबे समय तक करना जारी रखना होता है।
उन्होंने कहा, मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करता हूं कि एक फिनिशर वो है जो पांचवें या छठे नंबर पर बल्लेबाजी करता है। इस स्थान पर आना और मौके को भुनाकर इस स्थान को भरना काफी मुश्किल है क्योंकि ऐसा भी समय होगा जब आपको मौका नहीं मिले क्योंकि शीर्ष क्रम ने काफी रन जुटा लिये।
भाषा