विस्फोटक बल्लेबाज युवराज सिंह करियर में अब तक 300 से ज्यादा वनडे मैच खेले चुके हैं और इस वक्त एक खिलाड़ी के तौर पर भारतीय टीम में सबसे अनुभवी हैं। इस अनुभव के बावजूद युवराज चैंपियंस ट्रॉफी के पहले मैच में हाफ सेंचुरी जड़ने के बाद कुछ खास नहीं कर पाए। यही नहीं वेस्टइंडीज की कमजोर टीम के खिलाफ पहले वनडे मैच में भी युवराज सिर्फ 4 रन बनाकर आउट हो गए।
वहीं पूर्व कप्तान धोनी की बल्लेबाजी में भी वो पैनापन नजर नहीं जो किसी जमाने में दिखाई देता है। हाल के प्रदर्शन से तो ऐसा ही लगता है। श्रीलंका के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी में उन्होंने सात, दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 23 और फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ 22 रन बनाए थे। अब उनकी फील्डिंग भी पहले जैसी शानदार नहीं रही है। कप्तान कोहली भी उन्हें बाएं हाथ के स्पिनर के रूप में नहीं आजमा रहे हैं।
पूर्व कप्तान और भारत की अंडर-19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ ने हाल ही में कहा था कि टीम प्रबंधन को यह देखना होगा कि क्या 2019 विश्व कप टीम में वह युवराज को देखते हैं या नहीं। विश्व कप में अब दो साल बचे हैं और इस दौरान टीम को 45-50 वनडे मैच खेलने हैं। कोहली को अगले कुछ महीनों में देखना होगा कि क्या युवराज उनकी योजनाओं के हिस्से होंगे।
युवी और धोनी अब लगभग 36 साल के हो चुके हैं ऐसे में उनका अगले वर्ल्ड कप में खेलना शायद ही मुमकिन हो। ऐसे में अगर 2019 के वर्ल्ड कप की तैयारी के मद्देनजर उनकी जगह किसी बल्लेबाज को तैयार करने की कवायद शुरू कर दी जाए तो भारतीय टीम को मध्यक्रम में बेहतर बल्लेबाज मिल सकता है लेकिन अगर ऐसा नहीं किया गया तो टीम का आगे भी चैंपियंस ट्रॉफी जैसा हाल हो सकता है।
याद रहे कि 2023 का वर्ल्ड कप भारत में होगा जिसका भारत भरपूर फायदा उठाना चाहेगा। आने वाले सालों में अगर इन दोनों बल्लेबाजों की जगह लेने की बात आएगी तो इसका फैसला करना बहुत कठिन होगा। मौजूदा समय में ऋषभ पंत को धोनी के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इसी के चलते चयनकर्ताओं ने पंत को वेस्टइंटीज़ के खिलाफ सीरीज के लिए टीम इंडिया में शामिल किया गया है। आईपीएल 2017 के सीजन में ऋषभ पंत अपनी धुआंधार बल्लेबाजी का प्रदर्शन कर चुके हैं। पंत की बल्लेबाजी स्टाइल और विकेट कीपिंग उन्हें धोनी के उत्तराधिकारीयों में से एक बनाती है।
इसके अलावा ईशान किशन का नाम भी भारत के अगले विकेट कीपर बल्लेबाज़ के रूप में लिया जाता है। लेकिन सवाल है कि दोनों ही खिलाड़ी विकट परिस्थितियों में खुद को किस प्रकार साबित कर पाते है। वहीं अगर बात करे युवराज सिंह की तो उनके विकल्प के तौर पर हार्दिक पंड्या का नाम सबसे पहले जेहन में आता है। चाहे दवाब में बेहतर प्रदर्शन करने की बात हो, बेहतरीन फिल्डिंग की या बीच के ओवरों में गेंदबाजी की सभी मौकों पर उन्होंने अपनी प्रतिभा साबित की है। इसका ताजा उदाहरण चैपिंयस ट्राफी का फाइनल मैच है जहां भारत भले हार गया हो लेकिन पंड्या ने अपनी धमाकेदार पारी से सबका दिल जीत लिया।
पाकिस्तान के खिलाफ भारत का शीर्ष क्रम बुरी तरह से लड़खड़ाने के बाद एक छोर पर खड़े हार्दिक पांड्या ने महज़ 46 गेंदों का सामना करते हुए 76 रन की तूफानी पारी खेली जिसमें 4 चौके और 6 छक्के शामिल थे। हालांकि मैच के 27वें ओवर में अली की गेंद पर एक रन चुराने के चक्कर में पांड्या रन आउट हो गए। पवेलियन की ओर लौटेते हुए उनका स्वागत भी एक दिग्गज़ खिलाड़ी की तरह किया गया। मैच हारने के बाद भी हार्दिक ने करोड़ो भारतीयों का दिल जीत लिया। हालांकि युवराज की जगह लेने के लिए पंड्या को अभी कई मौकों पर खुद को साबित करना होगा। फिलहाल पंड्या के अलावा युवराज के विकल्प के तौर पर कोई और नाम सामने नहीं आता है।
युवराज और धोनी दोनों ही खिलाड़ियों की बात करे तो भविष्य में दोनों खिलाड़ियों की जगह लेना किसी भी खिलाडी के लिये इतना आसान नहीं होगा। क्योंकि दोनों ही खिलाड़ियों ने दबाव में अपने खेल से टीम इंडिया को कई अहम जीत दिलाई है। धोनी और युवराज के प्रदर्शन की बदौलत ही भारत ने साल 2011 में अपनी धरती पर दूसरी बार आईसीसी वर्ल्डकप जीतने में कामयाब रहा था।
इन दोनों की जगह लेने वाले किसी भी नए खिलाड़ी को पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में दबाव के समय अपने आप को साबित करना होगा क्योंकि युवराज और धोनी बनना इतना आसान नहीं है। हालांकि अभी यह कहना बहुत जल्दबाजी होगा कि टीम इंडिया के मिडिल आर्डर में धोनी और युवराज के विकल्प कौन होंगे लेकिन यदि 2019 और 2023 के वर्ल्ड कप अपनी स्थित मजबूत करनी है तो टीम इंडिया को इसकी तैयारी अभी से शुरु कर देनी चाहिये।