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जब भावुक विराट ने शिक्षक दिवस पर गुरू को भेंट की एस्कोडा रैपिड

एक बेहद प्रतिभाशाली युवा से विश्व स्तरीय बल्लेबाज तक विराट कोहली की तरक्की में गुरुवर राजकुमार शर्मा का योगदान किसी से छिपा नहीं है। 2014 में शिक्षक दिवस पर इस शिष्य ने अपने सख्त कोच को इतना भावुक कर दिया कि उसे वह कभी नहीं भुला सकेंगे। अनुभवी खेल पत्रकार विजय लोकपल्ली की किताब ड्राइवन में इस घटना का जिक्र किया गया है।
जब भावुक विराट ने शिक्षक दिवस पर गुरू को भेंट की एस्कोडा रैपिड

लेखक ने शर्मा का हवाला देते हुए कहा, मैने एक दिन घंटी बजने पर दरवाजा खोला तो सामने विकास : कोहली का भाई : खड़ा था। शर्मा ने कहा कि इतनी सुबह उसके भाई के आने से मुझे चिंता होने लगी। विकास घर के भीतर आया और एक नंबर लगाया और फिर फोन मुझे दे दिया। दूसरी ओर विराट फोन पर था जिसने कहा, हैप्पी टीचर्स डे सर। इसके बाद विकास ने राजकुमार की हथेली पर चाबियों का एक गुच्छा रखा।

राजकुमार हतप्रभ देखते रहे। विकास ने उन्हें घर से बाहर आने को कहा। दरवाजे पर एक एस्कोडा रैपिड रखी थी, जो विराट ने अपने गुरू को उपहार में दी थी।

राजकुमार ने कहा, बात सिर्फ यह नहीं थी कि विराट ने मुझे तोहफे में कार दी थी बल्कि पूरी प्रक्रिया में उसके जज्बात जुड़े थे और मुझे लगा कि हमारा रिश्ता कितना गहरा है और उसके जीवन में गुरू की भूमिका कितनी अहम है। इस किताब में विराट के जीवन से जुड़ी मजेदार घटनाओं का भी जिक्र है। विराट को भले ही लगता हो कि नाम में क्या रखा है लेकिन दूसरों को शायद एेसा नहीं लगता।

युवराज सिंह ने अपनी किताब टेस्ट आफ माय लाइफ में लिखा था कि उन्हें लगता था कि विराट को चीकूू निकनेम मशहूर कामिक किताब चंपक से मिला जिसमें इस नाम का एक चरित्र है। भारतीय टेस्ट कप्तान ने हालांकि इसका खुलासा किया कि उन्हें यह निकनेम फल से मिला है। लेखक ने लिखा, दिल्ली की टीम मुंबई में रणजी मैच खेल रही थी। विराट ने उस समय तक कुल 10 प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं खेले थे। वह उस टीम में थे जिसमें वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, रजत भाटिया और मिथुन मन्हास शामिल थे। उनके साथ डेसिंग रूम में रहकर वह काफी खुश थे।

उन्होंने लिखा, एक शाम को वह बाल कटाकर होटल लौटा। उसने पास ही में नया हेयर सैलून देखा और वहां से बाल कटाकर नये लुक में आया। उसने हेयर स्‍टाइल पर पूछा कि यह कैसा लग रहा है तो सहायक कोच अजित चौधरी ने कहा कि तुम चीकू लग रहे हो। तभी से उनका नाम चीकू पड़ गया। चौधरी ने कहा, वह उस समय घरेलू क्रिकेट सर्किट में पैर जमाने की कोशिश में था। उसे तवज्जो मिलना अच्छा लगता था। मैने इतना प्रतिस्पर्धी युवा नहीं देखा था। वह रन और तवज्जो का भूखा था। भाषा एजेंसी 

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